केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पश्चिम बंगाल सरकार पर केंद्रीय निधियों का दुरुपयोग करने और अयोग्य व्यक्तियों को कल्याणकारी लाभ आवंटित करने का आरोप लगाया है। लोकसभा सत्र के दौरान चौहान ने तृणमूल कांग्रेस के सदस्य कल्याण बनर्जी के आरोपों का खंडन किया कि पश्चिम बंगाल से विभिन्न कल्याण योजनाओं के लिए केंद्रीय धनराशि रोक ली गई है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना का नाम बदल दिया। जो अवैध है।
ग्रामीण विकास राज्य मंत्री चंद्र शेखर पेम्मासानी ने स्पष्ट किया कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के लिए बजट कम नहीं किया गया है। इसके बजाय पिछले वर्षों की तुलना में इसे सालाना 10,000 करोड़ रुपए बढ़ाकर 20,000 करोड़ रुपए कर दिया गया है। 2020-21 में कोविड महामारी के बीच बजट 60,000 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 1,10,000 करोड़ रुपए कर दिया गया था।
मजदूरी और राज्य की जिम्मेदारियां
पेम्मासानी ने बताया कि मनरेगा मजदूरी का समायोजन महंगाई के आधार पर किया जाता है। जिसमें सालाना 6-7 प्रतिशत की वृद्धि होती है। यदि आवश्यक हो तो राज्य मजदूरी का पूरक कर सकते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि राज्य सरकारें योजना की निगरानी और कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार हैं। किसी भी अनियमितता जैसे कि जॉब कार्ड का अनुचित वितरण की जांच संबंधित राज्य सरकार द्वारा की जानी चाहिए।
केंद्र सरकार का रुख
शिवराज सिंह चौहान ने दोहराया कि संसाधनों के दुरुपयोग को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और केंद्रीय सरकार को योजना के अनुचित कार्यान्वयन की स्थिति में धनराशि रोकने की अनुमति देने वाले कानूनी प्रावधानों का हवाला दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भ्रष्टाचार रोकने की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा कि न तो वह और न ही कोई अन्य भ्रष्टाचार में शामिल होगा।