लोकसभा चुनाव का रिजल्ट आने के बाद दिल्ली में बैठकों का दौर जारी है। एक तरफ एनडीए तीसरी बार नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने की तैयारी कर रहा है तो दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन खासकर उसके घटक समाजवादी पार्टी ने अभी तक उम्मीदें नहीं छोड़ी हैं।
अखिलेश यादव ने गुरुवार को यह कहकर जोड़ तोड़ की संभावना बरकरार रखने की ओर इशारा कर दिया कि सब गिनती का खेल है। गिनती बदल जाएगी तो कोई और सरकार बना लेगा। अखिलेश ने कहा कि जब सरकारें जब खुश करके बनाई जाती हैं तो कोई और खुश कर देगा तो उधर चले जाते हैं। अखिलेश ने यह भी कह दिया कि मौका मिलेगा तो सरकार भी बनाएंगे।
दिल्ली में इंडिया गठबंधन के नेताओं से लगातार मिल रहे और बैठकें कर रहे अखिलेश यादव ने कहा कि लोकतंत्र में उम्मीद खत्म नहीं होती। मौका मिलेगा तो सरकार भी बनाएंगे। अखिलेश यादव ने कहा कि इस बार यूपी में जनता के मुद्दों पर चुनाव हुआ। जनता ने अपने मुद्दे पर मतदान किया और उत्तर प्रदेश में बीजेपी की बड़ी हार हुई। लोकतंत्र में सरकार बनती है। गिरती है, लेकिन जब आपके पास बहुमत न हो तो आपको बहुत लोगों को खुश करके सरकार बनानी पड़ती है। जब कोई और खुश कर देता है तो उधर भी चले जाते हैं। तब सरकार की गिनती बिगड़ जाती है।
सपा प्रमुख ने कहा कि जनता ने ये फैसला देश को बचाने, संविधान को बचाने एवं आरक्षण बचाने के लिए दिया है। अखिलेश ने अपने चुनावी मुद्दे को एक बार फिर जोर दिया। अखिलेश ने कहा कि अग्निवीर तुरंत बंद होनी चाहिए और सरकार को अपनी गलती स्वीकार करनी चाहिए। उम्र की छूट भी मिलनी चाहिए।
गौरतलब है कि पिछले दो चुनावों से भाजपा अकेले बहुमत में आती रही है। 2014 में भाजपा को 282 और 2019 में 303 सीटें मिली थीं। इस बार बहुमत के लिए जरूरी 272 सीट भी भाजपा हासिल नहीं कर सकी है। उसे केवल 240 सीटें मिली हैं। ऐसे में टीडीपी और जदयू के साथ छोटे दलों को लेकर ही पीएम मोदी को इस बार सरकार बनानी और चलानी होगी। अखिलेश का इशारा सरकार बनाने के लिए जरूरी अंकगणित की ओर है।
अखिलेश ने टीडीपी और जदयू के प्रमुखों को अपने साथ आने के लिए इशारों में संदेश भी दिया है। गुरुवार को एक्स पर एक पोस्ट लिखते हुए कहा कि आज जो भाजपा के साथ जाकर नासमझी दिखा रहे हैं, वो भी भाजपा के इतिहास को समझते हुए भविष्य में अपनी पार्टी के टूटने की आशंका से ग्रस्त हैं। उन्हें भी जनता के सच्चे जनादेश का सम्मान करना चाहिए और देश को साम्प्रदायिक राजनीति के चंगुल से मुक्त करने के अभियान में जनता का साथ देना चाहिए। उनके बीच जो अविश्वास है, उसकी नींव पर कोई भी सरकार मुकम्मल नहीं हो सकती है। देश, संविधान और लोकतंत्र बचाने का ऐसा ऐतिहासिक अवसर इतिहास हमेशा नहीं देता है। जो इसमें चूक जाएगा, वो इतिहास निर्माता के रूप में अपनी भूमिका को दर्ज कराने से चूक जाएगा।