चण्डीगढ़ : उत्तर प्रदेश व आसाम के पूर्व पुलिस महानिदेशक श्री प्रकाश सिंह,जो हरियाणा में 7 से 22 फरवरी, 2016 तक हुए आरक्षण आन्दोलन के दौरान पुलिस तथा नागरिक प्रशासन के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों की तरफ से की गई लापरवाही की जांच के लिए गठित कमेटी के अध्यक्ष है, ने आज यहां मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल को अपनी रिपोर्ट सौंप दी।
रिपोर्ट प्राप्त करने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार इस रिपोर्ट की जांच करेगी और शीघ्रातिशीघ्र उचित कार्यवाही करेगी। हरियाणा सरकार ने 7 से 22 फरवरी, 2016 तक की अवधि, जब जाट आरक्षण आन्दोलन के चलते कई जिलों में राष्ट्रीय राजमार्गों समेत विभिन्न सडक़ें अवरूद्ध कर दी गई और हिंसा हुई और सार्वजनिक व निजी सम्पत्तियों को काफी नुकसान हुआ था,के दौरान पुलिस तथा नागरिक प्रशासन के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों की तरफ बरती गई लापरवाही की जांच के लिए एक कमेटी गठित की थी।
उत्तर प्रदेश व आसाम के पूर्व पुलिस महानिदेशक तथा सीमा सुरक्षा बल के पूर्व महानिदेशक श्री प्रकाश सिंह अध्यक्षता में गठित इस कमेटी ने 2 मार्च, 2016 को अपना काम शुरू किया। महानिदेशक अपराध (वर्तमान में पुलिस महानिदेशक) श्री के.पी. सिंह तथा उच्चतर शिक्षा, अभिलेखागार तथा सांस्कृतिक कार्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री विजय वर्धन ने श्री प्रकाश सिंह का सहयोग किया। इस कमेटी ने प्रदेश के सभी आठ प्रभावित जिलों का दौरा किया, अपराध स्थलों का निरीक्षण किया, पीडि़तों की बात बड़े धैर्य से सुनी और जनसाधारण से उन लोगों की बात भी सुनी जो कमेटी के सामने उपस्थित होना चाहते थे। उनके द्वारा दी गई याचिकाएं स्वीकार की गई। उन्हें अपने बयान दर्ज करवाने की सुविधा भी दी गई। यह बड़ा विस्तृत और श्रमसाध्य कार्य था, जिसके दौरान कमेटी ने विभिन्न क्षेत्रों से 2217 लोगों का पक्ष सुना। कमेटी ने सभी जिलों में प्रशासनिक तथा पुलिस अधिकारियों से भी बातचीत की और उनका भी पक्ष सुना।
कमेटी द्वारा जुटाए गये सभी साक्ष्यों का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन किया गया। आज कमेटी ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है। यह रिपोर्ट दो भागों में और 451 पृष्ठों की हैं, जिसमें से मुख्य रिपोर्ट लगभग 200 पृष्ठों में है और अनुलग्नकों के 200 पृष्ठ अलग से हैं। दूसरा भाग, जिसके लगभग 37 पृष्ठ हैं, दंगों के संदर्भ में चौकसी विभाग की भूमिका से सम्बन्धित है।
इस रिपोर्ट में प्रभावित जिलों रोहतक, झज्जर,जीन्द,हिसार, कैथल, भिवानी, सोनीपत और पानीपत में अधिकारियोंं की भूमिका की जांच की गई है। जिन अधिकारियों ने अपनी ड्यूटी के दौरान लापरवाही बरती या जिन्होंने आन्दोलनकारियों के प्रति सहानुभूति दर्शाई और उन्हें मनमानी करने दी, उनकी पहचान की गई है। सरकार ऐसे अधिकारियों की भूमिका के सम्बन्ध में कमेटी के निष्कर्षों की जांच करेगी और उनके विरूद्घ की जाने वाली उचित कार्यवाही बारे निर्णय लेगी।
कमेटी ने नागरिक तथा पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली में सुधार के लिए भी कुछ सिफारिशें की हैं। इनकी भी सावधानीपूर्वक जांच की जाएगी और उचित कार्यवाही की जाएगी। कमेटी ने 71 दिनों की अवधि के अन्दर एक व्यापक रिपोर्ट पेश की है, जोकि सराहनीय है। राज्य सरकार कमेटी के निष्कर्षों और सिफारिशों पर त्वरित कार्यवाही करेगी।