भारतीय जनता पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में खुद के लिए 370 और एनडीए के 400 पार का नारा देकर जीत और हार के नैरेटिव को पीछे छोड़ दिया। विपक्ष इस नारे को जहां जुमला करार दे रहा है, वहीं भाजपा का कहना है कि इस बार सीटों के सारे रेकॉर्ड टूट जाएंगे। दरअसल भाजपा ने 2014 का लोकसभा चुनाव ‘अबकी बार, मोदी सरकार’ के नारे पर लड़ा था, तब अकेले 282 सीटें आई थीं और 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने 300 पार का नारा दिया तो खुद 303 और एनडीए की 353 सीटें आईं। पार्टी रणनीतिकारों का मानना है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के पास सिर्फ मोदी का चेहरा था, लेकिन केंद्र में कार्य का कोई रिपोर्ट कार्ड नहीं था। जब राजनीतिक विश्लेषक और पार्टी के कुछ नेता भाजपा के अधिकतम सिंगल लार्जेस्ट पार्टी होने का आकलन कर रहे थे, तब पार्टी ने अकेले दम पर बहुमत लाकर दिखाया।
आगामी चुनाव के लिए भाजपा के पास 10 रिपोर्ट कार्ड
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के पास 10 साल का रिपोर्ट कार्ड है। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना हो या फिर राम मंदिर बनाना और नागरिकता संशोधन कानून लागू करना हो या फिर पार्टी शासित उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता का मॉडल देश के सामने रखना हो। इसलिए पिछले दो चुनावों से कहीं ज्यादा इस बार पार्टी के पक्ष में माहौल लगता है। पार्टी नेताओं को लगता है कि इस बार पार्टी अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ सकती है।
1984 का रिकॉर्ड तोड़ने के लिए चाहिए 50 % वोट
वर्ष 1984 का रिकॉर्ड तोड़ने के लिए 50 प्रतिशत वोट चाहिए: 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के कारण सहानुभूति की लहर पर सवार होकर कांग्रेस ने 414 सीटें जीतने का अब तक का रेकॉर्ड बनाया था। तब कांग्रेस को करीब 50 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे। 2019 के लोकसभा चुनाव के परिणाम देखें तो एनडीए 45 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 343 सीटें जीतने में सफल रहा था। ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि 5 प्रतिशत अतिरिक्त वोट का इंतजाम कर पार्टी 400 पार के लक्ष्य को पा सकती है।
सीटों की गुंजाइश कहां?
2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा उत्तर भारत मेें 191 में 155, पश्चिम मेें 78 में 51, पूरब में 141 में 67 सीटें जीती थीं। सबसे कम सफलता दक्षिण भारत में मिली थी, जहां 132 में से सिर्फ 30 सीटें ही पार्टी को मिली थीं। इन आंकड़ों से पता चलता है कि भाजपा के पास पूर्वी भारत यानी ओडिशा, प. बंगाल और दक्षिण मे केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में सीटें बढ़ाने की गुंजाइश है। पार्टी ने आंध्रप्रदेश में जहां टीडीपी से गठबंधन किया है, वहीं ओडिशा में सत्ताधारी बीजेडी से भी गठबंधन को लेकर बातचीत चल रही है। 2019 की तुलना में बीजेपी इस बार कहीं ज्यादा सहयोगियों को साथ जोड़ रही है। छोटे-छोटे दलों को साथ लेने में भी भाजपा परहेज नहीं कर रही। कांग्रेस के कई बड़े नेता भी भाजपा में आए हैं।