हर साल बजट तैयारी की ‘लॉक-इन’ प्रक्रिया शुरू होने से पहले एक पारंपरिक हलवा समारोह आयोजित किया जाता है। इसके बाद बजट बनाने की प्रक्रिया से जुड़े अधिकारियों को नॉर्थ ब्लॉक छोड़ने की इजाजत नहीं होती है। अंतरिम केंद्रीय बजट 2024 की तैयारी प्रक्रिया के अंतिम चरण को चिह्नित करने वाला हलवा समारोह, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त राज्यमंत्री डॉ. भागवत किशनराव कराड की मौजूदगी में बुधवार को नॉर्थ ब्लॉक में आयोजित किया गया था। पिछले तीन केंद्रीय बजटों की तरह अंतरिम केंद्रीय बजट 2024 भी पेपर रहित दिया जाएगा। अंतरिम केंद्रीय बजट 2024, 1 फरवरी को पेश किया जाना है। बजट पेश करने की जिम्मेदारी वित्त मंत्री की होती है, लेकिन तीन बार ऐसे मौके भी आए हैं, जब प्रधानमंत्री को बजट पेश करना पड़ा। आइये उनके नाम जानते हैं और ऐसी परिस्थिति क्यों आई इस बारे में जानते हैं…
1. जवाहर लाल नेहरू
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने पीएम रहते हुए संसद में बजट पेश किया था। नेहरु ने दो बार देश के वित्त मंत्री का कार्यभार भी संभाला है। पहली बार 24 जुलाई 1956 से लेकर 30 अगस्त 1956 तक इसके बाद 13 फरवरी 1958 से लेकर 13 मार्च 1958 तक उन्होंने ने वित्त मंत्री का पद संभाला। दूसरी बाद नेहरु सिर्फ 29 दिन तक वित्त मंत्री रहे। लेकिन संयोगवश यही वो समय ता जब उन्हें बजट पेश करना पड़ा। यह इसलिए हुए क्योंकि तत्कालीन नेहरू सरकार में वित्त मंत्री टीटी कृष्णमचारी को मूंदड़ा घोटाले की वजह से पद छोड़ना था और पीएम जवाहरलाल नेहरू ने संसद में बजट पेश किया था।
2. इंदिरा गांधी
जवाहरलाल नेहरू के बाद उनकी पुत्री इंदिरा गांधी देश की ऐसी दूसरी पीएम बनीं, जिन्होंने बजट भाषण दिया था। दरअसल इंदिरा गांधी में वित्त मंत्री मोरारजी देसाई के इस्तीफा देने के बाद उन्होंने खुद वित्त मंत्री का पदभार संभाला और वित्त वर्ष 1970-71 का बजट पेश किया था।
3. राजीव गांधी
प्रधानमंत्री रहते हुए संसद में बजट पेश करने वाला तीसरा नाम भी गांधी-नेहरू परिवार से ही है। नेहरु और इंदिरा के बाद हम बात कर रहे हैं पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की, जिन्होंने पीएम रहते हुए देश का बजट पेश किया था। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि तत्कालीन सरकार में वित्त मंत्री वीपी सिंह सरकार से बाहर हो गए जिसके बाद राजीव गांधी ने वित्त मंत्री का पदभार संभाला और वित्त वर्ष 1987-88 का आम बजट पेश किया।