इस साल 9 अप्रैल 2024 चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होती है. इससे एक दिन पहले 8 अप्रैल को चैत्र अमावस्या पर साल का पहला सूर्य ग्रहण लग रहा है. सूर्य ग्रहण को अशुभ माना जाता है.
इस दौरान सूर्य की किरणें ज्योतिषियों की मानें तो ग्रहण के समय राहु का प्रभाव बढ़ जाता है, जिससे हमारे जीवन से जुड़ी हर चीज पर प्रभावित होता है. इसके लिए ग्रहण के समय पर शुभ कार्य करने की मनाही होती है. जानें सूर्य ग्रहण में क्या करें, क्या न करें.
सूर्य ग्रहण में न करें ये गलतियां
ग्रहण में अन्न क्यों नहीं खाते – धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य या चंद्रमा किसी भी ग्रहण के वक्त भोजन नहीं करना चाहिए. पुराणों के माना जाता है कि जो व्यक्ति ग्रहण के दौरान अन्न खाता है उसे नरक की यातनाएं भोगनी पड़ती है. सूर्य ग्रहण के सूतक काल में ही अनाज में तुलसी दल डाल देना चाहिए.
इन पेड़ों को स्पर्श नहीं करें – तुलसी, पीपल के पेड़ को पूजनीय माना गया है. सूर्य ग्रहण के समय में तुलसी दल नहीं तोड़ना चाहिए. तुलसी में मां लक्ष्मी और पीपल में विष्णु जी का वास होता है. सूर्य ग्रहण में इन पेड़ों का स्पर्श नहीं करना चाहिए. इससे धन की देवी मां लक्ष्मी अप्रसन्न होती हैं.
देवी-देवता की मूर्ति न छुएं – सूर्य ग्रहण के समय भूलकर भी देवी-देवताओं की प्रतिमा को स्पर्श न करें, पूजा न करें. इससे दोष लगता है. इस समय में मंदिर के कपाट बंद हो जाते हैं. सारा दिन पाठ करें, इससे ग्रहण के दुष्प्रभाव खत्म होते है.
गर्भवती महिलाएं बरतें ये सावधानी – सूर्य ग्रहण के दिन गर्भवती महिलाएं खास ख्याल रखें. सावधानियां बरतें. सूतक शुरू होने से ग्रहण खत्म होने तक घर से बाहर न निकलें. नुकीली वस्तुओं जैसे सुई, कैंची, चाकू आदि का उपयोग किसी काम में नहीं करना चाहिए.
खरीदारी है निषेध – हिन्दु मान्यताओं के अनुसार सूतक काल के समय पृथ्वी का वातावरण दूषित होता है. सूतक के अशुभ दोषों से सुरक्षित रहने के लिए अतिरिक्त सावधानी रखनी चाहिए. शास्त्रों के अनुसार ग्रहण और सूतक के दौरान कोई भी शुभ कार्य पूजा, खरीदारी नहीं करना चाहिए. कुंडली में शुभ ग्रहों का प्रभाव कम होने लगता है.
नया काम शुरू न करें – सूर्य ग्रहण के दौरान नकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है, इसलिए इस दौरान किसी भी नए काम की शुरुआत या मांगलिक कार्य न करें. साथ ही ग्रहण के दौरान नाखून काटने और कंघी करने से भी बचें.
सूर्य ग्रहण में क्या करें
सूर्य ग्रहण का सूतक काल लगने से पहले मंदिर के पट बंद कर दें. ग्रहण के बाद गंगाजल से स्नान और दान करें. भगवान को भी गंगाजल से स्नान कराएं. इसकी समाप्ति पर पूरे घर में गंगाजल छि़ड़कर शुद्धिकरण करें.
ग्रहण के समय महामृत्युंजय मंत्र का उच्चारण या फिर तमोमय महाभीम सोमसूर्यविमर्दन। हेमताराप्रदानेन मम शान्तिप्रदो भव॥ या विधुन्तुद नमस्तुभ्यं सिंहिकानन्दनाच्युत। दानेनानेन नागस्य रक्ष मां वेधजाद्भयात्॥२॥ मंत्र जाप से ग्रहण के अशुभ प्रभाव खत्म होते हैं.