नई दिल्ली, 30 मई (हि.स.)। राज्यसभा के उप-सभापति हरिवंश ने हिन्दी पत्रकारिता दिवस के महत्व का उल्लेख करते हुए कहा कि देश को आर्थिक ताकत बनाना बेहद आवश्यक है। अगर हम आर्थिक ताकत नहीं बनेंगे तो कई देश पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर हमारी मीडिया को संचालित कर सकते हैं, इसलिए हमारा आर्थिक ताकत बनना बेहद जरूरी है, तभी हम अपने इतिहास को बचाकर रख पाएंगे और अपनी चीजों को तय कर पाएंगे तथा सुनहरे भविष्य की ओर अग्रसर होंगे।
हरिवंश गुरुवार को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) कलानिधि विभाग द्वारा हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर डॉ. जवाहर कर्नावट की पुस्तक विदेश में हिंदी पत्रकारिता, 25 देशों की हिंदी पत्रकारिता का अवलोकन के लोकार्पण एवं परिचर्चा के अवसर पर संबोधित कर रहे थे।
हरिवंश ने कहा कि विदेश में हिन्दी पत्रकारिता पुस्तक पर चर्चा के प्रयास का स्वागत होना चाहिए। यह पुस्तक शोधपरक और बौद्धिक चेतना बनाने वाला प्रयास है। आजादी के अमृत काल के बीच लेखक ने बीस सालों में यात्राएं कर इस विषय पर गहन शोध कर इस पुस्तक की रचना की है। इस पुस्तक में अद्भुत, बिखरी अतीत के महत्वपूर्ण प्रसंग का संकलन किया। अनव्रत श्रम, पैशन के बाद ये पुस्तक बन पड़ी है। यह सार्थक आयोजन है। कई देशों में हिन्दी पत्रकारिता में क्या स्वरूप रहा होगा, इस पुस्तक से मिलती है। इस पुस्तक में तथ्यों को जुटाने में मेहनत की गई है। यह भविष्य में रेफ्रेंस बुक है। हमारी पत्रकारिता आज की दुनिया में न्यू मीडिया, सोशल मीडिया की है। इस दौर में अपने अतीत के विरासत को सहेजने की इस पुस्तक में ऐसे अनेक प्रसंग हैं जिससे प्रेरणा ले सकते हैं। यह महत्वपूर्ण रचना है।
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे आईजीएनसीए के अध्यक्ष राम बहादुर राय ने कहा कि इस पुस्तक को पढ़ने के बाद ऐसा लगा कि हिन्दी पत्रकारिता प्रेम का वो धागा है जो दुनिया से चलता है और भारत पहुंचता है। इस पुस्तक में पत्र-पत्रकारिता के बारे में जानकारी मिलने के साथ हमें कई देशों के बारे में जानने को भी मिलता है। जानकारी परक पुस्तक चार हिस्सों में बंटी हुई हैं जिसमें गिरमिटिया देशों में हिन्दी पत्रकारिता के साथ 27 देशों से 120 साल पहले के पत्र पत्रिकाओं का जिक्र है।
पुस्तक के लेखक डॉ. जवाहर कर्नावट ने कहा कि भारत की हिन्दी पत्रकारिता के इतिहास की तरह ही विदेशों में भी हिन्दी पत्रकारिता का गौरवशाली इतिहास रहा है। इन देशों में हिन्दी पत्रकारिता की यात्रा कुछ पत्र-पत्रिकाओं के छपने का नहीं बल्कि भारतीयों के विश्व यात्रा का संघर्ष, पीड़ा और सुखद प्रतिष्ठा तक के सफर का अहम दस्तावेज हैं। इस पुस्तक में 1999 से एशिया, अफ्रीका, यूरोप, उत्तरी अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप के अनेक देशों की यात्राएं कर पिछले 120 सालों में 25 देशों से प्रकाशित हुए 150 से अधिक पत्र-पत्रिकाओं को तलाशा और संग्रहित किया गया है। इस अवसर पर विशिष्ठ अतिथि विजय दत्त श्रीधर, वैश्विक हिंदी परिवार के अध्यक्ष अनिल जोशी, लेखक डॉ. जवाहर कर्णावत , अलका सिंहा, रमेश चंद्र गौड़ भी मौजूद रहे।