चण्डीगढ़ : शिक्षक का काम व्यक्ति-निर्माण है क्योंकि देश का उत्थान व पतन व्यक्ति पर निर्भर है। यह बात हरियाणा, पंजाब के राज्यपाल व चण्डीगढ के प्रशासक प्रो0 कप्तान सिंह सोलंकी ने आज सेक्टर 20 स्थित राजकीय शिक्षा महाविद्यालय के दीक्षांत समारोह में अपने सम्बोधन में कही। उन्होंने समारोह में विद्यार्थियों को एम0एड0 और बी0 एड0 की उपाधियां प्रदान कीं और इन परीक्षाओं में प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को सम्मानित किया। उन्होंन महाविद्यालय की अनुसंधान पत्रिका का विमोचन भी किया।
प्रो0 सोलंकी ने आगे कहा कि हम जैसे व्यक्ति बनाएंगे वैसा ही समाज बनेगा। इसीलिए शिक्षा का उद्देश्य विद्यार्थी का सर्वांगीण विकास करना है। विद्यार्थियों के चरित्र निर्माण पर ध्यान देना और उनमें संवेदनशीलता, सद्भावपूर्ण जीवन और बड़ों का आदर करने जैसे मूल्यों को भरना आवश्यक है। उपाधियां प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि आज से वे स्वयं शिक्षक बनकर राष्ट्र के निर्माता बन गए हैं। इसलिए उनके कंधों पर भारी जिम्मेदारी आ गई है। उन्होंने कहा कि शिक्षक का काम बहुत महान है। उन्होंने ही देश की आजादी के लिए मर-मिटने वाले स्वतंत्रता सेनानी तैयार किए थे। वर्तमान समय में दुनिया में भारत की प्रतिभा का डंका बजाने वाले युवा भी शिक्षकों ने ही तैयार किए हैं। उन्होंने उपाधि धारण करने वालों का आह्नवान किया कि वे ऐेसे व्यक्ति बनाने का संकल्प लें जिन्हें डा0 राधाकृष्णन ने आध्यात्मिक मानव, महर्षि अरविन्द ने महामानव, पं0 दीनदयाल उपाध्याय ने एकात्म मानव और गीता में स्थितप्रज्ञ कहा गया है। उन्होंने विश्वास प्रकट किया कि ऐसा करके हम भारत को 21वीं सदी में विश्वगुरू बनाने में सफल होंगे।
राज्यपाल ने कहा कि हमारी सबसे बड़ी समस्या यह है कि हम आजादी के छह दशक बाद भी भारत को पहचान नहीं पाए और उसकी जरूरत के अनुकूल शिक्षा-पद्धति नहीं बना पाए। जबकि पराधीनता के समय भारत के लिए शिक्षा-पद्धति बनाने वाले लार्ड मैकोले ने भारत को अच्छी तरह पहचान लिया था। इसीलिए तो उन्होंने कहा था कि हम भारत के लिए ऐसी शिक्षा लाएंगे जिसे पाकर व्यक्ति देखने में तो हिन्दुस्तानी लगेंगे लेकिन असल में अंग्रेज होंगे। लार्ड मैकोले जानते थे कि यदि भारत की संस्कृति और शिक्षा को नष्ट कर दिया जाए तो अंग्रेज यहां लंबे समय तक शासन कर सकते थे। उन्होंने कहा कि वर्तमान पीढी के शिक्षकों को इस चुनौती का जबाब देना चाहिए।
इससे पहले महाविद्यालय की प्राचार्या डा0 हर्ष बत्रा ने अतिथियों का स्वागत किया और महाविद्यालय की वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की। महाविद्यालय की डीन डा0 रेणु वर्मा ने सबका धन्यवाद किया। इस अवसर पर उच्चतर शिक्षा विभाग, चण्डीगढ के निदेशक जतिन्दर यादव, महाविद्यालय की उप प्रधानाचार्या डा0 जसबीर कौर व अन्य शिक्षक उपस्थित थे।