INDI Alliance Meeting: 8 राज्यों की 57 सीटों पर आखिरी दौर की वोटिंग है। सियासी दल ग्राउंड जीरो पर हैं दिग्गज से लेकर कार्यकर्ता तक पसीना बहा रहे हैं। विपक्ष जो प्रशासनिक कार्यशैली को लेकर कई सवाल खड़े करता है, ईवीएम पर संदेह करता है उसके लिए भी मॉनिटरिंग अहम है।
लेकिन ऐन इसी दिन कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की मीटिंग का फैसला अटपटा सा लगता है!
सीएम अरविंद केजरीवाल को मिली अंतरिम जमानत एक को ही खत्म हो रही है ऐसे में क्या खासतौर पर उन्हें ध्यान में रखकर ही बैठक प्लान की गई या फिर चुनावों में जीत को लेकर अति उत्साह इसकी वजह है? वैसे एजेंडा क्या है इसको लेकर अभी कुछ क्लियर नहीं किया गया है।
केजरीवाल जरूरी, दीदी की दूरी…
केजरीवाल का फैक्टर अहम माना जा रहा है। अंतरिम जमानत की मियाद आगे बढ़ने के आसार खत्म हैं। यानि 4 जून जिस दिन रिजल्ट आउट होगा उस दिन वो तिहाड़ में ही रहेंगे। फिलहाल कांग्रेस की हां में हां मिलाने में केजरीवाल (कम से कम इंडी ब्लॉक की बैठकों में) अव्वल रहते हैं। तब भी जब मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम ममता बनर्जी ने बतौर पीएम उम्मीदवार आगे बढ़ाया था और केजरीवाल ने सहमति जताई थी।
यानि कांग्रेस के सियासी गणित में फिलहाल फिट बैठते हैं केजरीवाल। उनके जेल जाने से एक दिन पहले 1 जून को बैठक बुलाने का ये एक बड़ा कारण हो सकता है। सूत्रों की मानें तो खड़गे विभिन्न दलों से फीडबैक लेंगे, संभावनाए तलाशेंगे और अगला कदम आगे बढ़ाएंगे। इस सबके बीच दीदी ममता बनर्जी की बनाई दूरी भी इंडी ब्लॉक के रसूख पर सवाल खड़े कर रही है।
ममता नहीं पहुंच पाएंगी क्यों?
पहली बार नहीं है जब ममता बनर्जी ने कन्नी काटी हो। पहले भी वो ऐसा कर चुकी हैं। हालांकि उनकी पार्टी नेता इसमें शामिल होते रहे हैं। इस बार भी अपनी जिम्मेदारियों के चलते इसका फैसला किया है। दो वजहों से गठबंधन बैठक में शामिल न होने की मजबूरी बताई है। पहला साइक्लोन और दूसरा उस दिन चुनाव में मसरूफियत।
साइक्लोन पर बोलीं – ”मैं सब कुछ छोड़कर कैसे जा सकती हूं? मेरी प्राथमिकता राहत कार्य है। अगर मैं यहां इस जनसभा में शामिल हूं तो भी मेरी संवेदना उन लोगों (चक्रवात से प्रभावित) के साथ है।”
फिर वोटिंग को लेकर भी मजबूरी बताई। उन्होंने कहा, ” ‘इंडी’ गठबंधन की बैठक एक जून को निर्धारित है। लेकिन मैंने पहले ही कहा है कि एक जून को नहीं जा सकती क्योंकि उस दिन हमारे राज्य में चुनाव है। अब तक मेरे पास यही जानकारी है कि पंजाब, उत्तर प्रदेश और बिहार में चुनाव है, मतदान शाम 6 बजे तक जारी रहेगा और कभी-कभी यह उससे (शाम 6 बजे) आगे तक बढ़ जाता है।”
कुनबे को जोड़े रखने की मजबूरी भी…
इंडी अलायंस के घटक दलों में मतभेद-मनभेद की खबरें अकसर सुर्खियों में रही हैं। एक मंच पर होते हुए भी डे 1 से दूरियां दिखीं। इस बीच कुछ साथी छिटक कर दूर भी हो गए। सनातन को लेकर दक्षिण में बवाल मचा तो उत्तर में गठबंधन साथी असमंजस की स्थिति में दिखे।
‘आप’ की ही तरह केरल में लेफ्ट पार्टियां, पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस, जम्मू कश्मीर में महबूबा मुफ्ती की पीडीपी भी अकेले चुनाव मैदान में उतरी। ये पॉलिटिकल खेला कहीं साथ साथ खेला जा रहा है तो कहीं एक दूसरे के सामने तलवारें खींच दी गई हैं। ‘इंडी’ गठबंधन बनने के बाद इससे कुल 28 दल जुड़े थे, लेकिन लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले जनता दल (यूनाइटेड) और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में असर रखने वाली राष्ट्रीय लोक दल जैसी कुछ पार्टियां राजग में शामिल हो गईं।
बीजेपी ने कसा तंज यूपीए की दिलाई याद
बीजेपी ने कांग्रेस की तमाम कोशिशों को बेजा करार दिया है। यूपीए की याद दिला कहा है कि आखिरी चरण में हैं ये। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा- लोकसभा चुनाव का आगाज जब हुआ तो आपने एक गठबंधन का मर्सिया पढ़ा सुना…यूपीए का नाम नहीं सुना…इंडी गठबंधन में अंतिम तिलांजलि की ओर बढ़ रहा है। पांच प्रदेश जिसमें पंजाब में आप , हिमाचल में हमारा और कांग्रेस का सीधा मुकाबला है, उत्तर प्रदेश में सीधा मुकाबला हममें और सपा के बीच है, बिहार में इंडी गठबंधन के मुख्य सूत्रधार पहले ही राष्ट्र की मुख्यधारा में (नीतीश कुमार की एनडीए में वापसी) आ गए हैं, बंगाल में टीएमसी-कांग्रेस आमने-सामने है। बंगाल में तो कांग्रेस के कार्यकर्ता अपने ही राष्ट्रीय अध्यक्ष पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर रहे हैं। यहां तक कि ममता बनर्जी ने इनकी 1 जून की बैठक में आने से भी स्पष्ट मना कर दिया है।