India’s befitting reply to America on CAA: भारत ने नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 (सीएए) को लेकर अमरीका के विदेश विभाग के बयान को अपूर्ण जानकारी पर आधारित गलत एवं अनुचित बताते हुए इसे खारिज कर दिया और कहा कि यह कानून भारत की समावेशी परंपराओं एवं मानवाधिकारों के प्रति उसकी दीर्घकालिक प्रतिबद्धताओं पर आधारित है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने आज एक सवाल के जवाब में कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 (सीएए) भारत का आंतरिक मामला है और यह कानून भारत की समावेशी परंपराओं और मानवाधिकारों के प्रति हमारी दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है।
#WATCH | On CAA, MEA Spokesperson Randhir Jaiswal says, "As you are well aware, the Citizenship Amendment Act 2019 is an internal matter of India and is in keeping with India's inclusive traditions and a long-standing commitment to human rights. The act grants a safe haven to… pic.twitter.com/cJBiDvI7JU
— ANI (@ANI) March 15, 2024
यह गलत, गलत जानकारी वाला और अनुचित बयान है- रणधीर जायसवाल
रणधीर जायसवाल ने कहा कि यह अधिनियम अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बंगलादेश के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों से संबंधित उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों की राज्यविहीनता के मुद्दे का समाधान करता है और उनको सुरक्षित आश्रय प्रदान करता है, जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश कर चुके हैं। प्रवक्ता ने कहा, “सीएए नागरिकता देने के बारे में है, नागरिकता छीनने के बारे में नहीं। शरणार्थियों की राज्यविहीनता के मुद्दे का हल करता है, उन्हें मानवीय गरिमा प्रदान करता है और मानवाधिकारों की रक्षा करता है।”
रणधीर जायसवाल ने कहा कि जहां तक सीएए के कार्यान्वयन पर अमरीकी विदेश विभाग के बयान का संबंध है, हमारा मानना है कि यह गलत, गलत जानकारी वाला और अनुचित बयान है। भारत का संविधान अपने सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है। अल्पसंख्यकों के साथ व्यवहार पर किसी भी चिंता का कोई आधार नहीं है। वोट बैंक की राजनीति को संकट में फंसे लोगों की मदद के लिए किसी प्रशंसनीय पहल के बारे में राय नहीं बनानी चाहिए। जिन लोगों को भारत की बहुलवादी परंपराओं और क्षेत्र के विभाजन के बाद के इतिहास की सीमित समझ है, उन्हें उपदेश देने का प्रयास नहीं करना चाहिए। प्रवक्ता ने कहा कि भारत के भागीदारों और शुभचिंतकों को उस इरादे का स्वागत करना चाहिए जिसके साथ यह कदम उठाया गया है।