राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में मत्स्य पालन की भूमिका धीरे-धीरे बहुत ही मजबूत होती जा रही है। केंद्र सरकार भी इस दिशा में काफी फोकस कर रही है। क्योंकि, मछली पालन के क्षेत्र में विकास की काफी ज्यादा संभावनाएं हैं। हरियाणा में शुरू से यह क्षेत्र बहुत उन्नत नहीं था। लेकिन, पहले से आज की तुलना करेंगे तो चमत्कार ही नजर आएगा।
मछली पालन आज आय और रोजगार पैदा करने वाला बहुत ही शक्तिशाली क्षेत्र बनकर उभरा है। क्योंकि, मछली पालन इससे जुड़े कई अन्य उद्योगों के विकास का स्रोत है। दूसरी तरफ कम आय वर्ग वालों के लिए यह बहुत कम लागत वाले बेहतर प्रोटीन का भी महत्वपूर्ण साधन है।
मछली पालन में देश में अपनी छाप छोड़ने में सफल रहा है हरियाणा हरियाणा की सरकार ने मछली पालन की संभावित क्षमता की बहुत ही समय पर पहचान की है। क्योंकि, यह न सिर्फ राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित कर सकता है, बल्कि विदेशी मुद्रा अर्जित करने का भी बहुत बड़ा संसाधन बन चुका है। हरियाणा में मछली पालन बहुत पुराने समय की चीज नहीं रही है। लेकिन, कुछ ही वर्षों में इसने इस क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ने में सफलता प्राप्त की है।
इकाई क्षेत्र में औसत उत्पादन में दूसरे स्थान पर आज जब प्रदेश में मनोहर लाल खट्टर की सरकार है, तो हरियाणा प्रति इकाई क्षेत्र में औसतन सालाना मछली उत्पादन में देश में दूसरे स्थान पर पहुंच चुका है। प्रति हेक्टेयर क्षेत्र में देश में सालाना मछली उत्पादन का औसत 2,900 किलो है, जबकि हरियाण में यह औसत 7,000 किलो है।
मछली पालन के क्षेत्र में भी आश्चर्यजनक बढ़ोतरी मछली पालन में हरियाण की प्रगति को आंकड़ों की भाषा से समझना ज्यादा आसान है। जब नवंबर 1966 में हरियाणा राज्य का गठन हुआ था तो प्रदेश में महज 58 हेक्टेयर में मछली पालन होता था। मार्च, 2021 तक मछली पालन का क्षेत्र बढ़कर 18,207.60 हेक्टेयर हो चुका था।
दिल्ली से सटे जिलों को मिल रहा है ज्यादा मुनाफा हरियाणा के जो जिले राजधानी दिल्ली से सटे हुए हैं, उन्होंने मछली बाजार को समझने में और भी सफलता पाई है। वे तभी जिंदा मछलियों को दिल्ली के बाजारों तक पहुंचा देते हैं, जब वे 600 से 700 ग्राम की होती हैं। इसका लाभ उन्हें ज्यादा कीमतों के रूप में मिलता है।
कम जल संसाधन के बावजूद हैरान करने वाली प्रगति इन बदलावों का परिणाम है कि 1966-67 में हरियाणा में जो सभी संसाधनों से सालाना 600 मीट्रिक टन मछली उत्पादन होता था, वह साल 2022-23 में बढ़कर 2,10,500 मीट्रिक टन तक पहुंच चुका है। यहां गौर करने वाली बात है कि हरियाणा ऐसा राज्य है, जहां जल संसाधनों के स्रोत बहुत ही सीमित हैं, लेकिन इसके बावजूद जो प्रगति हो रही है, वह निश्चित ही तारीफ के काबिल है।
इस तरह के बदलाव सिर्फ बातों से नहीं आते। हरियाणा सरकार ने मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए हर छोटी-छोटी आवश्यकताओं पर ध्यान दिया है। सभी उपलब्ध जल स्रोतों को मछली उत्पादन के लिए संवारा गया है। मछली उत्पादकों को जरूरी तकनीकी प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता देकर इसके लिए तैयार किया जा रहा है। आज राज्य के गावों में जितने तालाब हैं, उनमें से 80% से अधिक को मत्स्य पालन के दायरे में लाया जा चुका है। (कुछ तस्वीरे प्रतीकात्मक)