भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स एक बार फिर अंतरिक्ष का सफर करने के लिए तैयार हैं.
सुनीता 6 मई को स्टारलाइनर स्पेसशिप में सवार होकर अपनी तीसरी अंतरिक्ष यात्रा पर जाएंगी. फिलहाल उन्हें बोइंग के स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट पर क्रू फ्लाइट टेस्ट मिशन के पायलट की ट्रेनिंग दी जा रही है.
स्टारलाइनर स्पेसशिप को एक रॉकेट की मदद से अंतरिक्ष में भेजा जाएगा. ये स्पेसशिप धरती से 400 किमी ऊपर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से जोड़ दिया जाएगा. सुनीता विलियम्स के अलावा इस मिशन के लिए सीनियर साइंटिस्ट बुच विल्मोर को चुना गया है. दोनों अंतरिक्ष यात्री दो हफ्ते तक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में ही रहेंगे.
लेकिन क्या आप सुनीता विलियम्स पहले दो स्पेस मिशन के बारे में जानते हैं? क्या थे उनके पहले दो स्पेस मिशन और कैसे उन्होंने अपने पहले दो मिशन में सफलता हासिल की? इस स्पेशल स्टोरी में सबकुछ विस्तार से जान लीजिए.
पहले जानिए कौन हैं सुनीता विलियम्स
सुनीता का जन्म 19 सितंबर 1965 को अमेरिका के ओहायो राज्य के यूक्लिड शहर में हुआ था. उनके पिता का नाम डॉ दीपक पंड्या और मां का नाम बोनी पंड्या है.हालांकि वह मैसाचुसेट्स के नीधाम शहर को अपना असली घर मानती हैं. 1987 में उन्होंने अमेरिका की नेवल अकादमी से फिजिकल साइंस में ग्रेजुएशन किया. 1995 में उन्होंने फ्लोरिडा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग मैनेजमेंट में मास्टर्स किया.
नासा की वेबसाइट के अनुसार, सुनीता विलियम्स ने मई 1987 में यूनाइटेड स्टेट्स नेवल एकेडमी से नौसेना में अफसर के तौर पर नौकरी शुरू की. कुछ महीने एक दूसरी जगह काम करने के बाद, उनको बतौर डाइविंग ऑफिसर तैनाती मिली और फिर उन्होंने नेवल एविएशन ट्रेनिंग कमांड में दाखिला लिया.
टेस्ट पायलट से अंतरिक्ष यात्री बनने तक की कहानी
जुलाई 1989 में सुनीता एक प्रशिक्षित नेवल एविएटर बन गईं यानी अब वह हेलीकॉप्टर उड़ा सकती थीं. इसके बाद उनको एच46 सीनाइट हेलीकॉप्टर चलाने की ट्रेनिंग के लिए वर्जीनिया के हैलीकॉप्टर कॉम्बैट सपोर्ट स्क्वाड्रन 8 में भेज दिया गया. ट्रेनिंग पूरी होने के बाद सुनीता को विदेशी तैनाती मिली.
भूमध्य सागर, लाल सागर और फारस की खाड़ी में उन्होंने ‘डेजर्ट शील्ड’ और ‘ऑपरेशन प्रोवाइड कम्फर्ट’ जैसे अहम मिशन में अपनी भूमिका निभाई. सितंबर 1992 में उन्हें ‘हरीकेन एंड्रयू’ रिलीफ ऑपरेशन के लिए मियामी, फ्लोरिडा भेजा गया. हैलीकॉप्टर की एक टुकड़ी का नेतृत्व करते हुए उन्होंने यूएसएस सिल्वेनिया युद्धपोत पर काम किया.
फिर सुनीता का चयन यूनाइटेड स्टेट्स नेवल टेस्ट पायलट स्कूल के लिए हुआ. 1993 के जनवरी में उन्होंने कोर्स शुरू किया. दिसंबर 1993 में ग्रेजुएट होने के बाद, उन्हें अलग-अलग हैलीकॉप्टर प्रोजेक्ट में अहम काम मिला. अलग-अलग तरह के हैलीकॉप्टरों की टेस्ट फ्लाइट लीं. इस दौरान सुरक्षा अधिकारी की भूमिका भी निभाई. 1995 के अंत में टेस्ट पायलट स्कूल में इंस्ट्रक्टर बन गईं और वहां भी कई हैलीकॉप्टर उड़ाने का अनुभव लिया.
इसके बाद उनकी तैनाती यूएसएस साइपन युद्धपोत पर हुई. यहां वह एयरक्राफ्ट हैंडलर और असिस्टेंट एयर बॉस रहीं. अंतरिक्ष यात्री कार्यक्रम के लिए उनका चयन इसी तैनाती के दौरान हुआ. उस वक्त तक वह 30 से भी ज्यादा अलग-अलग विमान और हैलीकॉप्टर में 3000 घंटे से ज्यादा की उड़ान भर चुकी थीं.
नासा में कैसा रहा सुनीता विलियम्स का शुरुआती दौर
जून 1998 में सुनीता को नासा ने एक अंतरिक्ष यात्री के रूप में सेलेक्शन कर लिया. अगस्त 1998 में उन्होंने ट्रेनिंग शुरू कर दी. इस ट्रेनिंग में बहुत कुछ शामिल था. जैसे- स्पेस शटल और इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के सिस्टम को समझना, शरीर को अंतरिक्ष के लिए तैयार करना. साथ ही T-38 विमान की उड़ान भी सीखी. ट्रेनिंग के बाद कुछ समय के लिए सुनीता को मॉस्को में रशियन स्पेस एजेंसी के साथ काम करने का मौका मिला.
इसके बाद सुनीता विलियम्स NEEMO2 मिशन का हिस्सा रहीं. इस मिशन के दौरान वह 9 दिनों तक पानी के अंदर एक विशेष जगह (Aquarius habitat) में रही थीं. अपनी पहली अंतरिक्ष यात्रा के बाद वह एस्ट्रोनॉट ऑफिस में डिप्टी चीफ के तौर पर काम कर चुकी हैं.
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर सुनीता के पहले दो मिशन
सुनीता विलियम्स ने एक काफी लंबे मिशन के दौरान ‘एक्सपेडिशन 32’ में फ्लाइट इंजीनियर के तौर पर काम किया है. इसके अलावा एक और मिशन ‘एक्सपेडिशन 33’ में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की कमांडर भी रही हैं. सुनीता अपने इन दो मिशन के दौरान कुल मिलाकर 322 दिन अंतरिक्ष में बिता चुकी हैं. उन्होंने अंतरिक्ष में चलते हुए (स्पेसवॉक) कुल 50 घंटे और 40 मिनट बिताए हैं. इस मामले में उनका महिला अंतरिक्ष यात्रियों की लिस्ट में दूसरा स्थान है.
सुनीता अभी एक नए मिशन की तैयारी कर रही हैं. बोइंग के स्टारलाइनर स्पेसशिप का ये पहला मानव मिशन होगा. इस मिशन में वह पायलट की भूमिका निभाएंगी और इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर उनका तीसरा मिशन होगा.
एक्सपेडिशन 14/15: स्पेस में पहला मिशन
9 दिसंबर 2006 को सुनीता STS-116 के दल के साथ अपना पहला अंतरिक्ष मिशन शुरू करने के लिए रवाना हुईं. 11 दिसंबर को उनकी टीम इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर पहुंच गई. सुनीता ने फ्लाइट इंजीनियर की भूमिका निभाई. इस दौरान उन्होंने अंतरिक्ष में 4 बार स्पेसवॉक किया जिसमें कुल समय 29 घंटे 17 मिनट बिताए. ये उस वक्त तक किसी महिला अंतरिक्ष यात्री का वर्ल्ड रिकॉर्ड था. हालांकि बाद में 2008 में पेगी व्हिटसन नाम की अंतरिक्ष यात्री ने यह रिकॉर्ड तोड़ दिया.
सुनीता का ये पहला मिशन ‘एक्सपेडिशन 15’ के हिस्से के साथ खत्म हुआ. वह STS-117 क्रू के साथ 22 जून 2007 को वापस धरती पर कैलिफोर्निया में उतरीं.
एक्सपेडिशन 32/33: स्पेस में दूसरा मिशन
14 जुलाई 2012 को सुनीता ने कजाकिस्तान से अपना दूसरा अंतरिक्ष मिशन शुरू किया. उन्होंने अपने दूसरे साथी यूरी मालेनचेंको और अकिहिको होशीदे के साथ कजाकिस्तान के बैकोनूर कोस्मोड्रोम से अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरीं. उनके साथी अंतरिक्ष यात्री रूसी अंतरिक्ष एजेंसी और जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी के थे.
17 जुलाई को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर उनका स्वागत हुआ, जहां पहले से नासा के जो अकाबा, रूसी एस्ट्रोनॉट गेन्नेडी पडाल्का (एक्सपेडिशन 32 के कमांडर) और सर्गेई रेविन (फ्लाइट इंजीनियर) मौजूद थे. सुनीता ने अगले चार महीने अंतरिक्ष स्टेशन में कई शोध और खोज करते हुए बिताए. 127 दिन अंतरिक्ष में रहने के बाद 18 नवंबर 2012 को कजाकिस्तान में उनकी वापसी हुई.
इस मिशन के दौरान सुनीता और होशिदे ने तीन बार स्पेसवॉक किया. सुनीता और होशीदे ने अंतरिक्ष स्टेशन के सौर पैनलों से उसके सिस्टम तक बिजली पहुंचाने वाले उपकरण को बदलने और स्टेशन के रेडिएटर पर अमोनिया रिसाव को ठीक करने के लिए तीन बार स्पेसवॉक किए. 50 घंटे 40 मिनट की स्पेसवॉक के साथ सुनीता ने फिर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया. हालांकि बाद में पेगी व्हिटसन ने 10 स्पेसवॉक के साथ उनका रिकॉर्ड तोड़ दिया. इस तरह दोनों मिशन मिलाकर सुनीता विलियम्स ने अंतरिक्ष में कुल मिलाकर 322 दिन गुजारे हैं.
किन अवॉर्ड्स से सुनीता को सम्मानित किया गया
सुनीता विलियम्स को उनके काम के लिए कई सम्मान और पुरस्कार मिल चुके हैं. कुछ मुख्य पुरस्कार ये हैं:
DSSM (Distinguished Service Space Medal): ये अंतरिक्ष से जुड़े कामों में बहुत खास योगदान के लिए मिलता है. ये उन्हें दो बार दिया जा चुका है.
लीजन ऑफ मेरिट (Legion of Merit): ये बहुत ही प्रतिष्ठित पुरस्कार है.
नेवी कमेंडेशन मेडल (Navy Commendation Medal): नौसेना में सराहनीय काम के लिए मिलता है. उन्हें ये दो बार दिया जा चुका है.
नेवी एंड मरीन कॉर्प्स अचीवमेंट मेडल: नौसेना और मरीन कॉर्प्स में बेहतरीन प्रदर्शन के लिए मिलता है.
ह्यूमैनिटेरियन सर्विस मेडल (Humanitarian Service Medal): मानवता की सेवा के लिए दिया जाता है.
नासा के अनुसार, सुनीता विलियम्स कुछ खास संस्थाओं की सदस्य भी हैं. जैसे: सोसाइटी ऑफ एक्सपेरिमेंटल टेस्ट पायलट्स, सोसाइटी ऑफ फ्लाइट टेस्ट इंजीनियर्स,
अमेरिकन हेलीकॉप्टर एसोसिएशन.