तेलंगाना का चुनाव दिलचस्प होता जा रहा है। विधानसभा चुनावों में टिकट के जिन दावेदारों को भारत राष्ट्र समिति, कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी से उम्मीदवार बनने की उम्मीदें टूट रही हैं या टूट चुकी हैं, वह नए ठिकानों की तलाश में जुट चुके हैं।
सत्ताधारी बीआरएस 119 सीटों में से 115 पर अपने उम्मीदवार पहले ही घोषित कर चुकी है। कांग्रेस और बीजेपी ने भी अपने संभावित उम्मीदवारों के लिए काफी कुछ मंथन कर रखा है। अब जब 30 नवंबर के लिए चुनाव तारीखों की घोषणा हो चुकी है तो यह नाम भी जल्द आ सकते हैं।
तेलंगाना में कई अन्य पार्टियां भी हैं मैदान में
तेलंगाना में दो राष्ट्रीय पार्टियों और एक बड़ी क्षेत्रीय पार्टियों के अलावा भी कुछ पार्टियां चुनाव मैदान में उतरने के लिए कमर कस रही हैं। इनमें बीएसपी, सपा, शिवसेना, एनसीपी, ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक, जनता दल और युग तुलसी पार्टी जैसे नए दल भी शामिल हैं। एनसीपी ने तो राज्य में 100 सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान पहले ही कर रखा है।
इन दलों में अपने लिए संभावनाएं तलाश रहे हैं टिकटों के दावेदार
ऐसे में जिन लोगों को तीनों प्रमुख दलों से मायूसी मिल रही है, उन्हें लगता है कि जिन पार्टियों से वोटर परिचित हैं, जिसका नाम जानते हैं, उससे टिकट लेने पर भी उनकी किस्मत का ताला खुल सकता है। इनमें से कई तो ऐसे हैं, जो निर्दलीय चुनाव लड़ने का भी दम रखते हैं। लेकिन, किसी बड़े नाम वाली पार्टी से जुड़ जाने के बाद उन्हें अपनी संभावनाएं और बढ़ने की उम्मीद लग रही है।
बीएसपी से जीतकर बीआरएस में शामिल हो चुके हैं नेता
मसलन, मायावती की बीएसपी के पास तेलंगाना के सभी विधानसभा क्षेत्रों में अच्छा-खासा वोट बैंक है। ऐसे में टिकट की चाहत रखने वाले अब बसपा की ओर ज्यादा उम्मीदों से देखने लगे हैं। 2014 के विधानसभा चुनावों में मौजूदा विधायक और मंत्री एलोला इंद्रकरन रेड्डी निर्मल से बीएसपी के टिकट पर ही चुनाव जीते थे। जबकि, कोनेरू कोनप्पा भी बसपा से ही सिरपुर से कामयाब रहे थे। लेकिन, चुनाव के बाद ये दोनों बीआरएस में शामिल हो गए थे।
शिवसेना भी कर रही है 60 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी
ऐसे उम्मीदवारों को लेकर महाराष्ट्र में सत्ताधारी सीएम एकनाथ शिंदे की शिवसेना भी काफी उत्साहित है। पार्टी राज्य में 60 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना पर काम कर रही है। इसका फोकस मुख्य रूप से ग्रेटर हैदराबाद के अलावा निजामाबाद, आदिलाबाद, करीमनगर और नालगोंडा जिलों पर है, जिनकी सीमाएं महाराष्ट्र के नजदीक हैं।
कई प्रभावशाली नेता चल सकते हैं आखिरी दांव
शिवसेना के तेलंगाना प्रदेश अध्यक्ष सिंकारू शिवाजी ने टीओआई से कहा है, ‘कुछ पूर्व एमएलसी, निगम अध्यक्ष और मार्केट कमेटी के अध्यक्षों ने हमसे संपर्क किया है और बताया कि अगर उन्हें अपनी पार्टियों से टिकट नहीं मिलता है, तो वे शिवसेना के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे। हमने उनसे कहा है कि पार्टी में शामिल हों और टिकट के लिए आवेदन दें।’
2018 के विधानसभा चुनावों में रामागुंडम सीट से कोरुकांति चंदर ने फॉरवर्ड ब्लॉक के टिकट पर चुनाव जीता था, लेकिन बाद में सत्ताधारी बीआरएस में शामिल हो गए थे। तब पहले उन्होंने सीएम केसीआर की पार्टी से ही टिकट लेने की कोशिश की थी, लेकिन नहीं मिला तो फॉरवर्ड ब्लॉक से लड़े और सफल हुए। तेलंगाना में नेताओं के लिए यह ऐसे उदाहरण हैं, जो उन्हें पार्टी से मायूसी मिलने के बाद भी चुनाव लड़ने का हौसला और विधानसभा तक पहुंचने की उम्मीद दे रहे हैं।