Badrinath Temple History: समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक बार फिर हिंदू धर्म पर बिगड़े बोल बोले हैं। सपा महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि बद्रीनाथ सहित अनेकों मंदिर बौद्ध मठों को तोड़कर बनाए गए हैं।
उत्तराखंड में स्थित बद्रीनाथ मंदिर चार धामों में से एक है। जो कि हिंदू आस्था के सर्वश्रेष्ठ स्थानों में से एक है। शीत ऋतु के दौरान यहां भीषण बर्फबारी होती है, जिसके चलते 6 महीने तक इस मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।
8वीं शताब्दी से लेकर 16वीं शताब्दी कई बार निर्माण
चमोली जिले में अलकनंदा नदी के किनारे गढ़वाल पहाड़ी पर बसे बद्नीनाथ मंदिर का जिक्र पौराणिक ग्रंथों में भी पाया जाता है। मंदिर के निर्माण को लेकर बताया जाता है कि 8वीं शताब्दी से लेकर 16वीं शताब्दी तक कई सारे परिवर्तन के साथ इसका निर्माण हुआ। बद्रीविशाल मंदिर का उल्लेख तमाम प्राचीन हिंदू ग्रंथों में मिलता है। इन ग्रंथों में भागवत पुराण, स्कंद पुराण और महाभारत आदि प्रमुख हैं।
भगवान विष्णु तपस्या में थे लीन
वैशाख मास में अक्षय तृतीया के बाद बद्रीनाथ के कपाट खोले जाते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार एक समय भगवान विष्णु तपस्या में लीन थे तो अचानक बहुत हिमपात होने लगा। जिससे बचाने के लिए देवी लक्ष्मी ने बदरी यानी बेर का पेड़ बनकर विष्णु जी को सुरक्षित किया। जिससे प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने इस स्थान को बद्रीनाथ के नाम से प्रसिद्ध का वर दिया था।
ऐसे शुरू हुई मंदिर में पूजा
धर्मिक ग्रंथों के अनुसार बद्रीनाथ की एक मीटर ऊंची प्रतिमा शालग्राम शिला से बनी हुई है। यह मूर्ति चतुर्भुज ध्यान मुद्रा में है। मंदिर में विष्णुजी के अलावा भगवान कुबेर और लक्ष्मी-नारायण की प्रतिमाएं भी स्थापित हैं। शंकराचार्यजी अपने बदरीधाम निवास के दौरान छह महीने यहां रुके थे।
तीन चाबियों से खुलता है बद्रीनाथ मंदिर
6 महीने तक बंद रहने वाले इस मंदिर के कपाट 3 चाबियों से खुलते हैं। बताया जाता है कि मंदिर की तीनों चाबियां अलग-अलग लोगों के पास होती है। पहली चाबी टिहरी राज परिवार के राज पुरोहित के पास, दूसरी बद्रीनाथ धाम के हक हकूकधारी मेहता लोगों के पास और तीसरी चाबी हक हकूकधारी भंडारी लोगों के पास होती है। इन्हीं तीनों चाबी की मदद से बद्रीविशाल के कपाट खोले जाते हैं।