रावी-ब्यास जल विवाद को लेकर अकाली दल प्रधान सुखबीर सिंह बादल का बड़ा बयान आया है. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार आई तो वो नदी जल बंटवारे को लेकर किए गए समझौतों को रद्द करेंगे.
Punjab News: शिरोमणि अकाली दल (SAD) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल (Sukhbir Singh Badal) ने शुक्रवार को ऐलान किया कि अगर उनकी पार्टी 2027 के विधानसभा चुनाव में पंजाब की सत्ता में वापसी करती है तो वह अन्य राज्यों के साथ नदी जल बंटवारे के सभी समझौते रद्द कर देगी.
अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि पड़ोसी राज्य, विशेष रूप से राजस्थान का पंजाब के पानी पर कोई हक नहीं है, लेकिन दुर्भाग्यवश वह हमारे कुल पानी का आधे से ज्यादा हिस्सा प्राप्त कर रहा है. बादल ने कहा कि वो सुनिश्चित करेंगें कि राज्य की किसान भी बहुमूल्य जल संसाधनों से लाभांवित हो सकें. क्योंकि उन्हें बहुत ज्यादा इसका प्रकोप भी झेलना पड़ता है. उन्होंने कहा कि पंजाब का अपनी नदियों पर पूरा अधिकार है.
जानें क्या है रावी-ब्यास जल विवाद
आपको बता दें कि देश के कई राज्यों में जल विवाद चल रहे हैं. इनमें से रावी-ब्यास जल विवाद भी लंबे समय से चला आ रहा है. 1966 के पंजाब पुनर्गठन अधिनियम के बीच राजस्थान और पंजाब के बीच यह विवाद रहा है. अधिनियम लागू होने के बाद जब हरियाणा और पंजाब अलग-अलग हो गए तो हरियाणा ने इन नदियों के पानी पर अपना दावा किया.
कई क्षेत्र हो सकते हैं सूखा ग्रस्त
पंजाब सरकार के अध्ययन से पता चला है कि प्रदेश के कई क्षेत्र 2029 तक सूखा ग्रस्त हो सकते है. सिंचाई के लिए भूजल का अत्यधिक दोहन किया गया है. पंजाब केद्र को हर साल करीब 70,000 करोड़ रुपए का गेहूं और धान देता है. प्रदेश के 138 ब्लॉकों में से 109 ब्लॉकों की स्थिति सूखे के लिहाज गंभीर है. इस वजह से पंजाब दूसरे राज्यों के साथ जल का बंटवारा नहीं करना चाहता है.