Lok Sabha Elections 2024 Bihar: पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र से इंडी गठबंधन से राजद की प्रत्याशी मीसा भारती दो बार की हार का बदला लेने के लिए एक-एक वोट के लिए संघर्ष कर रही हैं। उनके साथ पूरा लालू परिवार जुटा हुआ है। पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव और तेजप्रताप के साथ ही छठे चरण का मतदान होने के बाद सारण से प्रत्याशी रोहिणी ने भी पाटलिपुत्र में डेरा जमा लिया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी मीसा के समर्थन में चुनावी सभा कर चुके हैं। वहीं, सांसद बनने के लिए छठी बार उतरे भाजपा प्रत्याशी रामकृपाल यादव मीसा को तीसरी बार पटखनी देने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यादव के समर्थन में प्रधानमंत्री मोदी चुनावी सभा और रोड शो कर चुके हैं। गृहमंत्री अमित शाह भी दो बार आ चुके हैं और इस सीट को मजबूती दिलाने की रणनीतिक बैठकें भी कर चुके हैं। इन दोनों के बीच लालू का खेल बिगाडऩे के लिए एआइएमआइएम के फारुख रजा भी चुनाव मैदान में हैं जो पहले राजद में रह चुके हैं। उनके समर्थन में ओवैसी भी यहां पर चुनावी सभाएं कर चुके हैं। ऐसी हालत में लालू परिवार के सामने यहां विकट चुनौती है।
मीसा-रामकृपाल तीसरी बार आमने-सामने
अभी यहां सांसद भाजपा के हैं और विधानसभा के छह क्षेत्रों में से दानापुर, मनेर, मसौढ़ी में राजद, विक्रम में कांग्रेस, पालीगंज और फुलवारी शरीफ में सीपीआइएमएल के विधायक हैं यानी इंडी गठबंधन का कब्जा है। लालूप्रसाद यादव यहां से 2009 में रंजन यादव के सामने 23 हजार मतों से पराजित हो चुके हैं। रंजन यादव अब राजद के साथ हैं। मीसा भारती यहां से 2014 और 2019 के चुनाव हार चुकी हैं। मीसा का तीसरी बार भी भाजपा के रामकृपाल यादव से ही मुकाबला है जो कभी लालू प्रसाद यादव के नजदीकी माने जाते थे। रामकृपाल अब तक पांच बार चुनाव जीत चुके हैं और छठी बार सांसद बनने के लिए कोशिश कर रहे हैं। पाटलिपुत्र लोकसभा में 19 लाख से अधिक मतदाता हैं। जिनमें यादव, भूमिहार, कोयरी, ब्राह्मण, मुस्लिम और दलितों की संख्या अच्छी खासी है। पाटलिपुत्र में मीसा और रामकृपाल सहित 22 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं और इनमें से ओवैसी की पार्टी का प्रत्याशी और बसपा का प्रत्याशी लालू परिवार के लिए चिंता का कारण बने हुए है
बारह नदियों के क्षेत्र में पेयजल संकट
यहां सबसे बड़ी आश्चर्य की बात यह लगी कि इस क्षेत्र में गंगा और पुनपुन सहित करीब बारह नदियां बहती हैं फिर भी पेयजल किल्लत है। बरसात का पानी बहकर चला जाता है। ग्रामीण इलाकों में शौचालयों के अभाव के कारण बाहर जाना पड़ता है। कृषि का क्षेत्र है, लेकिन कृषि आधारित उद्योगनहीं होने से युवाओं का पलायन हो रहा है। बिहटा सहित आसपास के इलाके रेलसेवा से जुड़े हुए नहीं हैं। इसे लेकर आंदोलन भी हो चुका है। जब लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे तब परियोजना की आधारशिला भी रखी गई थी, लेकिन योजना आगे नहीं बढ़ी। चीनी मिल की भी मांग काफी समय से हो रही है। कुछ क्षेत्र बहुत विकसित तो कुछ बहुत पिछड़े नजर आते हैं। हर घर नल जल योजना का भी फायदा नहीं मिल पाया है। नदियों में सीवरेज का पानी छोडऩे से प्रदूषण फैलने का मुद्दा भी यहां उठता रहा है।
सड़क ने खोली विकास की पोल
मैं दानापुर होते हुए बिहटा में अरण्या देवी के मंदिर पहुंचा। यहां सडक़ की हालत ऐसी है कि एक कार और मोटरसाइकिल भी आमने-सामने से आराम से नहीं निकल पाते। मंदिर में स्थानीय पत्रकार भोंपा मिले। उनसे बातचीत हुई तो कहा, यहांं पर सब अपनी-अपनी जाति और परम्परागत हिसाब से ही वोट देते हैं। इस बार भी ऐसा लग रहा है, लेकिन यादवों का लालू से मोह भंग हो रहा है। चुनाव का माहौल पूछने पर बातचीत करने के लिए लोग एकत्र हो जाते हैं। कई लोग लालू के पक्ष में बात करते हैं तो कुछ मोदी फैक्टर की बात करते हैं। पूजा करने आई जानकी देवी ने कहा, मोदी को वोट देब। साथ ही दूसरी महिला बोली, इस बार मीसा को देंगे। दुल्हिन बाजार में लोगों ने कहा, लालू के शासन में कानून व्यवस्था की स्थिति जैसी थी उससे लोग आज भी डरते हैं। रामसेवक मिश्रा कहते हैं कि सुरक्षा सबसे जरूरी है। राममंदिर सहित मोदी के विकास को लेकर लोग उत्साहित हैं। मोदी फैक्टर यहां भी काम करेगा। साथ ही रामकृपाल की छवि अच्छी है। पालीगंज क्षेत्र में भगवान सूर्य का उलारधाम है।
यहां के निवासी सुवरन मल्लाह कहते हैं कि रामकृपाल का माहौल लग रहा है। फुलवारी शरीफ में मीसा का प्रभाव अधिक दिखाई दे रहा है। यहां के भोलाराम यादव कहते हैं कि बिहार के लिए लालू ही लड़ते हैं। इसलिए लालू का मजबूत होना जरूरी है। क्षेत्र में मोदी के रोड शो, चुनावी सभा, गृहमंत्री अमित शाह के दौरे के साथ ही राबड़ी सहित पूरे परिवार के घर-घर सम्पर्क की चर्चा है। तेज प्रताप के एक राजद कार्यकर्ता के साथ मंच पर मारपीट करने को लेकर भी आम लोग कहते हैं कि मंच पर ऐसा करने से बचना चाहिए। पूरे क्षेत्र में एक ओर चर्चा है कि लालू ने इस बार इंडी गठबंधन के प्रत्याशी खुद तय किए हैं चाहे वह किसी भी पार्टी का हो। लालू का लक्ष्य लोकसभा चुनाव भी नहीं है, बल्कि वह बिना नीतीश के विधानसभा चुनाव जीतकर तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं। अगर वास्तविकता को परखा जाए तो यह नजर भी आता है।