यूपी के मुरादाबाद में 1980 में हुआ दंगा एक बार सुर्खियों में हैं।
43 साल बाद यह दंगा फिर तब चर्चा में आया जब उत्तर प्रदेश की विधानसभा सत्र में योगी सरकार ने 1980 में मुरादाबाद में हुए दंगों की 600 पन्नों की जांच रिपोर्ट पेश की जिसमें कई सनसनीखेज तथ्य सामने आए हैं।
आइए जानते हैं मुरादाबाद दंगे के 43 साल बाद हुए अचानक से योगी सरकार के कार्यकाल में इस बड़े खुलासे के क्या सियासी मायने हैं, यूपी की राजनीति पर क्या होगा इसका असर?
याद रहे यूपी का यह वो मुरादाबाद दंगा था जिसमें 83 लोगों की जान चली गई थी और 112 लोग जख्मी हुए थे। एकल सदस्सीय न्यायिक जांच के लिए गठित किए गए जस्टिस सक्सेना आयोग ने इस मामले में 20 फरवरी 1983 को रिपोर्ट सौंपी थी, लेकिन खुलासा इतने साल बाद हुआ है। इस रिपोर्ट में ऐसे खुलासे हुए हैं जिसके बाद विपक्षी पार्टी कांग्रेस तिलमिला उठी है।
इस रिपोर्ट से कांग्रेस की बेचैनी बढ़ने का कारण यह है कि
1980 में उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में ईद के दिन जब ईदगाह में दंगे हुए थे तब यूपी में कांग्रेस की वीपी सिंह के प्रतिनिधित्व वाली सरकार थी। 1983 में ही यह रिपोर्ट सौंप दी थी लेकिन अभी तक किसी सरकार ने इसे सार्वजनिक नहीं किया था लेकिन अब योगी सरकार ने इसकी सच्चाई सामने ला दी है।
योगी सरकार ने ऐसे समय में खुलासा किया है जब लोकसभा चुनाव 2024 नजदीक है, विपक्ष का आरोप है कि भाजपा जिस तरह मुस्लिम वोटरों में धीरे-धीरे अपनी पैठ बनाना चाह रही है, ये उसी का हिस्सा है। हालांकि इस रिपोर्ट को लेकर विपक्ष की बौखलाहट इसलिए भी है कि इस रिपेार्ट से साफ हुआ है कि मुरादाबाद के दंगे में भाजपा, आरएसएस या किसी हिंदू संगठन का कोई हाथ नहीं था।
यूपी में अल्पसंख्यक वोटरों की कुल संख्या
बता दें यूपी की 80 लोकसभा सीटों पर आम चुनाव में भाजपा जीत हासिल करने का लक्ष्य रखी है उनमें से 29 सीटें मुस्लिम बाहुल्य हैं। पूरे प्रदेश में करीब 4 करोड़ मुसलमान हैं जिसमें बड़ी संख्या में पसमांदा वोटर हैं।
किसकी वजह से हुआ था 1980 का दंगा, रिपोर्ट में हुआ खुलासा
रिपोर्ट में ये खुलासा किया गया है कि ये दंगा मुस्लिम लीग के दो नेताओं के राजनीतिक महात्वाकांक्षा के कारण हुआ था। मुस्लिम समुदाय का नेता कौन होगा इसको लेकर दोनों नेताओं के बीच खींचतान चल रही थी जो इस मुरादाबाद दंगे की प्रमुख वजह बनी। रिपोर्ट में कहा गया ये पूर्व नियोजित दंगा था, जिसे डॉ शमीम अहमद के नेतृत्व वाली मुस्लिम लीग और डॉक्टर हामिद हुसैन उर्फ डॉक्टर अज्जी के नेतृत्व वाले खाकसारों और उनके किराए के लोगों के द्वारा अंजाम दिया गया था।
भाजपा,आरएसएस की इसमें नहीं थी कोई भूमिका
इस रिपोर्ट में ये भी खुलासा हुआ है कि इस दंगे के समय मुरादाबाद ईदगाह में हुई उपद्रव समेत अन्य जगहों पर जो दंगा हुआ उसके लिए कोई भी हिंदू संगठन या राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) , भाजपा या कोई भी अधिकारी कर्मचारी जिम्मेदार नहीं था, इनकी इस दंगे में इन सबकी कोई भूमिका नहीं थी।
जानें 1980 में क्या हुआ था?
एकल सदस्सीय न्यायिक जांच के लिए गठित किए गए जस्टिस सक्सेना आयोग की रिपोर्ट के अनुसार नमाजियों के बीच में सूअर धकेल दिए गए थे। जिससे भड़के मुसलमानों ने शहर की हिंदू दुकानदारों और पुलिस अधिकारियों पर हमला किया था। जिसके बाद हिंदुओं ने बदला लिया और सांप्रदायिक दंगा भड़क उठा था।