China in G20 summit: चीन ने आखिरकार आधिकारिक तौर पर ऐलान कर दिया है, कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग जी20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने भारत नहीं आएंगे और उनकी जगह पर देश के प्रधानमंत्री ली कियांग दिल्ली का दौरा करेंगे।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने एक संक्षिप्त बयान में कहा, कि भारत गणराज्य की सरकार के निमंत्रण पर, राज्य परिषद के प्रधान मंत्री ली कियांग 9 और 10 सितंबर को नई दिल्ली (भारत) में आयोजित होने वाले 18वें जी20 शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे।
लिहाजा, जानना जरूरी हो जाता है, कि प्रधानमंत्री ली कियांग कौन हैं और किस तरह से क्रूरता करने का तोहफा उन्हें प्रधानमंत्री बनाकर दिया गया।
इसी साल बने हैं प्रधानमंत्री राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बेहद करीबी और विश्वासपात्र ली कियांग को चीन का नया प्रधानमंत्री इसी साल मार्च महीने में बनाया गया था। चीन की 14वीं नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के एक सत्र के दौरान ली कियांग को प्रधानमंत्री बनाने की घोषणा की गई थी। ली कियांग इससे पहले चीन के शंघाई शहर के पार्टी सचिव थे और मार्च से चीन के प्रधानमंत्री का पद संभाल रहे हैं।
ली कियांग से पहले ली केकियांग चीन के प्रधानमंत्री थे, जो 2013 में इस उम्मीद के साथ प्रधानमंत्री बने थे, कि वे चीन में उदार सुधारों की शुरुआत करेंगे। लेकिन, उनकी शक्ति पर शी जिनपिंग ने पूरी तरह से अंकुश लगा रखा था और बाद में उन्हें पूरी तरह से दरकिनार कर दिया गया था।
शी जिनपिंग ने अपने करीबी सहयोगियों के जरिए पूर्व प्रधानमंत्री ली केकियांग को पूरी तरह से घेरकर रखा था और पिछले साल कम्युनिस्ट पार्टी कांग्रेस में तय हो गया था, कि ली केकियांग को फिर से प्रधानमंत्री नहीं बनाया जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था, कि ली केकियांग शी जिनपिंग के विरोधी गुट ‘शंघाई गैंग’ के करीबी थे और इसीलिए वो राष्ट्रपति जिनपिंग के आंखों की किरकिरी थे।
ली कियांग को माना जाता है क्रूर शासक
ली किआंग को चीन में लगातार 2 सालों तक चले क्रूर शून्य कोविड पॉलिसी का जनक माना जाता है और उन्होंने शी जिनपिंग के आदेश पर ज़ीरो कोविड पॉलिसी और लॉकडाउन के बेरहमी से लागू करवाया था। 63 साल के ली कियांग ने अपने गृह प्रांत झेजियांग में चार दशकों तक सेवा की और शी जिनपिंग के पार्टी सचिव बनने के दौरान पूर्वी चीन के औद्योगिक क्षेत्र के शीर्ष अधिकारी थे और इसी दौरान वो शी जिनपिंग के विश्वासपात्र बन गये। शी जिनपिंग ने ही ली कियांग को शंघाई का पार्टी प्रमुख प्रमोट किया था, हालांकि कोविड संकट के दौरान ली कियांग की उनकी क्रूर शैली के लिए काफी आलोचना की गई। फिर भी वो शी जिनपिंग के करीबी बने रहे और फिर देश के प्रधानमंत्री पद तक पहुंचे। निक्केई एशिया की रिपोर्ट में कहा गया है, कि ली कियांग ने 1982 में झेजियांग कृषि विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री ली और दशकों बाद 2005 में हांगकांग पॉलिटेक्निक विश्वविद्यालय से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की डिर्गी ली और फिर वो कम्युनिस्ट पार्टी में गंभीर राजनीति से जुड़ गये।