Budget 2025: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण शनिवार, 1 फरवरी को आम बजट 2025-26 पेश करने वाली हैं। निर्मला सीतारमण का ये लगातार आठवां बजट है। यह बजट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार का अपने तीसरे लगातार कार्यकाल का दूसरा पूर्ण बजट होगा।
बजट को लेकर भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने एक रिपोर्ट जारी की है, दिसमें उन्होंने बताया है कि आने वाला बजट कैसे होगा। एसबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार अपने आगामी बजट 2025 में बुनियादी ढांचे, कृषि (खेती) एमएसएमई और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए कई घोषणाएं कर सकती है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि आगामी बजट में वैकल्पिक वित्तपोषण स्रोत, पीएलआई योजनाएं और भारत की हरित अर्थव्यवस्था और आपदा प्रबंधन को मजबूत करने की रणनीतियां शामिल हो सकती हैं। एसबीआई ने कहा, ”सरकार बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए वित्तपोषण के वैकल्पिक स्रोत पेश कर सकती है, जो आम तौर पर टैक्स फ्री बांड, टैक्स पैड बांड आदि जैसे बेहतर रेटिंग वाले उधारकर्ताओं के लिए लो बाजारों की तुलना में सस्ते होते हैं। यह दृष्टिकोण वित्तपोषण लागत को कम कर सकता है और बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा दे सकता है।”
SBI ने बताया एग्रीकल्चर बजट से क्या है उम्मीद?
एग्रीकल्चर बजट को लेकर एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि और संबद्ध क्षेत्रों (CGFTAAS) के लिए एक ऋण गारंटी निधि ट्रस्ट के निर्माण का सुझाव दिया है। यह कृषि मूल्य श्रृंखला वित्तपोषण (AVCF) सहित नए कृषि ऋणों के लिए कवरेज सुनिश्चित करके जल्द लोन देना का काम करेगा। इससे कृषि क्षेत्र में सुधार होगा। SBI ने बताया MSMEs बजट क्या है उम्मीद? एमएसएमई के लिए, रिपोर्ट ने कपड़ा, परिधान, हस्तशिल्प, खाद्य प्रसंस्करण, चमड़ा, इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटो घटकों जैसे प्रमुख क्षेत्रों के लिए पीएलआई शुरू करने की सिफारिश की है। इसने माइक्रो और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट (CGTMSE) के लिए आवंटन बढ़ाने और एमएसएमई ऋण कवरेज का विस्तार करने के लिए बैंकों को प्रोत्साहित करने का भी सुझाव दिया।
SBI ने बताया शिक्षा क्षेत्र का बजट कैसा होगा?
शिक्षा क्षेत्र में वैश्विक संस्थानों के साथ सहयोग और भारतीय संस्थानों के लिए विदेशी केंद्रों की स्थापना के माध्यम से सुधार देखने को मिल सकते हैं, ताकि अंतर्राष्ट्रीय छात्र यहां आकर पढ़ाई करे। रिपोर्ट के मुताबिक, इन सिफारिशों का उद्देश्य प्रमुख क्षेत्रों में आर्थिक विकास, लचीलापन और स्थिरता को बढ़ावा देना है।