China Pakistan Sea Guardian-3 Exercise: भारत के पड़ोसी देशों को ऋण के जाल में फंसाकर चीन, भारत को चारों तरफ से घेरने की लगातार कोशिश कर रहा है और इस कड़ी में पाकिस्तान से ज्यादा मदद भला उसकी कौन कर सकता है। चीन और पाकिस्तान की नौसेनाएं इस हफ्ते के अंत में अपना अब तक का सबसे बड़ा संयुक्त अभ्यास ‘सी गार्डियन-3’ आयोजित कर रही हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, चीन और पाकिस्तान के बीच होने वाला ये संयुक्त सैन्य अभ्यास का मकसद दोनों देशों के बीच के संबंधों को मजबूत करने से ज्यादा भारत पर प्रेशर बनाने की कोशिश है। वहीं, चीन और पाकिस्तान के बीच ये सैन्य अभ्यास उस वक्त हो रहा है, जब पता चला है, कि पाकिस्तान ने चीन से 21 अरब डॉलर का एक और कर्ज ले रखा है, जिसे पाकिस्तान की सरकारों ने फाइलों में दिखाया ही नहीं है।
चीन-पाकिस्तान का ज्वाइंट एक्सरसाइज
पाकिस्तानी नौसेना ने कहा है, कि दोनों देशों की नौसेना के जहाजों, पनडुब्बियों और पनडुब्बी बचाव जहाजों को शामिल करते हुए सी गार्डियन-3 संयुक्त समुद्री अभ्यास 11 नवंबर को कराची नौसेना डॉकयार्ड में एक उद्घाटन समारोह के साथ शुरू हो गया है।
लड़ाकू जेट, नौसैनिक जहाज, हेलीकॉप्टर, एक पनडुब्बी, एक पनडुब्बी बचाव जहाज और एक मरीन कोर टुकड़ी लेकर चीनी बेड़ा इस ज्वाइंट एक्सरसाइज में भाग लेने के लिए कराची पहुंचा है। ये युद्धाभ्यास, उत्तरी अरब सागर में आयोजित किए जा रहे हैं और कथित तौर पर इसका मकसद, रणनीतिक समुद्री मार्गों की संयुक्त रूप से सुरक्षा के लिए द्विपक्षीय युद्ध प्रशिक्षण और सैन्य अभियानों का अभ्यास करना है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के भोंपू ग्लोबल टाइम्स ने बताया है, कि समुद्री खतरों का संयुक्त रूप से जवाब देने के कॉमन सब्जेक्ट के तहत, यह अभ्यास समुद्र और हवा में होगा। यह सी गार्जियन अभ्यास का तीसरा और सबसे बड़ा पुनरावृत्ति है। इस सैन्य अभ्यास में कई प्रशिक्षण कैप्सूल आयोजित किए जाएंगे, जिनमें गठन पैंतरेबाज़ी, हेलीकॉप्टर क्रॉस-डेक लैंडिंग, संयुक्त खोज और बचाव, वीबीएसएस (विज़िट, बोर्ड, खोज और जब्ती), और पनडुब्बी रोधी युद्ध शामिल हैं।
🇨🇳🤝🇵🇰China, #Pakistan hold largest-ever joint naval exercise.
The nine-day Sea Guardian-3 exercise is in the waters and airspace of the northern Arabian Sea.
What are the main items?
Training courses including formation maneuvering, VBSS (visit, board, search and seizure),… pic.twitter.com/qC2YZ3uKxq— Shen Shiwei 沈诗伟 (@shen_shiwei) November 12, 2023
चीन-पाकिस्तान में सैन्य गठबंधन ‘सी गार्जियन-3’ अभ्यास ऐसे समय पर किया जा रहा है, जब दोनों देशों के बीच सैन्य संबंध फल-फूल रहे हैं। पाकिस्तान के JF-17 और J-10C लड़ाकू विमानों और PLA वायु सेना के J-16 फाइटर जेट ने सितंबर महीने में उत्तर-पश्चिम चीन के ऊपर एक साथ उड़ान भरी थी, जिसका मकसद एक दूसरे के ऊपर भरोसा कायम करना था। अभी हाल ही में, दोनों पक्षों ने बीजिंग में पिछले महीने आयोजित बेल्ट एंड रोड फोरम में अपने संबंधों को मजबूत करने का वादा किया है। पाकिस्तानी प्रधान मंत्री अनवारुल हक काकर के साथ एक बैठक में, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने “क्षेत्रीय एकता और सहयोग को बढ़ावा देने और विकासशील देशों के वैध हितों की रक्षा करने” का वादा किया था। भारत के लिए कतनी बड़ी है ये टेंशन? हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में चीन की बढ़ती उपस्थिति और पाकिस्तान के साथ बढ़ती मिलीभगत को भारत की शीर्ष सुरक्षा चिंताओं में से एक के रूप में चिह्नित किया गया है, क्योंकि हिंद महासागर में अभी भी भारत का वर्चस्व है, जिसे चीन काउंटर करना चाहता है। अक्टूबर के अंत की मीडिया रिपोर्टों से पता चला है, कि भारतीय नौसेना सी गार्जियन-3 सैन्य अभ्यास से पहले चीनी जहाजों की गतिविधियों पर नजर रख रही थी। हिंद महासागर क्षेत्र में चीन और पाकिस्तान के बीच बढ़ता सैन्य सहयोग, भारत के लिए चिंता का विषय रहा है। सैन्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है, कि चीनी नौसैनिक प्रतिष्ठान और जहाज अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में भारतीय नौसैनिक संपत्तियों और भारत के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (EEZ)पर नजर रख सकते हैं और बड़ा खतरा पैदा कर सकते हैं। चीन के कर्ज जाल में फंसा है पाकिस्तान चीन और पाकिस्तान के बीच आर्थिक, सैन्य और राजनयिक सहयोग में हाल के वर्षों में बड़े पैमाने पर वृद्धि देखी गई है। यह एक स्वतंत्र एजेंसी द्वारा किए गए हालिया अध्ययन से स्पष्ट हो गया, जिसमें बताया गया है, कि चीन ने पाकिस्तान को शुरुआत में अनुमान से काफी ज्यादा ऋण उधार दिया है और माना जा रहा है, कि ये गुप्त ऋण है, जिसे चीन की शर्तों के मुताबिक, पाकिस्तान की सरकारों ने देश की जनता से छिपाकर रखा था।
पिछले सप्ताह जारी एक रिपोर्ट से पता चलता है, कि नकदी की कमी से जूझ रहे पाकिस्तान के पास विश्व स्तर पर सबसे व्यापक चीन-वित्त पोषित ऊर्जा पोर्टफोलियो है। रिपोर्ट से पता चला है, कि पिछले 20 सालों में जितना अनुमान लगाया गया था, उससे 21 अरब डॉलर ज्यादा का ऋण, पाकिस्तान ने चीन से लिया हुआ है। संयुक्त राज्य अमेरिका में विलियम और मैरी विश्वविद्यालय के एक स्टडी संस्थान, एडडाटा ने बताया है, कि साल 2000 से 2021 के बीच पाकिस्तान ने चीन से कुल 67.2 अरब डॉलर का ऋण लिया है, जबकि पाकिस्तान की सरकार ने वर्ल्ड बैंक और आईएमएफ को बताया है, कि उसने चीन से सिर्फ 46 अरब डॉलर का ही ऋण लिया है।