विपक्ष ने मणिपुर मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है.
इस प्रस्ताव पर आज (8 अगस्त) लोकसभा में चर्चा हो रही है. इस अवसर पर बोलते हुए सांसद श्रीकांत शिंदे ने शिवसेना (ठाकरे समूह) पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे पर कटाक्ष किया. इस पर सांसद अरविंद सावंत ने भी तीखा जवाब दिया. तो, केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने शिंदे समूह का पक्ष लिया और अरविद सावंत को चेतावनी दी.
क्या बोले श्रीकांत शिंदे?
श्रीकांत शिंदे ने कहा, ”महाविकास अघाड़ी सरकार के दौरान सभी काम बंद कर दिए गए थे. क्योंकि, उद्धव ठाकरे घर से बाहर नहीं जा रहे थे. ढाई साल में सिर्फ ढाई दिन मंत्रालय जाने का रिकॉर्ड उद्धव ठाकरे के नाम रहा. 2019 में जनता ने बीजेपी और शिवसेना को बहुमत दिया. लेकिन, चुनाव के बाद महाविकास अघाड़ी का गठन हुआ. उन्होंने बाला साहेब के विचारों को बेचकर खुद को हिंदू धर्म से दूर करने का काम किया.
दिया ये जवाब
इसके बाद अरविंद सावंत ने कमेंट कर श्रीकांत शिंदे को जवाब दिया. “गोगाई ने मणिपुर का प्रस्ताव रखा. फिर ‘1963 और 1976 में क्या हुआ?’ ऐसे कुछ भाषण मैंने सुने. लेकिन, आप तब पैदा भी नहीं हुए थे,” अरविंद सावंत ने श्रीकांत शिंदे पर हमला बोला.
अरविंद सावंत ने बोला हमला
अरविंद सावंत ने कहा, “मणिपुर में हिंसा हुई, महिलाओं पर अत्याचार हुआ, फिर भी केंद्र सरकार 70 दिनों तक चुप रही. सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद प्रधानमंत्री 36 सेकेंड तक बोले. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनसीपी को ‘राष्ट्रीय भ्रष्ट पार्टी’ कहा. घोटालों के आरोपी चार दिन बाद महाराष्ट्र में सरकार में शामिल हो गए. महाराष्ट्र में सरकार असंवैधानिक है. अरविंद सावंत ने कहा, नीति आयोग, विश्व स्वास्थ्य संगठन, सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना के दौरान उद्धव ठाकरे द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की थी.
क्या बोले नारायण राणे?
इसी बीच सावंत के भाषण के बाद नारायण राणे बोलने के लिए खड़े हुए . राणे ने कहा, ”अरविंद सावंत का भाषण सुनते समय मुझे लगा कि मैं दिल्ली में नहीं बल्कि महाराष्ट्र की विधानसभा में बैठा हूं. अविश्वास प्रस्ताव पर बोलते हुए अरविंद सावंत ने श्रीकांत शिंदे को जवाब दिया. उद्धव ठाकरे के ग्रुप के हिंदुत्व पर टिप्पणी की . अगर आपको हिंदुत्व पर इतना ही गर्व था तो आपने 2019 में बीजेपी को धोखा देकर शरद पवार के साथ गठबंधन क्यों किया? तब हिंदू धर्म की ओर ध्यान नहीं गया था. सावंत हिंदुत्व और असली शिवसेना के बारे में बात कर रहे हैं. तो, वह शिवसेना में कब शामिल हुए?”