सीबीआई ने बुधवार को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में एक बड़े रिश्वतखोरी रैकेट का भंडाफोड़ किया. इस दौरान दो सीनियर हृदय रोग विशेषज्ञों सहित नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया. सीबीआई ने कार्डियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर अजय राज और सहायक प्रोफेसर पर्वतगौड़ा चन्नप्पागौड़ा को मेडिकल उपकरण सप्लायर्स से उनके उत्पादों और स्टेंट का उपयोग करने के लिए रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है.
सीबीआई ने डॉक्टर्स और मेडिकल इक्यूपमेंट्स से जुड़े डीलर्स के 15 ठिकानों पर छापेमारी की थी.
दरअसल, सीबीआई को सूत्र से जानकारी मिली थी कि राम मनोहर लोहिया अस्पताल में इलाज के नाम पर बड़ा खेल चल रहा है. यहां एक रैकेट मरीजों से इलाज के नाम पर रिश्वतखोरी कर रहे हैं और मरीजों को कुछ कंपनियों के मेडिकल उपयोग को बढ़ावा दे रहे हैं. इसमें अस्पताल के डॉक्टर और स्टाफ भी शामिल हैं. जब सीबीआई ने शुरुआती जांच की तो पता चला कि RML अस्पताल में 5 मॉड्यूल के जरिए रिश्वतखोरी की जा रही थी. इसका भंडाफोड़ सीबीआई ने किया है.
इन पांच मॉड्यूल के जरिए हो रहा था भ्रष्टाचार
1. स्टेंट और अन्य चिकित्सा आवश्यकताओं की आपूर्ति के नाम पर रिश्वत
2. स्टेंट के विशेष ब्रांड की आपूर्ति के लिए रिश्वत
3. लैब में चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति के लिए रिश्वत
4. रिश्वत के बदले मरीजों की अस्पताल में भर्ती
5. फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट जारी करने के नाम पर वसूली
मेडिकल उपकरण आपूर्तिकर्ता भी गिरफ्तार
सीबीआई ने मेडिकल उपकरण आपूर्तिकर्ता नागपाल टेक्नोलॉजीज के नरेश नागपाल को गिरफ्तार किया, जिसने मेडिकल उपकरणों की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए डॉ पर्वतगौड़ा को 2.48 लाख रुपये की रिश्वत दी थी. इसके अलावा भारती मेडिकल टेक्नोलॉजीज के भरत सिंह दलाल ने भी यूपीआई के जरिए डॉ अजय राज को दो बार रिश्वत दी थी. वहीं एक और सप्लाई कंपनी के अबरार अहमद ने RML अस्पताल की कैथ लैब को रिश्वत दी थी. इस लैब का प्रभारी रजनीश कुमार है.
इन लोगों को भी किया गया गिरफ्तार
सीबीआई ने रजनीश कुमार के साथ-साथ क्लर्क भुवाल जयसवाल और संजय कुमार और विकास कुमार को भी गिरफ्तार किया गया है. जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि भुवाल जयसवाल ने डॉक्टरों के साथ मरीजों को भर्ती कराने के लिए उनके परिजनों से रिश्वत ली, जबकि संजय कुमार ने फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट जारी करने के लिए रिश्वत ली. सीबीआई ने 9 गिरफ्तारी की है और केस में कुल 16 लोगों को आरोपी बनाकर जांच शुरू कर दी है. इन सभी को प्रिवेंशन ऑफ करप्शन और क्रिमनल कॉन्सपिरेसी 120बी के तहत गिरफ्तार किया गया है.
सीबीआई को ऐसे मिला था इनपुट
सूत्र ने बताया कि नागपाल टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड के मालिक नरेश नागपाल मरीजों पर की जाने वाली चिकित्सा प्रक्रिया में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों की आपूर्ति भी करता है. ऐसे उपकरणों का इस्तेमाल करने के लिए डॉ. पर्वतगौडौसे नियमित रूप से नरेश नागपाल से रिश्वत लेते रहे हैं. 2 मई 2024 को डॉ. पर्वतगौड़ा ने नागपाल से चिकित्सा उपकरणों के इस्तेमाल के लिए रिश्वत की मांग की. इस पर डॉक्टर को आश्वासन दिया गया कि रकम 7 मई को आरएमएल अस्पताल में पहुंचा दी जाएगी. इसलिए संभावना है कि नागपाल द्वारा 7 मई 2024 को किसी भी समय आरएमएल में डॉ. पर्वतगौड़ा को 2.48 लाख (लगभग) की रिश्वत पहुंचा दी जाएगी. इसी आधार पर सीबीआई ने आरएमएल अस्पताल के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर पर्वतगौड़ा को करीब ढाई लाख रुपये की रिश्वत के साथ रंगे हाथों गिरफ्तार किया है, जिसने यूपीआई से पेमेंट रिसीव की थी.
सूत्र ने आगे बताया था कि 26 मार्च 2024 को डॉ पर्वतगौड़ा ने अबरार अहमद से भी उनके द्वारा आपूर्ति किए जाने वाले उपकरणों के इस्तेमाल के लिए रिश्वत की रकम की मांग की थी. इसके बाद अबरार अहमद ने रिश्वत की रकम डॉ. पर्वतगौड़ा द्वारा दिए गए बैंक खाते में ट्रांसफर कर दी थी.