नई दिल्ली: पिछले महीने कथित मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किए गए रियलिटी फर्म M3M के निदेशकों के लिए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने सुप्रीम कोर्ट में ईडी के खिलाफ बहस की. उन्होंने सर्वोच्च अदालत से कहा कि लोगों को जेल में डालने की कठोर शक्तियों को देखते हुए प्रवर्तन निदेशालय पर लगाम लगाई जानी चाहिए.
रिपोर्ट के मुताबिक ईडी की हिरासत में मौजूद गुरुग्राम स्थित एम3एम ग्रुप के दो भाइयों- बसंत बंसल और पंकज बंसल की ओर से पेश होते हुए हरीश साल्वे ने केंद्रीय एजेंसी के उस तरीके का जिक्र किया, जिसमें ईडी अधिकारियों ने दोनों भाइयों को पूछताछ के लिए बुलाया और अंत में उन्हें समन भेजा.
हरीश साल्वे ने सुप्रीम कोर्ट से कहा,
‘जैसे ही बसंत बंसल और पंकज बंसल ने समन स्वीकार करने से इनकार किया और उचित तरीके से तामील किए जाने पर जोर दिया, ईडी अधिकारियों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और उन पर जानबूझकर समन स्वीकार करने से इनकार करने का आरोप लगाया.’ मामले के परेशान करने वाले तथ्यों को ध्यान में रखते हुए साल्वे ने कहा, ‘जब ऐसी चीजें होती हैं, तो हमें सावधान रहना होगा. ये ईडी को दी गई कठोर शक्तियां हैं और अगर इस पर लगाम नहीं लगाई गई तो नागरिकों के लिए गंभीर परिणाम होंगे.’ इस पर जस्टिस सुंदरेश ने हल्के-फुल्के अंदाज में साल्वे से कहा, ‘आप ठीक कह रहे हैं. यह तो चूहे-बिल्ली का खेल है. वह भी कानून का इस्तेमाल कर रहे हैं.’
ईडी के खिलाफ M3M समूह की पैरवी कर रहे थे हरीश साल्वे
हरीश साल्वे प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दायर याचिका में अपने मुवक्किलों का बचाव करने के लिए न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश की पीठ के समक्ष पेश हो रहे थे. ईडी ने 12 जून को दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा पंकज बंसल और एक अन्य को अग्रिम जमानत देने के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था. ईडी ने दोनों भाइयों को हरियाणा के एक पूर्व विशेष न्यायाधीश के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले से जोड़ा था, जिन पर न्यायाधीश के समक्ष ईडी और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा दायर मामलों में M3M ग्रुप के डायरेक्टर्स और एक अन्य रियल एस्टेट फर्म IREO का पक्ष लेने का आरोप था. विशेष न्यायाधीश सुधीर परमार को 27 अप्रैल को निलंबित कर दिया गया था.
ED के पास मौजूद शक्तियां उसे बहुत ताकतवर बनाती हैं: साल्वे
एम3एम परिसरों पर छापेमारी के बाद ईडी ने 1 जून को एक बयान जारी किया था. इसमें यह आरोप लगाया गया था कि एम3एम समूह ने कथित तौर पर कई परतों में कई शेल कंपनियों के माध्यम से आईआरईओ समूह से लगभग ₹400 करोड़ प्राप्त किए. ईडी के बयान में आरोप लगाया गया है कि यह पैसा एम3एम समूह द्वारा निकाला गया था. हरीश साल्वे ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि एफआईआर में पंकज बंसल का नाम नहीं है, क्योंकि यह फर्म के एक अन्य निदेशक रूप बंसल के खिलाफ था. हरीश साल्वे ने कहा, ‘ये ईडी (मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम के तहत) के पास उपलब्ध बहुत मजबूत शक्तियां हैं जिनका इस्तेमाल लोगों को जेल में डालने के लिए किया जा रहा है.’ साल्वे के साथ वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी और मनिंदर सिंह ने भी एम3एम ग्रुप का पक्ष सर्वोच्च अदालत में रखा.
सुप्रीम कोर्ट ने PMLA के तहत की शक्तियों को बरकरार रखा था
आपकी जानकारी के लिए बात दें कि सुप्रीम कोर्ट की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने पिछले साल 27 जुलाई को गिरफ्तारी, जब्ती, गवाहों को बुलाने और कड़ी जमानत शर्तों की शक्तियों से संबंधित धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (Prevention of Money Laundering Act, 2002) के कठोर प्रावधानों को बरकरार रखा था. अगस्त में, सुप्रीम कोर्ट ने उसी फैसले के खिलाफ एक समीक्षा याचिका स्वीकार की. बाद में, शीर्ष अदालत की एक अलग पीठ ने पीएमएलए के दो विशिष्ट प्रावधानों की वैधता पर सवाल उठाने वाली याचिकाओं पर विचार किया- धारा 50 जो गवाहों को बुलाने और सबूत दर्ज करने की ईडी की शक्ति से संबंधित है और धारा 63 ईडी को गलत बयान देने के लिए सजा निर्धारित करती है. इन मामलों पर 18 जुलाई को सुनवाई होने की उम्मीद है.