Chandrayaan-3 vs Luna 25: बुधवार को रूस का लूना-25 चंद्रमा की कक्षा में चंद्रयान-3 के साथ शामिल हो गया है और यह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अपनी लैंडिंग के लिए तैयार है।
Chandrayaan-3 s Russia’s Luna 25: गुरुवार यानी 17 अगस्त को भारतीय अनुसंधान संगठन यानी इसरो को बड़ी सफलता हाथ लगी है। इसरो ने जानकारी दी है कि चंद्रयान स्पेसक्राप्ट प्रोपल्शन माड्यूल से सफलता पूर्वक लैंडर विक्रम अलग हो गया है। इसी के साथ भारत का चंद्रमा पर पहुंचने का सपना कुछ ही दिनों में पूरा होने वाला है। हालांकि यह एक मात्र ऐसा देश नहीं है, जो ऐसा कारनामा कर दिखाएगा। बता दें कि बुधवार को रूस का लूना-25 चंद्रमा की कक्षा में चंद्रयान-3 के साथ शामिल हो गया है और यह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अपनी लैंडिंग के लिए तैयार है।
चंद्रयान-3 पहले करेगा लैंडिंग
दोनों मिशनों की ओवरलैपिंग टाइमलाइन के परिणामस्वरूप दो ग्लोबल पावर के बीच आसमान में एक रोमांचक कंपटीशन हुआ है। जबकि चंद्रयान-3 चंद्रमा के साउथ पोल पर पहले उतरने का योजना बना रहा है। वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि लूना -25 के तेज प्रक्षेपवक्र ने नई रोशनी पैदा की है।
भारत का तीसरा लूनर मिशन
बता दें कि दोनों स्पेसक्राप्ट भले ही एक साथ चंद्रमा की सतह पर पहुंचने वाले हों, लेकिन चंद्रयान-3 और लूना-25 दोनों ने अलग-अलग प्रक्षेप मार्ग का सहारा लिया है। चंद्रयान-3 भारत का तीसरा चंद्रमा पर पहुंचने के लिए तीसरा मिशन है। इसरो ने इसे श्रीहरि कोटा स्पेसस्टेशन से 14 जुलाई को लांच किया था और लॉन्चिंग से 40 दिन के भीतर इसकी लैंडिंग के लिए प्रयास कर रहा है।
11 दिन के भीतर ही लैंडिंग के लिए तैयार लूना-25
जबकि, रूस ने 10 अगस्त को लूना-25 की लॉन्चिंग की थी और इसने चंद्रमा तक पहुंचने के लिए सबसे सीधे प्रक्षेप मार्ग का सहारा लिया है। लूना-25 अपने लॉन्चिंग के 11 दिन के भीतर ही लैंडिंग की तैयारी कर रहा है। इसी के साथ रूस ने चंद्रमा मिशन में एक ऐतिहासिक वापसी की है, रूस ने पहली बार पाच दशक पहले साल 10976 यानी सोबियत युग के समय लूना-24 को चंद्रमा पर भेजा था। लूना-25 की तीव्र यात्रा का श्रेय मिशन के हल्के डिजाइन और बेहतरीन फ्यूल स्टोरेज को दिया जाता है, जो इसे अपने गंतव्य तक छोटा रास्ता तय करने में सक्षम बनाता है।