Land for job scam case: दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को 18 सितंबर से 8 अक्टूबर तक परिवार के साथ दुबई जाने की इजाजत दे दी है। शर्त के तौर पर कोर्ट ने उन्हें 25 लाख रुपये की एफडीआर (फिक्स्ड डिपॉजिट रसीद) जमा करने का निर्देश दिया है।
इसके अलावा, अदालत ने यादव से उनकी विदेश यात्रा की योजना और यात्रा के दौरान इस्तेमाल किए जाने वाले मोबाइल नंबर का विवरण भी मांगा है। लैंड फॉर जॉब मामले में आरोपी यादव फिलहाल जमानत पर हैं और उन्होंने जमानत की शर्तों के तहत अपना पासपोर्ट जमा करा दिया था। इसलिए विदेश यात्रा करने के लिए उन्हें अपना पासपोर्ट जारी करने के लिए अदालत से अनुमति लेनी होगी।
मामला लैंड फॉर जॉब स्कैम है?
आरोप है कि 2004 से 2009 के बीच भारतीय रेलवे के विभिन्न जोनों में ग्रुप डी पदों पर कई लोगों को नियुक्त किया गया था, बदले में उन्होंने तत्कालीन रेल मंत्री प्रसाद के परिवार के सदस्यों और एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड नामक एक जुड़ी हुई कंपनी को जमीन हस्तांतरित की थी। ईडी ने पहले एक बयान में दावा किया था कि जब इस कंपनी ने लालू प्रसाद की ओर से उम्मीदवारों से जमीन खरीदी थी, तब कत्याल इसके निदेशक थे।
पीएमएलए की आपराधिक धाराओं के तहत दर्ज ईडी का मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज की गई शिकायत से उपजा है। इस मामले में सीबीआई द्वारा उनके खिलाफ आरोपपत्र दायर करने के बाद अक्टूबर में एक ट्रायल कोर्ट ने प्रसाद, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव को जमानत दे दी थी।
सीबीआई के अनुसार, नियुक्ति के लिए कोई विज्ञापन या सार्वजनिक नोटिस जारी नहीं किया गया था, लेकिन पटना के कुछ निवासियों को मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर में विभिन्न जोनल रेलवे में स्थानापन्न के रूप में नियुक्त किया गया था।
सीबीआई ने आरोप लगाया कि बदले में उम्मीदवारों ने सीधे या अपने निकट परिवार के सदस्यों के माध्यम से प्रसाद के परिवार के सदस्यों को अत्यधिक रियायती दरों पर, प्रचलित बाजार दरों के एक-चौथाई से पांचवें हिस्से तक की कीमत पर जमीन बेची।