Nithari Case: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोएडा के चर्चित निठारी कांड के दोषी सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह पंढेर को सोमवार को बड़ी राहत दी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोल को 12 और मनिंदर सिंह पंढेर को दो मामलों में बरी करते हुए फांसी की सजा रद कर दी है। मनिंदर सिंह पंढेर की वकील ने इस बारे में जानकारी दी है। कई दिनों तक चली बहस के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। सोमवार को हाईकोर्ट ने सुरेंद्र कोली को दोषमुक्त कर दिया। गाजियाबाद सीबीआई कोर्ट ने दोनों को 10 महीने पहले फांसी की सजा सुनाई थी।
इसके खिलाफ उसने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। कोठी D-5 के मालिक मोनिंदर सिंह पंढेर को भी कोर्ट ने बरी कर दिया है। न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति एसएएच रिजवी की अदालत ने यह फैसला सुनाया।
गौरतलब है कि सीबीआई ने निठारी कांड में 16 मामले दर्ज किए गए थे। इनमें से सुरेंद्र कोली को 14 मामलों में फांसी की सजा मिली थी, जबकि मनिंदर सिंह पंढेर के खिलाफ दो मुकदमे में ट्रायल कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी। दिसंबर 2006 में हुए इस कांड के खुलासे ने लोगों को हिला कर रख दिया था।
आइए अब जाते हैं पूरे देश को दहला देने वाले इस सनसनीखेज हत्याकांड की पूरी कहानी…
नोएडा सेक्टर-31 के पास निठारी गांव की डी-5 नंबर की कोठी मोनिंदर सिंह पंढेर ने 2005 में खरीदी थी। घर चंडीगढ़ में होने की वजह से नोएडा में रहने का ठिकाना बनाया था, क्योंकि नोएडा में ही उसकी कंपनी थी। यहां मोनिंदर ने चंडीगढ़ में नौकरी कर चुके सुरेंद्र कोली को बुला लिया। सुरेंद्र खाना बनाने में एक्सपर्ट था। इसलिए मोनिंदर सिंह ने उसे नोएडा में अपने पास रख लिया। वह कोठी में ही छत पर बने एक कमरे में रहने लगा, लेकिन महीने में अधिकांश दिन मोनिंदर सिंह कहीं न कहीं टूर पर ही रहता था। लिहाजा, कोठी में मालिक की तरह सुरेंद्र ही रहता था।
2006 में खुला था मामला
साल 2006 में नोएडा प्राधिकरण की एक जेसीबी निठारी की डी-5 कोठी के पास वाले नाले की सफाई कर रही थी। इस दौरान कुछ नर कंकाल मिले। प्राधिकरण की टीम इसे पहले अनदेखा कर लिया, लेकिन इतने में खबर निठारी गांव तक पहुंच गई। काफी संख्या में लोग मौके पर जुट गए। इनमें वो लोग भी थे, जिनकी बेटियां संदिग्ध परिस्थिति में लापता हो गई थीं। इन सभी लोगों ने पुलिस में गुमशुदगी भी दर्ज कराई थी।
मामला तूल पकड़ने देख कर नोएडा पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज किया। चूंकि कोठी नंबर डी-5 के मालिक मोहिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली पर आरोप था, इसलिए दोनों को गिरफ्तार भी कर लिया। इसके बाद जब नाले और कोठी की विधिवत तलाशी हुई तो एक के बाद एक कुल 15 बच्चों के नरकंकाल मिले और मामला राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आ गया।
सीबीआई को सौंपा था केस
11 जनवरी 2007 को उत्तर प्रदेश सरकार ने मामला सीबीआई को सौंप दिया। इसके बाद सीबीआई ने आरोपियों से पूछताछ की और 28 फरवरी और 01 मार्च 2007 को दिल्ली में एसीएमएम की कोर्ट में अपना इकबालिया बयान दर्ज कराया। इसमें आरोपियों ने वारदात को कबूल किया था। सीबीआई की जांच में पता चला कि आरोपियों ने मासूम बच्चों को कोठी में बुलाकर उनके साथ रेप किया, फिर गला घोंटकर हत्या की। यही नहीं, इन बच्चों के शवों के टुकड़े किए और भगौने में पकाकर खा भी गए थे।
इस शक में जी रहे थे लोग
डेढ़ साल तक यह खौफनाक सिलसिला चला। लोगों को शक था कि कोठी के पास स्थित पानी की टंकी में कोई भूत है, जो बच्चों को गायब कर रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह सभी बच्चे कोठी के पास आते ही लापता हो रहे थे। मामला प्रकाश में आने के बाद सीबीआई ने जब दिसंबर 2006 में लापता एक बच्ची के मामले की जांच की तो पता चला कि वह आखिरी बार कोठी के अंदर गई थी, जहां से वह बाहर नहीं निकली। इस प्रकार सीबीआई ने सभी मामलों की कड़ियां जोड़ते हुए गाजियाबाद की अदालत में कुल 16 मामलों की चार्जशीट पेश की।
रिंपा हलधर केस में फांसी बरकरार
इनमें से रिंपा हलदर नामक एक लड़की की साल 2005 में हुई हत्या के मामले में दोनों आरोपियों को कोर्ट ने फांसी की पहली सजा सुनाई थी। इस मामले में आरोपी इलाहाबाद हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट गए, लेकिन उन्हें कहीं भी राहत नहीं मिली और यह सजा अभी भी बरकरार है। वहीं गाजियाबाद की कोर्ट ने सुरेंद्र कोली के मामले को सुनते हुए उसे सीरियल किलर करार दिया था। कहा था कि ऐसे अपराधी के प्रति दया नहीं दिखाई जा सकती। अब तक कोली को लोवर कोर्ट से 13 मामलों में तथा पंढेर को तीन मामलों में फांसी की सजा हो चुकी है। हालांकि, इनमें से 12 मामलों में अब हाईकोर्ट ने बरी कर दिया है।