जयपुर। राजस्थान की भजनलाल सरकार को आज एक साल पूरा हो गया है और सरकार की वर्षगांठ का जश्न मनाया जा रहा है। लेकिन, क्या आपको पता है कि सरकार ने पहले ही साल में कौन-कौनसी बड़ी पहल की। भजनलाल सरकार ने राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इन्वेस्मेंट समिट के माध्यम से सभी 50 जिलों में विकास करने की दिशा में बड़ी पहल शुरू की है।
पहली बार ऐसा हुआ है जब राज्य सरकार ने आगामी पांच साल का विजन तय किया है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने राजस्थान की अर्थव्यवस्था को 350 बिलियन डॉलर की बनाने का लक्ष्य रखा है। पहले ही साल में बड़ी पहल कर दी है। देश-विदेश की कंपनियों की ओर से बड़ा निवेश किए जाने की उम्मीद जगी है। आइए जानते है भजनलाल सरकार की बड़ी उपलब्धियों और चुनौतियों के बारे में
भजनलाल सरकार उपलब्धियां
1. पेपर लीक माफियाओं पर कार्रवाई: प्रदेश में भाजपा की सरकार बनते ही पेपर लीक माफियाओं पर तीव्र गति से कार्रवाई हुई। पेपर लीक माफियाओं की गिरफ्तारी तो हुई ही. साथ ही अभ्यर्थियों को भी पकहा गया। आरपीएससी के सदस्यों को भी गिरफ्तार किया।
2. जल का मुद्दा सुलझाया: वर्षों से विवादों में अटकी ईआरसीपी का मामला सुलझाया। दिल्ली में जलशक्ति मंत्री की मौजूदगी में राजस्थान और मध्यप्रदेश के बीच डीपीआर तैयार करने पर एमओयू हुआ। इससे 21 जिलों को सिंचाई पेयजल का पानी मिलेगा।
3. निवेश के द्वार खोले: सरकार ने पहले ही साल में निवेश के द्वार खोले हैं। राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट में 35 लाख करोड़ रुपए के एमओयू किए हैं। उम्मीद है कि इन एमओयू से प्रदेश में निवेश बढ़ेगा। रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
भजनलाल सरकार के सामने 6 बड़ी चुनौतियां
राजस्थान में कर्मचारियों के लिए तबादला नीति बनाने की जरूरत है। अभी कितने समय में तबादला होगा, यह तय नहीं है। इससे कर्मचारियों में असंतोष रहता है। सरकार के सामने ये बड़ी चुनौती है।
1. तबादला नीति: स्थानान्तरण में भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए नीति बनाने का मामला ठंडे बस्ते में चला गया है।
2. दिखानी होगी एकजुटता: सीएम सहित मंत्रिमंडल में 80 प्रतिशत नए चेहरे हैं। मंत्रिमंडल में एकजुटता की कमी दूर करनी होगी।
3. ब्यूरोक्रेसी हावी न हो: राजनीतिक गलियारों में यह मैसेज है कि अधिकारी ज्यादा हावी हैं। सीएम को यह धारणा बदलनी होगी।
4. हो कुशल वित्त प्रबंधन: वित्तीय घाटा कम करने के लिए ठोस कदम उठाना सबसे बड़ी चुनौती है। वित्त प्रबंधन की जरूरत।
5. नए जिलों पर हो निर्णय: पिछली सरकार ने 19 जिलों का गठन किया, प्रदेश में जिले 50 हो गए। मौजूदा सरकार ने इसकी समीक्षा के लिए मंत्री मंडलीय कमेटी गठित की, लेकिन निर्णय पर नहीं पहुंच पाए।
6. नए संभाग पर देना होगा ध्यान: संभाग मुख्यालयों को अभी पूरे संसाधन नहीं मिले हैं। यहां संभाग सारीय संस्थान भी खोले जाने हैं। इस दिशा में जल्द पहल की जरूरत है।