यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा इस महीने के अंत में भारत आ सकते हैं। 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण के बाद ये पहली बार है जब यूक्रेनी विदेश मंत्री भारत आएंगे। इस मामले से परिचित लोगों ने हिन्दुस्तान टाइम्स को बताया कि वे शांति शिखर सम्मेलन के लिए समर्थन की पैरवी की उम्मीद लेकर भारत आ रहे हैं।
दिमित्रो कुलेबा की इस छोटी सी यात्रा के दौरान उनके साथ एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी होगा। इस दौरान वे अपने भारतीय समकक्ष एस जयशंकर के साथ भारत-यूक्रेन इंटर-गवर्नमेंटल कमीशन की बैठक की सह-अध्यक्षता भी कर सकते हैं।
यह आयोग की पहली बैठक होगी, जो 2018 के बाद से द्विपक्षीय संबंधों के सभी पहलुओं की देखरेख करने वाली संस्था है। मामले से परिचित लोगों ने कहा कि दिमित्री कुलेबा की यात्रा की अभी तक भारत या यूक्रेन द्वारा आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है, हालांकि उनके 28 मार्च के आसपास नई दिल्ली में होने की उम्मीद है।
इससे पहले अप्रैल 2023 में यूक्रेन की उप-विदेश मंत्री एमीन झापरोवा भारत के दौरे पर आई थीं। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से किसी भी पूर्वी यूरोपीय देश का भारत का यह पहला आधिकारिक दौरा था।
एचटी की रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले महीनों में स्विट्जरलैंड जिस शांति शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने की योजना बना रहा है, वह कुलेबा के एजेंडे में शीर्ष पर होने की उम्मीद है। विश्व नेताओं का प्रस्तावित शिखर सम्मेलन यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की के 2022 में अनावरण किए गए 10-सूत्रीय शांति फॉर्मूले और हाल के महीनों में आयोजित बैठकों की एक श्रृंखला पर आधारित है।
स्विट्जरलैंड में चीन के दूत के हवाले से सोमवार को कहा गया कि बीजिंग यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने के उद्देश्य से शांति सम्मेलन में भाग लेने पर विचार करेगा। जनवरी में विचार सामने आने के बाद स्विस सरकार ने कहा है कि उसका लक्ष्य इस गर्मी तक शांति शिखर सम्मेलन आयोजित करने का है।
इस साल की शुरुआत में यूक्रेन तथा भारत के विदेश मंत्रियों के बीच टेलीफोन के माध्यम से बातचीत हुई थी। इसकी जानकारी खुद दिमित्रो कुलेबा ने एक्स अकाउंट पर दी थी। उन्होंने लिखा, हम भविष्य में 2018 के बाद से भारत-यूक्रेन अंतर सरकारी आयोग की पहली बैठक आयोजित करने पर सहमत हुए। मैंने अपने भारतीय समकक्ष को रूस में बढ़ रहे आतंक और यूक्रेन पर किए जा रहे बड़े पैमाने पर हवाई हमलों के बारे से जानकारी दी। दोनों देशों के नेताओं ने शांति फॉर्मूले पर आगे बढ़ने पर चर्चा भी की।
भारत ने यूक्रेन पर हमले को लेकर सार्वजनिक रूप से रूस की निंदा करने से परहेज किया है, हालांकि उसने बार-बार कहा है कि वह बातचीत और कूटनीति के माध्यम से संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधान खोजने के उद्देश्य से सभी पहलों का समर्थन करता है। सितंबर 2022 में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि “आज का युग युद्ध का युग नहीं है”।