एक शख्स ने अपनी ‘जिद’ पूरी करने के लिए न केवल 35 लाख रुपए खर्च कर दिए, बल्कि 7 देशों की यात्रा भी कर डाली. चूंकि इस जिद का इरादा नेक नहीं था, लिहाजा अब उसे लंबा वक्त सलाखों के पीछे बिताना पड़ सकता है.
सलाखों के पीछे जाने वालों में वह शख्स अकेला नहीं है, बल्कि इसके साथ इसके वो मददगार भी शामिल हैं, जिन्होंने मोटी रकम लेकर इसके नापाक इरादों को परवान चढ़ाने में मदद की थी.
इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट की डीसीपी उषा रंगनानी के अनुसार, इस मामले में पहला खुलासा 24 फरवरी 2023 को हुआ, जब करनवीर सिंह नामक एक शख्स को आईजीआई एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया. करनवीर सिंह को जर्मनी से डिपोर्ट कर दिल्ली एयरपोर्ट भेजा गया था. उस पर फर्जी वीजा के इस्तेमाल और विदेश में अवैध रूप से रहने का आरोप था. इंवेस्टिगेशन में पता चला कि करनवीर सिंह मूल रूप से पंजाब के मोंगा जिले के अंतर्गत आने वाले मौजेवाला गांव का रहने वाला है.
इंवेस्टिगेशन में यह बात भी सामने आई कि वह अपने पासपोर्ट पर जून 2022 को अमृतसर एयरपोर्ट से रवाना किया हुआ था. करीब आठ महीने बाद जिस पासपोर्ट पर उसे जर्मनी से डिपोर्ट किया गया था, उसमें उसका नाम रणजोध सिंह दर्ज था. जब इस बाबत उससे गहन पूछताछ की गई तो उसने खुलासा किया कि उसकी बचपन से एक ही जिद थी कि उसे किसी भी कीमत पर फ्रांस जाना है. वह लगातार ऐसे लोगों की तलाश में रहता था, जो उसकी जिद को पूरी करने में उसकी मदद कर सकते हों.
35 लाख में तय हुआ फ्रांस भेजने का सौदा
एक दिन उसकी यह तलाश पूरी हुई और उसे गुरजीत सिंह और करमजीत नाम से दो मददगार मिल गए. दोनों ने फ्रांस भेजने के एवज में करनवीर से 35 लाख रुपए की मांग की थी. चूंकि करनवीर को किसी भी कीमत में फ्रांस जाना था, लिहाजा वह इतनी बड़ी राशि को खुशी-खुशी देने के लिए राजी हो गया. उसने गुरजीत सिंह और कमरजीत को 25 लाख रुपए नगद दिए और बाकी के दस लाख रुपए दोनों के एकाउंट में ट्रांसफर कर दिए. रुपयों का भुगतान करने के बाद करनवीर ने अपना पासपोर्ट गुरजीत सिंह को दे दिया.
इसके बाद, गुरजीत सिंह और कमरजीत सिंह ने करनवीर को समझाया कि फ्रांस में लंबी अवधि तक रहने के लिए उसे पहले अपनी ट्रैवेल हिस्ट्री तैयार करनी होगी. जिसके तहत, उसे कई देशों की यात्रा कर थोड़े-थोड़े दिन वहां गुजारने होंगे. योजना के तहत, करनवीर की विदेश यात्रा की संयुक्त अरब अमीरात के दुबई शहर से शुरू हुई. दुबई के अलावा वह पोलैंड के सर्बिया और इटली के मिलान शहर में भी कुछ दिन रहा. जिससे उसके पासपोर्ट पर लगातार विदेश यात्रा की हिस्ट्री दर्ज हो सके.
मैक्सिको में खुला राज, सपनों पर फिरा पानी
डीसीपी उषा रंगनानी के अनुसार, तीन देशों के इन तीन शहरों को ट्रांजिट रूट की तरह भी इस्तेमाल किया गया. आखिर में करनवीर अमेरिका पहुंच गया. जहां वादे के मुताबिक, करनवीर को फ्रांस का वीजा उपलब्ध करा दिया गया. करनवीर अपने मंसूबों में सफल होता, इससे पहले पुलिस ने उसका पासपोर्ट जब्त कर लिया. इसके बाद, एजेंट कमरजीत सिंह के कहने पर करनवीर स्पेन के बार्सिलोना शहर पहुंचा, जहां पर उसे रणजोध सिंह के नाम से जारी एक पासपोर्ट और शेंगेन वीज़ा उपलब्ध कराया गया.
बार्सिलोना से नया पासपोर्ट और शेंगेन वीजा लेने के बाद वह ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना पहुंच गया. वियना में कुछ दिन रहने के बाद वह मैक्सिको के कैनकन पहुंचा. कैनकन में करनवीर को प्रवेश करने की अनुमति नहीं मिली और उसे वहां से जर्मनी के फ्रैंकफर्ट शहर भेज दिया गया. आखिर में, फ्रैंकफर्ट से करनवीर को दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट के लिए डिपोर्ट कर दिया गया. दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचते ही करनवीर को आईजीआई एयरपोर्ट पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया.
फर्जी वीजा और पासपोर्ट के एवज में मिला 25 लाख का कमीशन
डीसीपी उषा रंगनानी ने बताया कि करनवीर के खुलासे के आधार पर पुलिस ने सियालकोट (पंजाब) निवासी गुरजीत सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया. वहीं, करमजीत पुलिस की पकड़ से बचने में कामयाब रहा. करीब एक साल लंबी कवायद के बाद पुलिस ने आखिरकार दूसरे आरोपी करमजीत को चेन्नई एयरपोर्ट से गिरफ्तार कर लिया है. वह पुलिस की गिरफ्तारी से बचने के लिए विदेश भांगने की फिरांक में था.
पूछताछ के दौरान करमजीत ने बताया कि उसने 12वीं कक्षा तक पढ़ाई की है और पिछले 2 सालों से संयुक्त अरब अमीरात में एक निजी कंपनी में एचआर मैनेजर के रूप में काम कर रहा है. उसने बताया कि वह अन्य एजेंटों के साथ कमीशन के आधार पर काम करता है. इस मामले में, उसने करनवीर को विदेश में रहने की व्यवस्था में मदद की थी और एक अन्य एजेंट गुरजीत सिंह की मदद से फ्रांस के जाली वीजा और रणजोध सिंह के पासपोर्ट की व्यवस्था करने में उसकी मदद की थी. जिसके एवज में उन्हें करीब 25 लाख रुपए का कमीशन मिला था.