लोकसभा से विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी (Adhir Ranjan Chowdhary) को निलंबित कर दिया गया है.
जब तक विशेषाधिकार कमेटी (Privileges Committee) उनके खिलाफ रिपोर्ट नहीं सौंप देती, तब तक उनका निलंबन जारी रहेगा. फिलहाल यह मामला विशेषाधिकार समिति के पास है. बीजेपी नेता और संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने अधीर रंजर पर आरोप लगाते हुए बताया कि विपक्षी नेता ने संसदीय कार्यवाही में बाधा उत्पन्न की है और पीएम नरेंद्र मोदी का अपमान किया है. जिसके बाद उनके खिलाफ प्रस्ताव पेश किया गया है. जिसे स्वीकार कर लिया गया है. इसके बाद निलंबन की कार्रवाई हुई है.
अधीर रंजन चौधरी ने क्या कहा?
इस पूरे मसले पर अपनी सफाई देते हुए कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि उनका मकसद पीएम मोदी को नीचा दिखाना बिल्कुल भी नहीं था. उन्होंने आगे कहा कि यह कार्रवाई पूरी तरह से अलोकतांत्रिक है. हालांकि, ये इस तरह का पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी कई सांसदों को निलंबित किया गया है, जिन्होंने संसद की मर्यादा और बनाए गए नियमों का उल्लंघन किया था. अब सवाल यह है कि जब सांसद निलंबित होते हैं तो उनके पास कितने अधिकार बचते हैं और क्या उन्हें सुविधाएं मिलती हैं?
सांसदों से छीन लिए जाते हैं ये अधिकार
जब किसी सांसद को निलंबित कर दिया जाता है, तो उसके सदन में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है, यानी वह सदन में प्रवेश नहीं कर सकता है. इतना ही नहीं, वे किसी समिति की बैठकों में भी भाग नहीं ले सकते हैं. इसके अलावा वह चर्चा या नोटिस के भी योग्य नहीं होते हैं. यहां तक कि निलंबित सांसद अपने सवालों का जवाब पाने का अधिकार खो देते हैं.
कितने दिनों तक सांसद को किया जा सकता है निलंबित
अब आइए जानते हैं कि आखिर यह अधिकार किसके पास है कि वह किसी भी सांसद को सदन से निलंबित कर सकते हैं. यदि सदन के अध्यक्ष को लगता है कि सदन का कोई भी सदस्य अपने अधिकार से आगे निकल गया है और सदन की कार्यवाही में किसी न किसी तरह से बाधा डाल रहा है, तो ऐसे सांसदों को एक दिन के लिए या एक निश्चित अवधि के लिए या एक सत्र के लिए निलंबित किया जा सकता है.
संविधान में स्पीकर को सांसदों को निलंबित करने की ये शक्ति दी गई है. हालांकि इनकी भी सीमित शक्ति है, स्पीकर किसी भी सांसद को एक से अधिक सत्र के लिए निलंबित नहीं कर सकते.
2014 के बाद कितने सांसद हुए निलंबित
अगर निलंबित सांसदों की लिस्ट देखी जाए तो इसमें सबसे ऊपर आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह और राघव चड्ढा हैं. वही 2014 के बाद देखा जाए तो कई सांसदों को सदन की कार्यवाही में बाधा डालने के आरोप में निलंबित किया गया.
26 जुलाई, 2022: सदन की कार्यवाही को बाधित करने और मूल्य वृद्धि पर चर्चा और गुड्स एवं सर्विस टैक्स (GST) को वापस लेने की मांग करने के लिए 19 संसद सदस्यों (सांसदों) को सप्ताह के शेष दिनों के लिए राज्यसभा सत्र में भाग लेने से निलंबित कर दिया गया.
29 नवंबर, 2021: 12 राज्यसभा सांसदों को “अभूतपूर्व कदाचार” (unprecedented misconduct), “अनियंत्रित और हिंसक व्यवहार”(unruly and violent behavior), और “सुरक्षा कर्मियों पर जानबूझकर हमले” के लिए पूरे शीतकालीन सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया है.
21 सितंबर, 2020: 20 सितंबर को सदन में अनियंत्रित व्यवहार के लिए आठ राज्यसभा सांसदों को निलंबित कर दिया गया था.
5 मार्च, 2020: संसद के बजट सत्र के दौरान सात कांग्रेस सदस्यों को लोकसभा से निलंबित कर दिया गया.
नवंबर 2019: स्पीकर ओम बिरला ने कांग्रेस के दो सदस्यों को निलंबित कर दिया.
जनवरी 2019: तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) और ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) के कुल 45 सदस्यों को कई दिनों तक लगातार कार्यवाही बाधित करने के बाद निलंबित कर दिया.
अगस्त 2015: लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने सदन में “लगातार, जानबूझकर बाधा डालने” के लिए 25 कांग्रेस सांसदों को पांच दिनों के लिए निलंबित कर दिया.
13 फरवरी, 2014: तेलंगाना मुद्दे पर सदन में हंगामे के बाद अध्यक्ष मीरा कुमार ने (अविभाजित) आंध्र प्रदेश के 18 सांसदों को निलंबित कर दिया था.
2 सितंबर 2014: नौ सदस्यों को पांच दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया था.