अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन प्रशासन ने बुधवार को कहा कि संयुक्त राष्ट्र इस्लामोफोबिया से निपटने के लिए एक रणनीति विकसित करेगा। राष्ट्रपति की ये घोषणा इजराइल और हमास आतंकवादियों के बीच युद्ध को लेकर देश भर में तनाव बढ़ने के बीच आई है।
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरिन जीन-पियरे ने बुधवार को घोषणा की कि बाइडेन प्रशासन अमेरिका में इस्लामोफोबिया का मुकाबला करने के लिए पहली राष्ट्रीय रणनीति विकसित करेगा। व्हाइट हाउस ने कहा कि रणनीति संबंधित समुदायों के साथ मिलकर विकसित की जाएगी
वाइट हाउस की अधिकारी ने कहा कि इस संयुक्त प्रयास का उद्देश्य मुसलमानों और उन लोगों की रक्षा के लिए एक व्यापक और विस्तृत योजना बनाना है जो “अपनी जाति, राष्ट्रीय मूल, वंश या किसी अन्य कारण से मुसलमान माने जाते हैं।”
प्रेस सचिव पियरे ने कहा कि अमेरिका में किसी के खिलाफ नफरत के लिए कोई जगह नहीं है। पियरे ने कहा, “बहुत लंबे समय से, अमेरिका में मुसलमानों और अरब और सिखों जैसे मुस्लिम समझे जाने वाले लोगों ने नफरत से भरे हमलों और अन्य भेदभावपूर्ण घटनाओं को सहन किया है।” व्हाइट हाउस की अधिकारी ने कहा कि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और हमारा पूरा प्रशासन यह सुनिश्चित करने के लिए काम करना जारी रखेगा कि प्रत्येक अमेरिकी को अपना जीवन सुरक्षित रूप से और बिना किसी डर के जीने की आजादी हो कि वे कैसे प्रार्थना करते हैं, क्या मानते हैं और वे कौन हैं।”
जीन-पियरे ने हाल ही में शिकागो के बाहर 6 वर्षीय फिलिस्तीनी अमेरिकी लड़के की “बर्बर” हत्या को उजागर किया, जिसे पुलिस ने इजराइल और हमास के बीच चल रहे संघर्ष से जोड़ा है। यह पहल हमास के साथ इजराइल के युद्ध के रूप में सामने आई है, जिसमें गाजा में नागरिकों की मौत की संख्या में वृद्धि देखी गई है। ऐसे में देश के कुछ सबसे बड़े मुस्लिम अमेरिकी समूहों ने संघर्ष के लिए बिडेन के दृष्टिकोण की निंदा की है। मंगलवार को अमेरिका के कुछ मुस्लिम लीडर्स और अरब-अमेरिकन ग्रुप के सदस्यों ने मांग की थी कि राष्ट्रपति बाइडेन गाजा में सीजफायर के लिए तुरंत कदम उठाएं। उन्होंने शर्त रखी है कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो वो 2024 के चुनाव के लिए उनको मिलने वाली फंडिंग बंद कर देंगे और बाइडेन की डेमोक्रेटिक पार्टी को वोट भी नहीं देंगे। मुस्लिम नेताओं ने मंगलवार को एक ओपन लेटर 2023 सीजफायर अल्टीमेटम में वादा किया है कि जो भी उम्मीदवार फिलिस्तीनियों के खिलाफ जाकर इजराइली हमले का समर्थन करेगा, उसे कोई भी मुस्लिम, अरब या उनके सहयोगी मतदाता वोट नहीं देंगे। काउंसिल ने अपने लेटर में कहा कि फिलिस्तीनियों पर मानवीय हिंसा का जिम्मेदार अमेरिका भी है। अमेरिका, इजराइल को मदद पहुंचाता है ताकि वह गाजा में तबाही मचा सके। अमेरिका ने इजराइल की मदद के जरिए हिंसा को कायम रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसकी वजह से आम नागरिक की मौत हो रही है और उन मतदाताओं का भरोसा कम हो गया है जिन्होंने पहले अमेरिकी सरकार पर भरोसा किया था। ऐसा माना जा रहा है कि व्हाइट हाउस का इस्लामोफोबिया से लड़ने की कोशिश अमेरिकी-अरब मुसलमानों की नाराजगी दूर करने की कोशिश है। क्या होता है इस्लामोफोबिया इस्लामोफोबिया दो शब्दों से मिलकर बना है- इस्लाम और फोबिया। इसका अर्थ होता है- इस्लाम का भय। दुनिया में इंसानों की दूसरी सबसे बड़ी कम्युनिटी ‘इस्लाम’ के प्रति कुछ देशों में बढ़ती नफरत, भेदभाव और हिंसा की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। इस पर काबू पाने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने 15 मार्च, 2022 को प्रस्ताव पारित किया। जिसके मुताबिक हर साल 15 मार्च को ‘अंतर्राष्ट्रीय इस्लामोफोबिया विरोधी दिवस’ मनाया जाता है।