उत्तर प्रदेश में सीएम योगी आदित्यनाथ के घर पर हुई कैबिनेट की बैठक में आज मंगलवार को दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक भी पहुंचे. कल एनडीए की बैठक में भी तीनों एक साथ शामिल हुए थे.
इस तरह एक तरफ तो ऐसा लग रहा है कि उत्तर प्रदेश बीजेपी में अब शांति बहाल हो गई है. पर दूसरी तरफ कुछ ऐसी बातें अब भी हो रही हैं जिससे लगता है कि कहीं यह तूफान के पहले की शांति तो नहीं है.
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने सोमवार को पुलिस महानिदेशक सहित वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की एक बैठक की अध्यक्षता की और उन्हें राज्य में बढ़ते भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने का निर्देश दिया. इतना ही नहीं इस बैठक की तस्वीर के साथ प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने एक्स पर लिखा- ‘मैंने विधान परिषद में मानसून सत्र के दौरान कानून व्यवस्था के संबंध में उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक श्री प्रशांत कुमार और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की और पुलिस स्टेशनों पर जनता की समस्याओं को प्राथमिकता के आधार पर हल करने, बढ़ते भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के निर्देश दिए. साइबर अपराध की बढ़ती घटनाओं पर व्यापक रूप से अंकुश लगाने के प्रयास कर रहे हैं’.
केशव प्रसाद मौर्य के इस ट्वीट के साथ ही यूपी के राजनीतिक गलियारों और मीडिया के लोगों के बीच एक बार फिर योगी बनाम केशव के द्वंद्व की गंध आने लगी. यूपी के तमाम पत्रकारों ने इसे आने वाले समय की झलकी करार देना शुरू कर दिया. इनमें से कुछ पत्रकार बड़े मीडिया घराने के थे.वो साबित करना चाहते थे कि योगी बनाम केशव की लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है. यही नहीं समाजवादी पार्टी के कुछ नेताओं ने जब इस संबंध में सरकार पर सवाल उठाने शुरू किया तो मामला और गंभीर हो गया.दरअसल ऐसी बैठकें सीएम या गृहमंत्री ही करते हैं. चूंकि यूपी में गृह मंत्रालय स्वयं सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपने पास रखी हुईं हैं इसलिए शक होना स्वाभाविक था. पर हकीकत कुछ और ही है.
क्या है मामला
दरअसल प्रदेश के डीजीपी के साथ बैठक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ही लेते रहे हैं. अचानक डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को कार्यवाहक डीजीपी और कई बड़े अफसरों के साथ अकेले बैठक करते देखकर अफवाहों का बाजार गर्म हो गया. कुछ लोगों को ये लगने लगा कि केशव प्रसाद मौर्य भविष्य के गृहमंत्री हो सकते हैं. एक बड़े मीडिया हाउस के पत्रकार ने मंगलवार दोपहर 11 बजे के करीब इस बैठक को लेकर केशव प्रसाद मौर्य के पक्ष में एक बार बैटिंग कर दी. हालांकि जिन पत्रकारों ने इस बैठक को तिल का ताड़ बनाया वे सभी जानते हैं कि इस तरह की बैठक रूटीन बैठक है.
इस बीछ विपक्ष ने भी मौर्य के शीर्ष पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक को देखकर सीएम योगी आदित्यनाथ से स्पष्टीकरण की मांग कर दी.समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व मंत्री आई.पी. सिंह ने लिखा कि केशव प्रसाद मौर्य कैबिनेट मंत्री हैं. वह किस हैसियत से राज्य के शीर्ष (पुलिस) अधिकारियों के साथ बैठकें कर रहे हैं? मुख्यमंत्री लाचार हैं. कोई भी कैबिनेट मंत्री अपने विभाग की बैठक कर सकता है लेकिन राज्य के शीर्ष अधिकारियों की बैठक आयोजित करने का अधिकार केवल मुख्यमंत्री के पास सुरक्षित है.
भाजपा सरकार ने उत्तर प्रदेश में अराजकता का माहौल पैदा कर दिया है. जिस प्रकार शक्तियां प्रधानमंत्री में निहित होती हैं, उसी प्रकार राज्य की शक्तियां मुख्यमंत्री में निहित होती हैं. कागजी उपमुख्यमंत्री कानून का दुरुपयोग कर रहे हैं. ऐसी तानाशाही से उत्तर प्रदेश का भला नहीं होगा. मुख्यमंत्री को इस पर अपना स्पष्टीकरण देना चाहिए.
दरअसल केशव प्रसाद मौर्य विधान परिषद में सदन के नेता हैं. इस हैसियत से वे 2023 में शीतकालीन सत्र में भी प्रदेश के बड़े पुलिस अधिाकरियों के साथ बैठक कर चुके हैं. उनके फेसबुक प्रोफाइल से ली गई फोटो की स्क्रीन शॉट नीचे संलग्न है. चूंकि मौर्य का यह लिखना कि उन्होंने पुलिस को आदेश दिया है कि पुलिस स्टेशनों पर जनता की समस्याओं को प्राथमिकता के आधार पर हल करें, बढ़ते भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाएं और साइबर अपराध की बढ़ती घटनाओं पर व्यापक रूप से अंकुश लगाने के प्रयास करें. इस आधार पर तिल का ताड़ बनने लगा.मौर्य वैसे भी प्रदेश के डिप्टी सीएम हैं. और इस तरह का आदेश वो पुलिस को दे ही सकते हैं.
2023 में शीतकालीन सत्र से पहले केशव प्रसाद मौर्य पुलिस अधिकारियों की मीटिंग लेते हुए.
ऐसा लगा था कि शांति लौट आई है
पिछले एक महीने से यूपी बीजेपी में मचे हंगामें के बाद सोमवार को ऐसा लगा था कि अब शायद शांति लौट आई है. शायद दिल्ली बैठक के नतीजा लग रही थी यह शांति. स्वयं यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के बदले व्यवहार के रूप में दिख रही थी शांति. दोनों डिप्टी सीएम के साथ योगी का एनडीए की बैठक में जिस तरह दिखे उससे यही महसूस हुआ कि शायद सुलहनामा हो गया है. प्रेस ब्रीफींग में सीएम के साथ दोनों डिप्टी सीएम के साथ नजर आए थे. माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दिल्ली में बीएल संतोष से जो मुलाकात हुई उसमें गवर्नेंस के तौर तरीकों में बदलाव को लेकर कुछ बातें कही गई हैं क्योंकि विधायकों से लेकर मंत्रियों तक की शिकायतें सिर्फ अधिकारियों की मनमानी और गवर्नेंस के तौर तरीकों पर ही हैं. सीएम योगी के व्यक्तिगत व्यवहार में भी दिख रहा था अलग अंदाज.
सदन में सोमवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद आगे बढ़कर सत्ता पक्ष ही नहीं विपक्ष के लोगों से भी मिल रहे थे.हमेशा ठीक 11 बजे नियत वक्त पर सदन पहुंचने वाले सीएम योगी सोमवार को 5 मिनट पहले ही सदन पहुंच गए. सीधे अपनी सीट पर बैठने के बजाए सीएम योगी विधायकों की ओर खुद पहुंचने लगे, चाहे वह उनकी पार्टी के विधायक-मंत्री हों या फिर विपक्ष के दूसरे बड़े नेता.उनके पैर छूने की होड़ विधायकों में दिखाई दी थी.
ओबीसी मोर्चा के प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में भी जुदा दिखा अंदाज
सोमवार को लखनऊ में ओबीसी मोर्चा के प्रदेश कार्यसमिति की बैठक होने तक फिर माहौल पुराना हो चुका था. इस बैठक में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के साथ ब्रजेश पाठक बुलाए गए थे. अगर संबंध सामान्य हो गए होते दोनों डिप्टी सीएम योगी आदित्यनाथ के आने के ठीक पहले सभा को छोड़कर निकलते नहीं. यही नहीं ओबीसी मोर्चे की बैठक को संबोधित करते हुए केशव प्रसाद मौर्य ने झगड़े की जड़ अपने उस बयान को फिर दोहरा दिया. मौर्य ने कहा कि सरकार से बड़ा संगठन है.डिप्टी सीएम ने कहा कि चुनाव सरकार नहीं पार्टी जीतती है. सभा में मौजूद पत्रकारों ने बताया कि जैसे ही सीएम योगी की कुर्सी पर भगवा तौलिया लगने लगा दोनों डिप्टी सीएम कार्यक्रम से निकल लिए.