बीजेपी सरकार दलित, पिछड़े वर्ग, गरीब व किसान वर्ग के बच्चों को हर एक सुविधा और शिक्षा से वंचित करना चाहती है। इसीलिए नए स्कूल बनाना तो दूर, बीजेपी सरकार पहले से स्थापित स्कूलों में बिजली, पानी, टॉयलेट और बैठने के लिए बैंच तक मुहैया नहीं करवा रही है। यही वजह है कि अभिभावकों का सरकारी स्कूलों से भरोसा उठता जा रहा है और सरकार शिक्षा तंत्र को धीरे-धीरे प्लानिंग के तहत निजी हाथों में सौंप रही है। ये कहना है पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का।
हुड्डा ने सरकारी स्कूलों की हालत पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि प्रदेश के शिक्षा तंत्र की सच्चाई सबके सामने आ चुकी है। स्कूलों की खस्ता हालत से नाराज हाई कोर्ट ने पिछले दिनों बीजेपी-जेजेपी सरकार पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। यह किसी भी सरकार के लिए शर्मसार करने वाला झटका था। लेकिन ऐसा लगता है कि इस झटके के बाद भी बीजेपी सत्ता के नशे में मदमस्त सो रही है और वो हरियाणा के शिक्षा तंत्र को नीतिगत तरीके से बर्बाद कर रही है। खुद शिक्षा मंत्री ने भी माना है कि स्कूलों में टीचर्स की भारी कमी है और ड्रॉ आउट रेट बहुत ज्यादा है।
लेकिन सवाल ये है कि 10 साल से सत्ता में होने के बावजूद बीजेपी ने स्कूलों की हालत सुधारने के लिए क्या किया? बीजेपी ने सत्ता में आते ही टीचर्स की भर्तियां बंद कर दी। इस सरकार ने 10 साल में अब तक एक भी जेबीटी की भर्ती नहीं की। आज हालत ये है कि शिक्षा विभाग में 50 हजार पद खाली पड़े हुए हैं। स्कूलों में जो टीचर्स नियुक्त हैं, उनसे भी सरकार पढ़ाई का काम छुड़वाकर कभी मंडी व मेलों में ड्यूटी करवाती है तो कभी परिवार पहचान पत्र बनाने जैसे कामों में।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि बीजेपी सरकार ने सरकारी स्कूलों के बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में भेजने के लिए बाकायदा नीति बनाई है। सरकार का कहना है कि जो बच्चे सरकारी स्कूल छोड़कर प्राइवेट में जाएंगे, उन्हें सरकार द्वारा प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। यहां तक कि प्राइवेट स्कूलों को भी सरकार द्वारा सरकारी स्कूल गोद लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इसी सरकार ने मर्जर के नाम पर करीब 5000 स्कूलों को बंद करने का फरमान सुनाया है।
बीजेपी सरकार द्वारा हाई कोर्ट में दिए गए हलफनामे से पता चलता है कि आज हरियाणा के 131 सरकारी स्कूलों में पीने का पानी तक नहीं है। 236 स्कूलों में बिजली कनेक्शन नहीं दिया गया। हर घर शौचालय का नारा देने वाली सरकार ने 538 स्कूलों में लड़कियों के लिए एक भी शौचालय नहीं बनवाया। 1047 स्कूलों में तो लड़कों के लिए भी शौचालय नहीं है। छात्रों के लिए स्कूलों में 8240 और क्लासरूम की जरूरत है। हैरानी की बात यह है कि सुविधाओं व संसाधनों का इतना टोटा होने के बावजूद शिक्षा विभाग ने 10,676 करोड़ रूपये की ग्रांट को बिना इस्तेमाल के सरकार को वापिस भेज दिया। यही वजह है कि सरकारी स्कूलों में ड्रॉप आउट विद्यार्थियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। सिर्फ एक साल के भीतर 4,64,000 विद्यार्थियों ने सरकारी स्कूल छोड़ दिए।
बीजेपी सरकार द्वारा सैंकड़ों करोड़ रुपये से खरीदे गए टैबलेट भी सफेद हाथी साबित हुए हैं। पूरे सत्र में टैबलेट अपडेट ही नहीं किए और विद्यार्थी उन्हें इस्तेमाल नहीं कर पाए। सरकार बताए कि अगर ये टैबलेट इस्तेमाल ही नहीं करने थे तो इसपर जनता का गाढ़ी कमाई का 612 करोड़ रुपया क्यों खर्च किया गया था।
हुड्डा का कहना है कि स्कूल ही नहीं, प्रदेश कॉलेज व विश्वविद्यालयों की स्थिति बेहद चिंतनीय बनी हुई है। प्रदेश में शिक्षण संस्थाओं की हालत पर आई रिपोर्ट में पता चलता है कि प्रदेश के स्कूलों में 26000 से ज्यादा टीचर्स तो कॉलेज में 4738 सहायक प्रोफेसर्स के पद खाली पड़े हुए हैं। कॉलेजों में भी करीब 1 लाख यूजी तो 19,000 पीजी की सीटें खाली पड़ी हुई हैं।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बताया कि प्रदेश सरकार शिक्षा पर जीडीपी का महज 2% खर्च करती है, जबकि नई शिक्षा नीति 6% खर्च करने की सिफारिश करती है। जबकि कांग्रेस कार्यकाल के दौरान शिक्षा के क्षेत्र में जमकर विकास हुआ था।
कांग्रेस सरकार ने महेंद्रगढ़ में केंद्रीय विश्वविद्यालय बनवाया, 12 नए सरकारी विश्वविद्यालय बनवाए, 154 नए पॉलिटेक्निक कॉलेज, 56 नए आईटीआई, 4 नए सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज खोले। बाबा साहेब अंबेडकर नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी बनाई। प्रदेश में आईआईएम, आईआईटी एक्सटेंशन, ट्रिपल आईटी कैंपस जैसे राष्ट्रीय स्तर के दर्जनभर संस्थान स्थापित करवाए। साथ ही राजीव गांधी एजुकेशन सोसाइटी सोनीपत में बनवाई, जिसमें देश की कई प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी बनी हैं। कांग्रेस सरकार के दौरान 2623 नए स्कूल बनाए गए, 1 नया सैनिक स्कूल रेवाड़ी, 6 नए केंद्रीय विद्यालय बनवाए और हर जिले में DIET खोले थे। कांग्रेस ने 25000 जेबीटी, 25000 टीजीटी-पीजीटी, स्कूल स्टाफ, 50000 यूनिर्वसिटी, इंस्टिट्यूट स्टाफ समेत शिक्षा विभाग में 1 लाख से अधिक नौकरियां दी थीं। जबकि बीजेपी ने पूरे कार्यकाल में एक भी जेबीटी भर्ती नहीं की। ना ही हरियाणा में कोई बड़ी यूनिवर्सिटी या कोई बड़ा शिक्षण संस्थान स्थापित किया। यहां तक कि बीजेपी के पास दिखाने लायक खुद के बनाए दर्जनभर स्कूल भी नहीं मिलेंगे।