Farmers Protest: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण याचिका को खारिज कर दिया है। जिसमें किसानों के विरोध प्रदर्शनों के चलते पंजाब के राष्ट्रीय राजमार्गों पर जारी नाकेबंदी को हटाने की मांग की गई थी। यह याचिका एक सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा दायर की गई थी। जिसमें इन रुकावटों के कारण राष्ट्रीय सुरक्षा, नागरिकों के आवागमन और आपातकालीन सेवाओं पर पड़ने वाले गंभीर प्रभावों को उजागर किया गया था।
याचिका में क्या थी मांग
याचिकाकर्ता ने राष्ट्रीय राजमार्गों और रेलवे पटरियों पर चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन को लेकर चिंता जताई। याचिका में मौलिक अधिकारों, विशेष रूप से नागरिकों के निर्बाध आवागमन के अधिकार और आपातकालीन सेवाओं में बाधा का मुद्दा उठाया गया। इसमें आरोप लगाया गया कि यह स्थिति राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा पैदा करती है। क्योंकि इससे उत्तरी सीमाओं की ओर सेना की आवाजाही बाधित हो रही है।
कहां और क्यों हो रहे हैं विरोध प्रदर्शन
किसान संयुक्त किसान मोर्चा और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। यह आंदोलन 13 फरवरी को तब शुरू हुआ जब किसानों के दिल्ली की ओर मार्च को सुरक्षा बलों ने रोक दिया। प्रदर्शनकारियों की योजना 6 दिसंबर को दिल्ली में प्रवेश करने की थी। लेकिन पुलिस द्वारा आंसू गैस के गोले दागे जाने के बाद उन्हें रोक दिया गया। हाल ही में 24 अक्टूबर 2024 को यह प्रदर्शन पूरे पंजाब के विभिन्न हिस्सों तक फैल गया।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
जस्टिस सूर्यकांत की अगुआई में हुई सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया। न्यायालय ने विरोध के अधिकार को संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त बताया। लेकिन इसे दूसरों के अधिकारों का उल्लंघन न करने की शर्त पर निर्भर बताया। यह फैसला उस जटिल संतुलन को रेखांकित करता है। जिसमें एक ओर विरोध का अधिकार है तो दूसरी ओर सार्वजनिक व्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा बनाए रखने की आवश्यकता।
याचिका में उठाए गए मुद्दे
राजमार्गों की नाकाबंदी से सेना की उत्तरी सीमाओं की ओर आवाजाही में बाधा पैदा न हो। पंजाब के रणनीतिक महत्व को देखते हुए विरोध का संभावित विदेशी ताकतों द्वारा दुरुपयोग नहीं हो सके। एम्बुलेंस और अन्य आपातकालीन वाहनों की आवाजाही बाधित नहीं हो। नागरिकों को अस्पताल पहुंचने और अन्य आवश्यक कार्यों में कठिनाई नहीं हो।