India Bans 17 Chinese Companies: मोदी सरकार ने जिन कंपनियों को भारत में किसी टेंडर में हिस्सा लेने से रोक दिया है, उन कंपनियों में एक्सपी-पेन, हाईविजन हिकविजन, लेनोवो, दहुआ, लावा, ओटोमेट, जोलो, एयरप्रो, ग्रैंडस्ट्रीम, वाई-टेक, रियलटाइम, मैक्सहब, नोकिया, डोमिनोज़, रेपुटर और टायरो शामिल हैं।
चीन के खिलाफ भारत सरकार का ये लेटेस्ट तगड़ा एक्शन है और इसके साथ ही, भारत दुनिया का पहला देश बन गया है, जिसने चीन के खिलाफ इतने सख्त एक्शन लिए हैं। भारत सरकार ने 17 चीनी कंपनियों को टेंडर प्रक्रियाओं में हिस्सा लेने से प्रतिबंधित कर दिया है।
इसके साथ ही, उन निजी कंपनियों को भी प्रतिबंधित किए गये चीनी कंपनियों के साथ किसी भी तरह की साझेदारी करने के खिलाफ चेतावनी दी गई है, जो किसी ना किसी सरकारी संस्था से जुड़े हुए हैं, या सरकारी संस्थाओं के साथ मिलकर कारोबार करते हैं।
चीनी कंपनियों के खिलाफ बड़ा एक्शन मोदी सरकार के इस फैसले को उन चीनी उत्पादों पर एक महत्वपूर्ण कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है, जो अपने ब्रांड नाम बदलकर और भारतीय संस्थाओं के साथ गठजोड़ करके भारत में प्रवेश कर रहे थे, जिसका मकसद अपने मूल स्थान को छिपाना था, और अपनी पहचान छिपाकर चीन को लाभ पहुंचाना जिनका मकसद था, जो भारत के रणनीतिक और सुरक्षा हितों को प्रभावित कर रहे थे।
जिन कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया गया है उनमें Xp-pen, Highvision Hikvision, Lenovo, Dahua, Lava, Ottomate, Xolo, Airpro, Grandstream, Wi-Tek, Realtime, Maxhub, Nokia, Domino, Reputer और Tyco शामिल हैं। पिछले साल संडे गार्जियन की एक रिपोर्ट में दावा किया गया था, कि रणनीतिक क्षेत्रों में काम कर रहे सरकारी-सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में चीनी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल किया जा रहा है। वहीं, अब जनवरी के आखिरी दिन जारी किए गये भारत सरकार के आदेश में, इन चीनी ब्रांडों के भारतीय विक्रेताओं और उनके द्वारा अपलोड किए गए कैटलॉग को सरकारी ई मार्केटप्लेस (GeM) से हटा दिया गया है और वे GeM पर किसी भी बोली में भाग लेने के लिए योग्य नहीं हैं। आदेश में यह भी कहा गया है, कि GeM उन ऑर्डरों को रद्द कर देगा, जहां इन चीनी कंपनियों के उत्पादों का उपयोग बोली के लिए किया जाता पाया जाएगा। इस लिस्ट में सबसे ऊपर हांग्जो हिकविजन डिजिटल टेक्नोलॉजी कंपनी लिमिटेड है, जिसके 70 प्रोडक्ट्स पर प्रतिबंध लगाए गये हैं, इसका भारतीय चेहरा प्रामा हिकविजन (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड है। यह भारतीय सरकारी एजेंसियों के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ताओं में से एक है। इसी तरह DNS overseas, जो बीजिंग स्थित Hanvon Ugee Group के प्रोडक्ट्स को भारत लाता है, जो भारट में टैबलेट मार्केट का बड़ा खिलाड़ी है, उसे भी GeM portal से हटा दिया गया है। इसके अलावा, Lenovo के 22 प्रोडक्ट्स को भी बैन किया गया है, जिसमें सर्वर भी शामिल है। कम ही लोग जानते हैं, कि लेनोवो चीनी मूल की कंपनी है। 1984 में स्थापित लेनोवो को चीनी विज्ञान अकादमी (सीएएस) के उत्पाद के रूप में देखा जाता है – जो चीनी सरकार का वैज्ञानिक अनुसंधान का प्रमुख संस्थान है। बताया जाता है कि CAS का चीनी सेना के साथ व्यापक संबंध है। इसके अलावा, हांग्जो के बिंजियांग जिले में स्थित सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाली कंपनी झेजियांग दाहुआ टेक्नोलॉजी कंपनी लिमिटेड के पांच प्रोडक्ट्स भी प्रतिबंधित सूची में शामिल हैं, जो वीडियो सर्विलांस उपकरण बनाती है और भारत में “दाहुआ” ब्रांड नाम के तहत अपने प्रोडक्ट बेचती है। लावा इंटरनेशनल के 19 प्रोडक्ट्स पर भी प्रतिबंध लगाए गये हैं, जिसके ब्रांड एंबेसडर कार्तिक आर्यन हैं और पहले इसके ब्रांड एंबेसडर क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी थे।
प्रतिबंधित लिस्ट में “ओटोमेट” ब्रांड नाम से बने उत्पाद भी शामिल हैं, जो लावा समूह का ही एक हिस्सा है। जिन उत्पादों पर प्रतिबंध लगाया गया है, उनमें स्मार्टफोन, पंखे और टैबलेट शामिल हैं। जबकि लावा को एक भारतीय कंपनी के रूप में देखा जाता है, जबकि इसके उत्पाद चीन में बनाए जाते हैं और फिर एक नए ब्रांड नाम के तहत भारत में बेचे जाते हैं। राउटर और कैमरे सहित एयरप्रो के 13 उत्पादों को प्रतिबंधित सूची में डाल दिया गया है।
कोहेसिव टेक्नोलॉजीज द्वारा भारत में बेचे जाने वाले ग्रैंडस्ट्रीम और डब्ल्यू-टेक के पांच उत्पादों को पोर्टल से हटा दिया गया है।
“रियलटाइम” द्वारा बनाए गए और रियलटाइम बायोमेट्रिक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों द्वारा बेचे जाने वाले 31 उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, जिनमें बूम बैरियर, बायोमेट्रिक एक्सेस सिस्टम, सीसीटीवी शामिल हैं।
भारत सरकार ने चीनी यूनिट मैक्सहब पर भी कड़ा रुख अपनाया है, जो शियुआन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से अपने उत्पाद बेचती है। इसके कुल 18 उत्पादों पर प्रतिबंध लगाया गया है।
वहीं, नोकिया द्वारा बनाए गए एचएमडी मोबाइल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा बेचे जाने वाले छह उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। उद्योग के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, प्रतिबंधित उत्पाद चीन में निर्मित किए जा रहे हैं। जबकि, नोकिया ने कुछ साल पहले भारतीय नागरिकों को यह समझाने के लिए एक मीडिया ब्लिट्जक्रेग लॉन्च किया था, कि वह चीन में अपने उत्पाद नहीं बना रहा है।
कई चीनी कंपनियों पर अभी भी एक्शन नहीं
हालांकि, इंडस्ट्री के अंदरूनी सूत्र और सुरक्षा के जानकार अभी भी इस बात को लेकर परेशान हैं, कि भारी चीनी निवेश और नियंत्रण वाली कई कंपनियां भारत में अभी भी सक्रिय हैं, जिन्हें इन बैन लिस्ट में अभी शामिल नहीं किया गया है।
इनमें हुआवेई, अल्काटेल ल्यूसेंट-एक फ्रांसीसी कंपनी जो अब चीनी प्रमोटरों के स्वामित्व में है, टीवीटी, टियांडी टेक्नोलॉजीज और यूनीव्यू द्वारा बनाए गए उत्पाद शामिल हैं। इन सभी कंपनियों की भारत में भारी-भरकम मौजूदगी है और ये लंबे समय से सरकारी एजेंसियों के साथ काम कर रही हैं।
आपको बता दें, कि भारत सरकार ने 6 अगस्त 2020 को डिपार्टमेंट ऑफ एक्सपेंडिचर के अधीन एक रजिस्ट्रेशन कमिटी का गठन किया था, जिसकी प्रमुख 2000 कैडर की आईएएस अधिकारी मनमीत कौर नंदा बनी थीं, जो उस वक्त डिपार्टमेंट ऑफ प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड की ज्वाइंट सेक्रेटरी थीं।
मनमीत कौर नंदा और उनकी टीम पर ये जिम्मेदारी दी गई, कि जिन देशों की सीमा भारत से लगती है, उन देशों से भारत में निवेश के लिए जो बोली लगाई जाती है, उन कंपनियों की जांच करें और फिर तय करें, कि कौन सी कंपनी भारत में कारोबार कर सकती है और कौन सी नहीं। माना जाता है, कि इस रजिस्ट्रेशन कमेटी का गठन चीनी कंपनियों पर लगाम लगाने के लिए ही किया गया था।
यह कमेटी भारत के पड़ोसी देशों से आने वाले निवेश या टेंडर पर नजर रखी है और उनके प्रोडक्श के भारत पर पड़ने वाले असर का मूल्यांकन करती है। हालांकि, सन गार्डियन की रिपोर्ट में सरकारी सूत्रों के हवाले से कहा गया है, कि ये लिस्ट अभी फाइनल लिस्ट नहीं है और इस लिस्ट में अभी कई और कंपनियों को शामिल किया जाएगा, जिनके प्रोडक्ट्स भारत के नेशनल इंटरेस्ट के लिए सही साबित नहीं होंगे।