‘शोले’ 70 के दशक की सुपर ब्लॉकबस्टर फिल्म है.
फिल्म के यूं तो कई किस्सों को आप जानते होंगे, लेकिन क्या आप जानते हैं कि संजीव कुमार इस फिल्म के लिए मेकर्स की पहली पसंद नहीं थे. इतना ही नहीं वह खुद भी ठाकुर का किरदार नहीं निभाना चाहते थे.
हालांकि बाद में जब उन्हें ठाकुर का किरदार मिला तो उन्होंने इस किरदार में जान फूंक दी थी.
साल 1975 में आई फिल्म ‘शोले’ इस साल की ब्लॉकबस्टर हिट साबित हुई थी. आज भी लोग इस फिल्म के हर एक किरदार को भूल नहीं पाए हैं. खासतौर पर गब्बर सिंह और ठाकुर के किरदारों के तो लोग आज भी फैंस हैं. सालों बाद आज भी ये फिल्म लोगों के दिलों पर राज करती है. चाहे वह जय-वीरु की जोड़ी हो या गब्बर और ठाकुर की दुश्मनी. इस फिल्म ने अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, अमजद खान, हेमा मालिनी, जया बच्चन और संजीव कुमार जैसे दिग्गज सितारों को आने वाले समय के लिए लोगों की पहली पसंद बना दिया था. क्या आप जानते हैं कि ठाकुर के किरदार के लिए संजीव कुमार पहली पसंद नहीं थे..
फिल्म शोले में ठाकुर का किरदार निभाकर वाहवाही लूटने वाले एक्टर संजीव कुमार तो खुद भी इस फिल्म में इस किरदार को निभाना नहीं चाहते थे.
वह तो फिल्म में गब्बर यानी अमजद खान वाला रोल निभाना चाहते थे. लेकिन ऐसा हो नहीं पाया. खबरों की मानें तो, ‘ठाकुर न झुक सकता है, ना टूट सकता है, ठाकुर सिर्फ मर सकता है…’ जैसे डायलॉग को आइकॉनिक बनाने वाले एक्टर संजीव कुमार गब्बर का रोल निभाना चाहते थे. लेकिन रमेश सिप्पी ने गब्बर वाले किरदार के लिए किसी और का नाम सोच रखा था. वह संजीव को उस किरदार में नहीं देखना चाहते थे. इसीलिए उन्होंने एक्टर अमजद खान को उस किरदार के लिए चुना.
साल 1975 की शोले में ‘ठाकुर’ का किरदार काफी फेमस हुआ था.
आज भी फैंस इस किरदार को भूल नहीं पाए हैं. वहीं इस फिल्म में संजीव कुमार ने कभी ना मिटने वाली छाप छोड़ दी थी. लेकिन संजीव कुमार इस किरदार को नहीं निभाना चाहते थे. वैसे ठाकुर के किरदार के लिए भी वह पहली पसंद नहीं थे.
ठाकुर के रोल के लिए पहली पसंद संजीव कुमार नहीं बल्कि दिलीप कुमार थे, लेकिन दिग्गज एक्टर ने ये रोल ठुकरा दिया. अपने इंटरव्यू में दिलीप कुमार ने इस रोल को ठुकराने का पछतावा कई बार जाहिर किया है.
बता दें कि साल 1975 की ये बड़ी हिट 3 करोड़ रुपये के बजट में बनकर तैयार हुई थी.
बाद में इस फिल्म ने वर्ल्ड वाइड 50 करोड़ रुपय का कलेक्शन किया था. साथ ही इस फिल्म ने ऐसा इतिहास रचा था कि आज भी इस फिल्म के कई रिकॉर्ड नई फिल्में नहीं तोड़ पाईं हैं. फिल्म की कहानी लिखने वाली लेखकों सलीम खान और जावेद अख्तर की जोड़ी को भी 10 हजार रुपये फीस दी गई थी. जो उस दौर के हिसाब से काफी ज्यादा थी.