Vision 2047: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प व्यक्त किया है। उन्होंने 2028 तक विश्व की तीसरी आर्थिक शक्ति बनने का लक्ष्य निर्धारित किया है और फिर अगले 20 साल में एक पूर्ण विकसित राज्य का। सवाल यह है कि चुनावी वर्ष के ये संकल्प केवल चुनावी जुमले हैं या वास्तव में प्रधानमंत्री मोदी की बातों में गंभीरता है?
वैसे विकसित देश के तमगे का कोई स्थापित मानदंड नहीं है, पर इसके मूल्यांकन का आधार सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी), सकल राष्ट्रीय उत्पाद (जीएनपी), प्रति व्यक्ति आय, औद्योगीकरण का स्तर, व्यापक बुनियादी ढांचे का जाल और जीवन स्तर इत्यादि मानक हैं। इन्हीं मानदंडों के आधार पर विश्व बैंक ने पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं को चार समूहों में बांटा है: उच्च, उच्च-मध्यम, निम्न-मध्यम और निम्न आय वाले देश।
अप्रैल 2023 में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ ने वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक का एक डाटा जारी किया। जिसके अनुसार विकसित अर्थव्यवस्थाओं में कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका समेत जी7 के देश, यूरो एरिया वाले देश, चीन, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, स्वीडन और स्पेन जैसे देश और एशिया में इजरायल, सिंगापुर, कतर, यूएई आदि को शामिल किया गया है, जबकि भारत को अभी भी इमर्जिंग एंड डेवलपिंग इकोनॉमी वाले देशों के साथ रखा गया है।
साइज में भारत की अर्थव्यव्स्था दुनिया की पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था है। पर हमारी जनसंख्या दुनियाभर में सबसे अधिक है। यही कारण है, कि जब प्रति व्यक्ति जीडीपी, प्रति व्यक्ति राष्ट्रीय आय, प्रति व्यक्ति शिक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च या प्रति व्यक्ति उपभोग की तुलना करते है, तो भारत एकदम से निचले पायदान वाले देशों में गिना जाने लगता है। इस समय भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 2,389 अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है। विश्व रैंकिंग में हम प्रति व्यक्ति जीडीपी के मामले में 128वें नंबर पर हैं, और एशिया में 31वें नंबर पर। 2021 -22 के लिए संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा जारी मानव विकास सूचकांक में भारत 191 के देशों की सूची में 132वें नंबर पर है।
संयुक्त राष्ट्र सांख्यिकी विभाग के आंकड़ों के अनुसार चीन 28.7% वैश्विक विनिर्माण उत्पादन के साथ दुनिया में पहले नंबर का औद्योगिक देश बन गया है। उसके बाद अमेरिका 16.8% वैश्विक विनिर्माण उत्पादन के साथ दूसरे नंबर पर, जापान 7.5% वैश्विक विनिर्माण उत्पादन के साथ तीसरे नंबर पर, जर्मनी 5.3% वैश्विक विनिर्माण उत्पादन के साथ चौथे नंबर पर और भारत 3.1% वैश्विक विनिर्माण उत्पादन के साथ पांचवे स्थान पर है।
स्पष्ट है कि एक विकसित राष्ट्र बनने के लिए भारत को अभी लंबी दूरी तय करनी है। अंग्रेजी की एक कहावत है कि हजारों मील की यात्रा एक कदम से शुरू होती है। प्रधानमंत्री मोदी वह शुरू कर चुके हैं। 9 साल पहले जहां भारत था वहां से विकसित राष्ट्र की तरफ आगे बढ़ना शुरू हो चुका है। भारत का जीडीपी 2023 में 3.75 ट्रिलियन डॉलर के आंकड़े को छू गया है, जो 2014 में 2 ट्रिलियन डॉलर से भी कम था। 2014-15 में प्रति व्यक्ति राष्ट्रीय आय (मौजूदा कीमतों पर) 86,647 रुपये थी। यह अब 172,000 रुपये है। यानी इसमें 98.5% की वृद्धि हुई है। पर इतना काफी नहीं है भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए।
जनसंख्या का आकार और उसके हिसाब से एक विकसित राष्ट्र का विकास भारत तभी कर सकता है, जब वह अगले 30 साल तक चीन की तरह हर क्षेत्र में अपना विस्तार कर सके। लगातार आठ फीसदी या उससे अधिक की विकास दर हासिल करे। मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में वह चीन की जगह ले। निजी निवेश और विदेशी निवेश का बड़ा प्रवाह भारत में बने। जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करे।
प्रधानमंत्री मोदी को यह मालूम है और उन्होंने हर दिशा में प्रयास भी शुरू किया है। मोदी कोई अर्थशास्त्री नहीं है पर एक अच्छे व्यापारी की तरह भारत के लिए संभावनाओं का निर्माण कर रहे हैं। सिस्टम में शिथिलता ना आए, इसके लिए वह खुद प्रोग्रामिंग करते हैं। वह सरकार की दिशा एक रखते हैं। आथिर्क विषयों के सभी मंत्रालयों के बीच समन्वय का काम खुद करते हैं। समय पर और शेड्यूल के अनुसार काम हो इसकी गारंटी करते हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर पर उनका विशेष जोर है, इसलिए 5 साल का बजट एक साथ बना देते हैं, कही ढिलाई ना हो, इसके लिए गतिशक्ति योजना बनाते हैं। घरेलू सामान बने और बिके, इस हेतु वोकल फाॅर लोकल जैसे भावनात्मक नारा देते हैं। देश में बाहर से टेक्नोलॉजी और पैसा आए इसके लिए सभी धनी देशों के प्रमुखों से व्यक्तिगत संबध बनाते हैं। हमारा सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी चीन अपने भीतर और बाहर के गतिरोधों से घिरा रहे, इसके लिए कूटनीतिक दांव पेंच करते हैं। वह राज्यों को ज्यादा आर्थिक स्वायतत्ता और सहयोग देते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी के अंदर भारत के विकसित देश बनने का विश्वास ऐसे ही नहीं बना है, उनके विश्वास का आधार दुनिया भर के संस्थानों का आकलन भी है। गोल्डमैन सैक्स रिसर्च का अनुमान है कि भारत 2075 तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। अब तो चीन भी भारत की आर्थिक विकास की दुहाई देने लगा है। पर यह भी सच्चाई है कि भारत ने विकास के दौर में खुद को बड़े लीग में शामिल करने में देर कर दी है। पर मोदी संभवतः चिड़ियों को बाज से लड़ाने के हौसलों की बात कर रहे हैं। विकासशील से विकसित देश बन जाने का यह हौसला भी कम नहीं है।