World Test Championship: वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप की अंक तालिका में जीत का प्रतिशत कई टीमों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रहा है। इससे कई टीमें निचले पायदान पर पहुँच जाती हैं, भले ही उनके जीते हुए मैचों की संख्या ज्यादा हो। यह आज से नहीं हो रहा है, इवेंट शुरू होने के समय से ही चल रहा है।
साल 2019 में जब टेस्ट चैम्पियनशिप की शुरुआत हुई थी, तब अंक तालिका में मामला इतना पेचीदा नहीं था। सीधा गणित यही था कि दो साल के सायकल में जो टॉप दो टीमें तालिका में होंगी, उनके बीच फाइनल मुकाबला खेला जाएगा। बाद में इस नियम को बदल दिया गया।
यह कोरोना की वजह से हुआ। कोविड के कारण वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप की कई सीरीज रद्द कर दी गई। ऐसे में बाकी टीमों को मैच जीतने के आधार पर टॉप पर मानना गलत होता। इस समस्या से निटपने के लिए आईसीसी ने जीत प्रतिशत को लागू कर दिया। सबसे ज्यादा जीत प्रतिशत वाली दो टीमों को फाइनल में जाने के योग्य माना गया। मौजूदा अंक तालिका को ही लें, तो टॉप टीम से ज्यादा मैच खेलने वाली टीम पांचवें स्थान पर खिसकी हुई है।
आईसीसी को देखना चाहिए कि ज्यादा मैच जीतकर कैसे कोई टीम नीचे रह सकती है। दक्षिण अफ्रीका ने 10 में से 6 मैच जीतकर टॉप स्थान प्राप्त किया है। इंग्लैंड ने 21 में से 11 मैच जीतकर पांचवां स्थान हासिल किया है। ऑस्ट्रेलिया और भारत ने 9-9 मुकाबले अपने नाम किये हैं लेकिन तालिका में दूसरा और तीसरा स्थान है। यहाँ दक्षिण अफ्रीका का जीत प्रतिशत अच्छा है, इस वजह से टॉप स्थान दिया गया है। आईसीसी को इस मामले में सुधार करना पड़ेगा। सीरीज जीतने के लिए भी अंक निर्धारित करने पड़ेंगे और दो टेस्ट की सीरीज को वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप के सायकल से बाहर रखना पड़ेगा। कई टीमें 2-0 से सीरीज जीतकर पूरे 100 अंक ले उड़ती हैं।
कोरोना के लिए शुरू किया गया सिस्टम बाद में नियमित कर दिया गया, यहाँ आईसीसी से गलती हुई है। अंक तालिका को सिम्पल रखना ही सही है। जिस टीम ने ज्यादा मैच जीतकर अंक हासिल किये हैं, उसे ही फाइनल खेलने का हक मिलना चाहिए।