लखीमपुर, [हरीश श्रीवास्तव]। दुधवा में चार बाघों की मौत के मामले की जांच कर रही राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की टीम ने जांच का अधिकांश काम पूरा कर लिया है। टीम ने दो दिन में चारों बाघों के मरने के घटनास्थल का दौरा कर परिस्थितिजन्य साक्ष्य एकत्र किए हैं।
टीम ने उन अधिकारियों से भी बात की, बयान दर्ज किए जो घटना के समय संबंधित रेंजों में तैनात थे।
टीम में शामिल अधिकारियों ने जांच के बारे में हालांकि कुछ बताया नहीं है पर समझा जा रहा है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट व परिस्थितिजन्य साक्ष्यों में एकरूपता नहीं पाई गई है। खासकर रामपुर ढकैया गांव में बाघिन की मौत के मामले में काफी भिन्नता है। तीन जून को इस गांव में दो वर्षीय बाघिन की मौत हुई थी, जो दो दिन से गांव के पास डेरा डाले हुए थी।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के हवाले से अधिकारियों ने बताया था कि बाघिन भूखी थी और उसके नाखून घिस गए थे तथा दांत टूटे थे, जिससे वह शिकार नहीं कर पा रही थी। इस वजह से उसकी मौत हुई थी। जबकि दो साल की उम्र बाघ के लिए अल्पवयस्क होती है और इतनी जल्दी उसके न तो दांत टूट सकते हैं और न ही नाखून घिस सकते हैं।
इसके अलावा बाघिन उस समय तक आक्रामक थी, जब वन विभाग की टीम उसे पकडऩे गई थी। बाघिन ने वन विभाग की टीम पर हमला भी किया था और उनकी गाड़ी पर चढ़ गई थी, जिससे बचने के लिए चालक ने गाड़ी को एक दीवार से टकरा दिया था। गाड़ी में उस समय बाघिन को ट्रेंकुलाइज करने वाली टीम भी सवार थी। उसके कुछ देर बाद ही बाघिन की मौत हो गई थी।
गांव के सैकड़ों लोग इसके गवाह हैं और इसका वीडियो भी इंटरनेट पर प्रसारित है। बाघिन के पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कहीं पर न तो चोट का जिक्र है और न ही उसे ट्रेंकुलाइज करने की बात है जबकि परिस्थितियां उसकी मौत के लिए इसी तरफ इशारा कर रही थीं। इसी तरह मैलानी के सलेमपुर बीट में 21 अप्रैल को हुई बाघ के मौत के मामले में भी पोस्टमार्टम रिपोर्ट व परिस्थिति जन्य साक्ष्यों में भिन्नता की बात कही जा रही है।
बाघ की मौत के लिए उसके पेट में हड्डी व पेट में छेद होना बताया गया था जिससे वह कुछ खा नहीं पा रहा था तथा भूख से उसकी मौत हो गई थी, जबकि बाघ के शरीर पर कोई घाव नहीं पाए गए थे न ही संघर्ष के कोई निशान मिले थे। बाघ के पेट में हड्डी कैसे पहुंची इसका कोई कारण नहीं बताया गया।
खास बात यह कि बाघ या कोई भी जानवर जब कुछ खाता है तो उसे काफी देखभाल कर खाता है फिर उसके मुह से इतनी बड़ी हड्डी कैसे अंदर चली गई कि वह कुछ खाने लायक नहीं रह गया। एनटीसीए की टीम जांच पूरी करने के बाद अपनी रिपोर्ट राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के अधिकारियों को सौपेंगी जिस पर विशेषज्ञ विचार करेंगे और उसके बाद कोई निर्णय लिया जाएगा।