भारत में मंदिर से जुड़ी आस्था के कारण श्रद्धालु करोड़ों रुपये का चढ़ावा अर्पित करते हैं। आंध्र प्रदेश का तिरुपति मंदिर देश के सबसे समृद्ध मंदिरों में गिना जाता है। इस मंदिर में 10 दिनों के भीतर श्रद्धालुओं ने 40 करोड़ रुपये अर्पित किए हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक चढ़ावे की राशि तिरुपति में श्री वेंकटेश्वर मंदिर के आधिकारिक संरक्षक तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम्स (TTD) को मिली है। एक अधिकारी ने बताया कि 23 दिसंबर, 2023 से एक जनवरी, 2024 तक 10-दिवसीय वियाकंटादारा दर्शन का आयोजन हुआ। इस दौरान भक्तों ने 40 करोड़ रुपये दान पेटी में डाले। इसे यहां की भाषा में हुंडी का चढ़ावा (hundi collections) कहा जाता है। तिरुपति के अलावा केरल के सबरीमाला से जुड़ी रिपोर्ट भी सामने आई है।
10 दिन में 6.47 लाख भक्तों ने दर्शन किया
दुनियाभर में प्रसिद्ध तिरुपति का प्रसाद- लड्डू 36 लाख बेचा गया। दो लाख से अधिक तीर्थयात्रियों को खास अनुष्ठान की सुविधा प्रदान की गई। टीटीडी के कार्यकारी अधिकारी एवी धर्म रेड्डी ने कहा, वैकंटदवारा दर्शन में रिकॉर्ड संख्या में भक्त उमड़े। 10 दिनों में 6.47 लाख भक्तों ने दर्शन किया। इस दौरान भक्तों को लंबी कतारों में प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ी। वैकंटदवारा दर्शन के दौरान सामान्य से अधिक भक्तों को अन्ना प्रसादम (भोजन) भी दिया गया।
सबरीमाला में मकरविलक्कू महोत्सव की तैयारियां
तिरुपति के अलावा हर साल लाखों श्रद्धालु भगवान अयप्पा के दर्शन करने केरल के सबरीमाला मंदिर भी जाते हैं। सबरीमाला में मकरविलक्कू महोत्सव की तैयारियां हो रही हैं। त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड (टीडीबी) ने एक बयान में कहा कि 10 जनवरी से तीर्थयात्रियों को स्पॉट बुकिंग की सुविधा नहीं मिलेगी। मंदिर प्रबंधन की शीर्ष संस्था- TDB ने कहा कि 15 जनवरी को मकरविलक्कू के दिन वर्चुअल कतार में दर्शन के लिए केवल 40,000 बुकिंग ही कराई जा सकेगी।
सबरीमाला में तीर्थयात्री 20 जनवरी तक दर्शन कर सकेंगे
नए इंतजाम को लेकर टीडीबी के अध्यक्ष पीएस प्रशांत ने कहा कि इन नियमों का मकसद मंदिर परिसर यानी सन्निधम में भारी भीड़ से बचना है। मकरविलक्कू के दिन भक्तों को सुचारू और सुरक्षित दर्शन अनुभव सुनिश्चित कराने का प्रयास किया जा रहा है। महिलाओं और बाल तीर्थयात्रियों को 14 और 15 जनवरी के दिन भगवान अयप्पा मंदिर में जाने से बचने की सलाह दी गई है। टीडीबी सूत्रों के अनुसार, मकरविलक्कू के बाद सबरीमाला आने वाले तीर्थयात्री 20 जनवरी तक दर्शन कर सकेंगे। इसके बाद मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।