जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. सूबे की सत्ता पर काबिज होने के लिए शह-मात का खेल जारी है. बीजेपी ने सरकार बनाने के लिए विनिंग फॉर्मूला तलाश लिया है और उसी आधार पर अपनी चुनावी बिसात बिछाने में जुटी है.
बीजेपी ने किसी भी दल के साथ गठबंधन करने के बजाय अकेले अपने दम पर चुनाव लड़ने का फैसला जरूर किया है. ऐसे में पार्टी जम्मू के रीजन में खुलकर पूरा दम दिखाएगी, लेकिन कश्मीर के रीजन वाले मुस्लिम बहुल इलाके की सीटों के लिए ‘बैकडोर प्लान’ बनाया है. ऐसे में देखना है कि धारा 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने का सपना बीजेपी का साकार होगा?
बीजेपी ने बनाया बैकडोर प्लान
एक दशक के बाद जम्मू-कश्मीर में हो रहे विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट सोमवार को जारी कर सकती है. रविवार को पीएम मोदी की अध्यक्षता में बीजेपी की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक हुई, जिसमें केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित पार्टी की टॉप लीडरशिप ने शिरकत की. इस दौरान सूबे की 90 विधानसभा सीटों में से 60 से 70 सीटों पर बीजेपी के चुनाव लड़ने की रूपरेखा बनाई गई है, जिसके 50 से ज्यादा उम्मीदवारों के नाम भी फाइनल कर लिए गए हैं. इसके अलावा बाकी बची विधानसभा सीटों के लिए पार्टी ने बैकडोर प्लान बनाया है.
अकेले मैदान में उतरेगी बीजेपी
जम्मू-कश्मीर में बीजेपी इस फॉर्मूले पर लोकसभा चुनाव लड़ चुकी है और अब विधानसभा के चुनाव में किस्मत आजमाने जा रही है. विधानसभा चुनाव में बीजेपी अकेले चुनावी मैदान में उतरेगी. बीजेपी ने केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में जम्मू क्षेत्र की सभी 43 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम फाइनल कर लिए हैं, जिसकी घोषणा भी सोमवार को हो जाएगी. इसके अलावा कश्मीर क्षेत्र की 47 विधानसभा सीटों में से 20 से 25 सीट पर ही चुनाव लड़ने का प्लान बनाया है और बाकी बची सीटों पर निर्दलीय को समर्थन करेगी.
43 सीटों पर पूरा फोकस
बीजेपी का पूरा फोकस जम्मू रीजन की 43 सीटों पर है, जिसके लिए पूरे दम-खम के साथ पार्टी चुनाव लड़ेगी. बीजेपी को उम्मीद है कि जम्मू रीजन के 43 सीटों में से 35-37 सीटें पर उसे जीत मिल सकती है. इस तरह राज्य में सरकार बनाने के लिए बीजेपी को कश्मीर रीजन की 10 से 12 सीटें जीतनी होगी. इसके लिए ही बीजेपी ने कश्मीर के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में बैकडोर प्लान बनाया है, जहां पर बीजेपी ने खुद चुनाव लड़ने के बजाय निर्दलीय उम्मीदवारों को समर्थन करने की रूपरेखा बनाई है.
लोकसभा चुनाव वाला फॉर्मूला
जम्मू-कश्मीर के प्रदेश अध्यक्ष रविंदर रैना पहले ही कह चुके हैं कि बीजेपी जम्मू-कश्मीर में अपने दम पर चुनाव लड़ेगी. हम राज्य में किसी भी सियासी दल के साथ गठबंधन नहीं करेंगे, लेकिन कश्मीर रीजन में कुछ स्वतंत्र उम्मीदवारों को समर्थन कर सकते हैं. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष की बात से साफ है कि लोकसभा चुनाव में जिस फॉर्मूले के तहत चुनावी मैदान में उतरी थी, उसी तर्ज पर विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमाएगी. सूबे की 5 में से दो सीट पर ही बीजेपी ने चुनाव लड़ा था और दोनों ही जीतने में सफल रही थी.
मुस्लिम बहुल सीटों पर प्लान
बीजेपी ने जम्मू रीजन की जम्मू और उधमपुर सीट पर उम्मीदवार उतारे थे जबकि श्रीनगर, बारमूला और आनंतनाग सीट पर चुनाव नहीं लड़ी थी. बीजेपी के इस दांव से बारामूला में एनसी नेता उमर अब्दुल्ला और पीडीपी की महबूबा मुफ्ती जैसी दिग्गज नेता चुनाव हार गई थीं. निर्दलीय शेख अब्दुल रशीद उर्फ इंजीनियर रशीद सांसद बनने में सफल रहे. बीजेपी विधानसभा चुनाव में कश्मीर रीजन के मुस्लिम बहुल कई सीटों पर खुद चुनाव मैदान में उतरने के बजाय निर्दलीय कैंडिडेट को समर्थन करने का प्लान बनाया है.
सभी दलों का किया था सफाया
जम्मू-कश्मीर में बीजेपी को सत्ता पर काबिज होने के लिए 46 सीटें हरहाल में जीतनी होगी. इसके लिए उसका फोकस जम्मू क्षेत्र की 43 में से 35 से 37 सीटों पर जीतने का है. 2014 में जम्मू रीजन में बीजेपी ने सभी दलों का सफाया कर दिया था. इसके बदौलत ही बीजेपी किंगमेकर बनकर उभरी थी. इसीलिए जम्मू रीजन की 43 सीटों के लिए पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ने का प्लान बनाया है. इसके अलावा कश्मीर रीजन वाले क्षेत्र में 10 से 12 सीटें जीतने का प्लान है.
दिग्गज नेताओं पर खेलेगी दांव
बीजेपी इस बात को लेकर पूरी तरह कॉन्फिडेंस है कि जम्मू रीजन की सीटें वह जीत लेगी, लेकिन सिर्फ इतने भर से काम नहीं चलेगा. कश्मीर रीजन में सीटें जीते बिना संभव नहीं है. कश्मीर रीजन की मुस्लिम बहुल सीटों पर बीजेपी ने खुद चुनाव लड़ने के बजाय निर्दलीय उम्मीदवारों को समर्थन करने की रणनीति बनाई है. इसके लिए बीजेपी एक दर्जन विधानसभा सीट पर निर्दलीय को बैकडोर से समर्थन कर जीतने के लिए मशक्कत करेगी. इसके अलावा बीजेपी दूसरे दलों से दिग्गज नेताओं पर भी दांव खेल सकती है.
चौधरी जुल्फिकार अली का साथ
पीडीपी नेता और महबूबा मुफ्ती सरकार में मंत्री रहे चौधरी जुल्फिकार अली को बीजेपी ने अपने साथ मिला लिया है और उन्हें चुनावी मैदान में उतार सकती है. ऐसे ही कई और भी चेहरे हैं, जिन पर बीजेपी की नजर है. परिसीमन के बाद जम्मू-कश्मीर का सियासी समीकरण इस तरह से है कि कश्मीर क्षेत्र में सीटें जीते बगैर सत्ता पर काबिज नहीं हुआ जा सकता है. जम्मू का रीजन हिंदू बहुल है तो कश्मीर रीजन में मुस्लिमों का दबदबा है.
कश्मीर में किसका दबदबा?
जम्मू में बीजेपी का अपना वर्चस्व 2014 से कायम है तो कश्मीर में नेशनल कॉफ्रेंस से लेकर पीडीपी सहित तमाम क्षेत्रीय दलों का दबदबा है. पिछले तीन साल के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद की प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी सहित कई नए राजनीतिक दल बन गए हैं. इनमें नेशनल अवामी यूनाइटेड पार्टी, नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी, अमन और शांति तहरीके जम्मू कश्मीर, वायस ऑफ लेबर पार्टी, हक इंसाफ पार्टी, जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट, इक्कजुट जम्मू, गरीब डेमोक्रेटिक पार्टी और जम्मू कश्मीर नेशनलिस्ट पीपुल्स फ्रंट जैसे दल शामिल हैं. इन सभी दलों का सियासी आधार कश्मीर क्षेत्र में है. इसीलिए बीजेपी को उम्मीद है कि निर्दलीय को बैकडोर से समर्थन कर सत्ता में आने का प्लान काम करेगा.