Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने संविधान की प्रस्तावना में समाजवादी (Socialist) और धर्मनिरपेक्ष (Secular) जोड़ने से संबंधित संशोधन को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है। संविधान की प्रस्तावना से ‘समाजवाद’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द हटाने की मांग वाली याचिका पर SC ने आज यानी सोमवार, 25 नवंबर को सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि प्रस्तावना में इन शब्दों को जोड़ना संसद को अनुच्छेद 368 (Article 368) के तहत मिली संविधान संशोधन की शक्ति से परे है।
42वें संशोधन में जोड़े गए ये शब्द
BJP नेता सुब्रमण्यम स्वामी सहित अन्य की ओर से यह याचिका दायर की गई थी। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि इमरजेंसी के दौरान गलत तरीके से प्रस्तावना को बदला गया। समाजवाद जैसी किसी विशेष राजनीतिक विचारधारा को संविधान का हिस्सा नहीं बन सकता। याचिका के अनुसार, 1976 में संविधान की प्रस्तावना में 42वें संशोधन के जरिए ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘समाजवादी’ शब्द जोड़े गए थे। याचिकाओं में यह भी कहा गया कि प्रस्तावना को 26 नवंबर 1949 में संविधान सभा ने स्वीकार किया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संसद को पूरा अधिकार है कि वो चाहे तो संविधान की प्रस्तावना से धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी शब्द को हटा सकती है।