Punjab News: पंजाब में बंपर पैदावार के बीच किन्नू (Kinnow) की कीमतों में अप्रत्याशित गिरावट के कारण किसान काफी परेशान हैं. कीमतों में गिरावट की वजह से किन्नू उत्पादकों के समक्ष अपनी लागत निकालने का भी संकट पैदा हो गया है. किसानों का कहना है कि उन्हें अपनी किन्नू की फसल के लिए छह से 10 रुपये प्रति किलोग्राम का दाम मिल रहा है. यह पिछले साल के 20-25 रुपये प्रति किलोग्राम की तुलना में आधा भी नहीं है. उन्होंने कहा कि इस भाव पर वे अपनी लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं. किसानों ने सरकार से किन्नू के लिए न्यूनतम मूल्य तय करने की भी मांग की है.
फसल के फूल आने के दौरान अप्रत्याशित उच्च तापमान के कारण दो साल तक कम उपज के बाद पंजाब इस सीजन में किन्नू की बंपर फसल के लिए तैयार है. देश में किन्नू के प्रमुख उत्पादक राज्य पंजाब में इस सीजन में 13.50 लाख टन के उत्पादन का अनुमान है. पिछले साल उत्पादन 12 लाख टन रहा था. इस सीजन में कुल 47,000 हेक्टेयर क्षेत्र में किन्नू की खेती की गई है. पंजाब में किन्नू की कटाई दिसंबर में शुरू होती है और फरवरी के अंत तक चलती है. किन्नू की फसल के तहत अधिकतम 35,000 हेक्टेयर क्षेत्र के साथ अबोहर राज्य का अग्रणी जिला है. यह होशियारपुर, मुक्तसर, बठिंडा और कुछ अन्य जिलों में भी उगाया जाता है.
पिछले साल मिले थे 25 रुपये प्रति किलो भाव
किन्नू उत्पादक अजीत शरण ने कहा कि उत्पादकों को छह-आठ रुपये प्रति किलोग्राम का दाम मिल रहा है, जबकि पिछले साल इस समय लगभग 25 रुपये प्रति किलोग्राम का भाव मिला था. उन्होंने बताया कि हालांकि किसानों को कम कीमत मिल रही है, लेकिन खुदरा बाजार में किन्नू 40 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव पर बेचा जा रहा है. अबोहर जिले के रामगढ़ गांव में 90 एकड़ जमीन पर किन्नू की फसल उगाने वाले शरण ने कहा, ‘‘अगर कोई किसान बंपर पैदावार करता है, तो यह (कम कीमत) उसकी सजा है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम पूरे साल फसल की देखभाल करते हैं और बदले में हमें क्या मिल रहा है. हम उत्पादन लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं.’’
प्रति एकड़ 30,000-40,000 रुपये होते हैं खर्च
अजीत शरण ने कहा कि किसान किन्नू की फसल पर प्रति एकड़ 30,000-40,000 रुपये खर्च करते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘अगर किसानों को इस तरह का भाव मिलता रहा, तो वे इसकी खेती से दूर हो जाएंगे.’’ अबोहर के विधायक और किसान संदीप जाखड़ ने भी कहा कि किसानों को औसतन नौ-10 रुपये प्रति किलोग्राम का भाव मिल रहा है, जो काफी कम है. एक अन्य किसान राजिंदर सेखों ने कहा कि किन्नू की फसल के लिए बाजार में कोई खरीदार नहीं है. सेखों ने कहा कि पिछले साल व्यापारियों ने उनके खेत से ही फसल उठा ली थी. उन्होंने बताया कि शीर्ष गुणवत्ता वाले किन्नू का भी कोई खरीदार नहीं है. आमतौर पर पठानकोट, दिल्ली, लुधियाना और अन्य स्थानों से खरीदार साल के इस समय में फसल खरीदने के लिए उनके खेत में आते हैं.