अंतरराष्ट्रीय संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिक दिवस के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने वैश्विक शांति और सुरक्षा में देश के अनुकरणीय योगदान की सराहना की।
एक वीडियो संदेश जारी करते हुए रुचिरा ने उन लोगों को याद किया, जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के रूप में अपने प्राण त्याग दिए। उन्होंने कहा कि देश के शांति सैनिकों ने दुनिया भर में कमजोर समुदायों की रक्षा के लिए हर बार अटूट साहस दिखाया।
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार अंतरराष्ट्रीय दिवस शांति सैनिकों की सेवा और बलिदान तथा उनके द्वारा सेवा प्रदान किए जाने वाले समुदायों के लचीलेपन को श्रद्धांजलि देता है। वे शांति के लिए अपनी जान गंवाने वाले 4000 से अधिक शांति सैनिकों को सम्मानित कर रहे हैं।
इस वर्ष का अंतरराष्ट्रीय दिवस भविष्य के लिए फिट, एक साथ बेहतर निर्माण थीम के तहत मनाया जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार यह पिछले 70 वर्षों में नागरिक, सैन्य और कानून प्रवर्तन शांति सैनिकों द्वारा किए गए अहम योगदान का सम्मान करता है।
बता दें कि मेजर सेन ने मार्च 2023 से अप्रैल 2024 तक संयुकत राष्ट्र शांति मिशन, पूर्वी डीआरसी में भारतीय रैपिड डिप्लॉयमेंट बटालियन के लिए एंगेजमेंट प्लाटून के कमांडर के रूप में काम किया। संयुक्त राष्ट्र ने मंगलवार को घोषणा कर बताया कि 30 मई को एक समारोह के दौरान संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस से पुरस्कार प्राप्त करेंगे। वहीं गुटेरस ने भी मेजर सेन को उनकी सेवा के लिए बधाई दी।
वहीं संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि ने एक वीडियो संदेश जारी किया। उन्होंने शांति के प्राण देने वाले सैनिकों के लिए कहा कि उन्होंने शांति के लिए नीले झंडे के नीचे अंतिम बलिदान दिया। शीर्ष राजनयिक ने एक्स पर पोस्ट कर कहा कि संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों के अंतरराष्ट्रीय दिवस पर हम वैश्विक शांति और सुरक्षा में भारत के असाधारण योगदान का सम्मान करने के लिए एक साथ आए हैं। उन्होंने कहा कि हमारे बहादुर सैनिकों ने दुनियाभर में कमजोर समुदायों की रक्षा के लिए अटूट साहस, दृढ़ समर्पण दिखाया है। उन्होंने भारतीय शांति सैनिक मेजर राधिका सेन को मिले सम्मान पर प्रसन्नता व्यक्त की। मेजर राधिका सेन को संयुक्त राष्ट्र जेंडर मिलिट्री एडवोकेट पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
उन्होंने कहा कि इस वर्ष, हमें विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र लिंग सैन्य अधिवक्ता पुरस्कार प्राप्त करने पर गर्व है। यह लैंगिक समानता के प्रति भारत के दृढ़ समर्पण और शांति स्थापना में महिलाओं की अमूल्य भूमिका का एक शक्तिशाली प्रमाण है।