नई दिल्ली : पूर्व प्रशासनिक अधिकारियों के एक ग्रुप ने दिल्ली दंगों की जांच के लिए छह सदस्यों को आमंत्रित किया है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के चार पूर्व जज भी शामिल हैं। इस कमेटी के जिम्मे दिल्ली दंगों की स्वतंत्र जांच होगी। फरवरी में हुए दंगों में 53 लोग मारे गए थे, जबकि करोड़ों का नुकसान हुआ था। इसके बाद कई नेता और छात्र गिरफ्तार हुए। मामले की जांच में विदेशी फंडिंग की भी बात सामने आई थी।
कॉन्स्टिट्यूशन कंडक्ट ग्रुप (CCG) के मुताबिक दिल्ली पुलिस की जांच पर सवाल खड़े हो रहे हैं। जिस वजह से विशेष जांच की जरूरत पड़ी है। ये कमेटी दंगों के दौरान क्या-क्या हुआ, इसकी पूरी जांच करेगी। चार जजों के अलावा इसमें एक पूर्व प्रशासनिक अधिकारी और एक IPS शामिल हैं। जिनके नाम जस्टिस मदन लोकुर (सुप्रीम कोर्ट), जस्टिस एपी शाह (दिल्ली हाईकोर्ट), जस्टिस आरएस सोधी (दिल्ली हाईकोर्ट), जस्टिस अंजना प्रकाश (पटना हाईकोर्ट), जीके पिल्लई (पूर्व होम सेक्रेट्री) और मीरान चड्ढा (Ex. IPS) हैं।
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CCG के मुताबिक पैनल के जिम्मे पूर्वी दिल्ली में हुए भयानक दंगों की जांच करना है। इसमें वो हिंसा की प्रवृति, मौतें और उनके कारण की जांच करेंगे। इस पैनल को ‘सिटीजन कमेटी ऑन दिल्ली राइट्स ऑफ फरवरी 2020’ दिया गया है। ये पैनल इस बात पर ध्यान देगा कि दंगों से निपटने में राज्य मशीनरी ने कैसा काम किया। इसके अलावा इसमें सोशल मीडिया की क्या भूमिका रही। दंगों के बाद प्रशासन द्वारा किए गए राहत कार्यों का भी विश्लेषण कमेटी करेगी। वैसे अभी ये तय नहीं है कि पैनल कब से काम शुरू करेगा, लेकिन इसको रिपोर्ट देने के लिए 12 हफ्तों का वक्त लगने की उम्मीद है। आपको बता दें कि CCG खुद की पहचान ऐसे पूर्व सिविल सेवकों के समूह के रूप से करता है, जिन्होंने केंद्रीय और राज्य दोनों स्तरों पर सेवाएं दी हैं।