G-20 Summit: जी20 शिखर सम्मेलन के लिए भारत की यात्रा पर आ रहे अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन, भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ द्विपक्षीय बैठक भी करने वाले हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, जी20 बैठक से इतर, नऊ दिल्ली और वॉशिंगटन, अपने द्विपक्षीय संबंधों की मजबूती के लिए महत्वाकांक्षी योजनाओं पर भी काम कर रहे हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और जो बाइडेन की द्विपक्षीय बैठक के दौरान छोटे मॉड्यूलर परमाणु रिएक्टरों पर संभावित परमाणु समझौता हो सकता है। भारत अमेरिका के बीच इस ऐतिहासिक समझौते पर बातचीत होने की पूरी संभावना है।
मोदी-बाइडेन के बीच द्विपक्षीय बैठक
इसके अलावा, दोनों नेताओं की बैठक में भारतीय छात्रों के लिए एकेडमिक प्रोग्राम और ड्रोन डील पर अहम बातचीत होने की संभावना है। रिपोर्ट के मुताबिक, मोदी-बाइडेन की बैठक के दौरान जेट इंजन पर रक्षा सौदे के लिए अमेरिकी कांग्रेस की मंजूरी पर प्रगति, यूक्रेन के लिए संयुक्त मानवीय सहायता, भारतीयों के लिए अधिक उदार वीजा व्यवस्था और एक-दूसरे के देशों में नए वाणिज्य दूतावास खोलने को लेकर जून महीने में हुई बातचीत पर नेक्स्ट राउंड की बातचीत हो सकती है।
द इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से अपनी रिपोर्ट में बताया है, कि भारतीय और अमेरिकी अधिकारी, अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में राष्ट्रपति बाइडेन की पहली भारत यात्रा के लिए एक “मजबूत” और “परिणाम-उन्मुख” ज्वाइंट विज्ञप्ति तैयार करने को लेकर, पिछले कुछ हफ्तों से व्यस्त बातचीत कर रहे हैं।
जो बाइ़डेन से पहले भारत आने वाले आखिरी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप थे, जिन्होंने फरवरी 2020 में भारत का दौरा किया था।
हालांकि, राष्ट्रपति बनने से पहले जो बाइडेन, कई बार अलग अलग ओहदों पर रहते हुए भारत की यात्रा कर चुके हैं और आखिरी बार जब वो भारत आए थे, उस वक्त वो अमेरिका के उप-राष्ट्रपति थे। बताया जा रहा है, कि दोनों देशों के अधिकारी इस बैठक की ऐसी तैयारी कर रहे हैं, कि जून महीने में प्रधानमंत्री मोदी की वॉशिंगटन यात्रा के दौरान जो स्क्रिप्ट लिखी गई थी, उसे एडवांस मोड पर लाया जाए।
परमाणु ऊर्जा डील क्यों होगी ऐतिहासिक?
आम तौर पर, जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान द्विपक्षीय यात्राओं को शामिल नहीं किया जाता है, लेकिन भारत ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के लिए इसे एक अपवाद बनाया है।
भारत और अमेरिका परमाणु समझौते पर, मतभेदों को दूर करने की उम्मीद कर रहे हैं, जो असैन्य परमाणु दायित्व कानून के बाद पैदा हुए थे और दोनों पक्षों को छोटे परमाणु रिएक्टर स्थापित करने के लिए एक समझौते या समझ पर मुहर लगने की उम्मीद है, ताकि आगे जाकर बड़े न्यूक्लियर की दिशा में बात आगे बढ़े।
जून में, पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान, दोनों पक्षों ने भारत में छह परमाणु रिएक्टरों के निर्माण के लिए न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआईएल) और वेस्टिंगहाउस इलेक्ट्रिक कंपनी (डब्ल्यूईसी) के बीच बातचीत पर चर्चा की थी।
और अब अगली पीढ़ी के छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर टेक्नोलॉजी को विकसित करने पर चर्चा जोरों पर चल रही है, जो घरेलू बाजार के साथ-साथ तीसरे देशों को निर्यात करने के लिए भी हैं।
जेट इंजन पर अगले स्तर की बातचीत
भारत में GE F-414 जेट इंजन के निर्माण के लिए जनरल इलेक्ट्रिक और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद, दोनों पक्ष GE जेट इंजन सौदे को तेजी से आगे बढ़ाने की दिशा में भी काम कर रहे हैं, जिस पर जून की यात्रा में सहमति बनी थी।
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट एमके 2 को लेकर, पिछले हफ्ते अमेरिकी कांग्रेस ने इस सौदे को मंजूरी दे दी थी, जिसके बाद अब अमेरिका, अब अपने जेट इंजन टेक्नोलॉजी को पहले से कहीं तेजी के साथ ट्रांसफर कर सकेगा। रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों पक्ष इस सौदे के समापन में तेजी लाने के लिए काम कर रहे हैं।
रक्षा समझौते पर नेक्स्ट लेवल बातचीत
GE F-414 जेट इंजन सौदे के अलावा, दोनों पक्ष “सिक्योरिटी ऑफ सप्लाई एरेंजमेंट” और “रेसिप्रोकल डिफेंस प्रोक्योरमेंट एग्रीमेंट” पर भी बातचीत कर रहे हैं।
भारत द्वारा जनरल एटॉमिक्स एमक्यू-9बी हेल यूएवी, अत्यधिक शक्तिशाली ड्रोन – खरीदने की अपनी योजना से अवगत कराने के बाद दोनों पक्ष एक योजना पर चर्चा कर रहे हैं, कि जनरल एटॉमिक्स एक व्यापक वैश्विक एमआरओ सुविधा भी स्थापित करेगा और बाइडेन की इस यात्रा के दौरान, इसको लेकर ठोस घोषणा होने की उम्मीद है।
छात्रों के लिए भी होगी बातचीत
इसके अलावा, दोनों पक्ष भारतीय छात्रों के लिए तैयार किए गए शैक्षणिक कार्यक्रमों की घोषणा करने की दिशा में भी काम कर रहे हैं, जहां एक विशेष उद्योग में विशेषज्ञता के साथ, एक साल की मास्टर डिग्री के लिए एसटीईएम पाठ्यक्रम पेश किए जाएंगे।
इस कार्यक्रम के बाद, छात्रों के पास तीन साल तक अमेरिका में रहने और वहां काम करने का विकल्प दिया जाएगा।
यूक्रेन पर भी मोदी-बाइडेन में होगी बात
हालांकि, यूक्रेन पर रूसी हमले की अभी तक भारत ने आलोचना नहीं की है, लेकिन माना जा रहा है, कि यूक्रेन में संयुक्त मानवीय सहायता भेजने को लेकर भारत और अमेरिका के नेताओं के बीच बातचीत हो सकती है।
भारत ने अब तक लगभग 100 टन मानवीय सहायता यूक्रेन में भेजी है, जिसमें आवश्यक दवाएं, चिकित्सा उपकरण, कंबल, तंबू, भोजन शामिल हैं। जबकि वाशिंगटन ने अब तक घातक हथियार भेजे हैं और भारत ने केवल मानवीय सहायता भेजी है। इस संयुक्त मानवीय सहायता को, मास्को के लिए एक संदेश के रूप में माना जा रहा है। लेकिन प्रस्ताव को अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया है।