कलकत्ता हाई कोर्ट ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल के संदेशखाली मामले में तल्ख टिप्पणी है. गुरुवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए, जिसमें तृणमूल कांग्रेस के नेता शेख शाहजहां पर स्थानीय महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न और कथित भूमि कब्जा, जबरन वसूली और यौन अपराधों की जांच की मांग की गई है. इस पर पीठ ने असंतोष व्यक्त किया है. मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवज्ञानम के अनुसार, “पूरे जिला प्रशासन और सत्तारूढ़ व्यवस्था को नैतिक जिम्मेदारी निभानी चाहिए. भले ही (हलफनामा) 1% भी सच हो, यह बिल्कुल शर्मनाक है. पश्चिम बंगाल कहता है कि यह राज्य महिलाओं के लिए सबसे सुरक्षित है? अगर एक हलफनामा सही साबित होता है तो ये सब खत्म हो जाता है.”
जनहित याचिकाओं पर सुनवाई
मुख्य न्यायाधीश शिवज्ञानम और न्यायमूर्ति हिरनमय भट्टाचार्य की खंडपीठ जनहित याचिकाओं (पीआईएल) पर सुनवाई कर रही थी. पीठ पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में शाहजहां और उसके लोगों की ओर से महिलाओं के उत्पीड़न की स्वतंत्र जांच की मांग वाली दलीलें सुन रही थी.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जनहित याचिका दायर करने वाली वकील प्रियंका टिबरेवाल ने कहा कि कोर्ट की निगरानी वाले आयोग में इसे स्थानांतरित किया जाना चाहिए. टिबरेवाल ने कहा कि उन्होंने प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया था और उन महिलाओं से बात की थी. वे पुलिस से डरती थीं मगर शाहजहां के खिलाफ अपनी आवाज उठाना चाहती थीं.
संदेशखाली मामले में स्वत: संज्ञान लिया
कथित यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं के हलफनामे को जमा करते हुए टिबरेवाल का कहना है, “अगर वे साबित कर देते हैं कि एक भी हलफनामा गलत है, तो मैं हमेशा के लिए अपनी प्रैक्टिस छोड़ दूंगी.” आपको बता दें कि इस वर्ष फरवरी में, उच्च न्यायालय ने संदेशखाली मामले में स्वत: संज्ञान लिया है. अब आरोप सामने आए कि महिलाओं पर “बंदूक की नोक पर यौन उत्पीड़न” किया गया था.