Delhi University Manusmriti: दिल्ली यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर (वाइस चांसलर) योगेश सिंह ने घोषणा की है कि एलएलबी छात्रों के पाठ्यक्रम में स्टडी मैटीरियल के रूप में मनुस्मृति को शामिल करने का प्रस्ताव खारिज कर दिया गया है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, “कल हमारे पास कुछ जानकारी आई थी कि मनुस्मृति को एलएलबी पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाएगा।” इस पूरे मामले पर दिल्ली यूनिवर्सिटी के वीसी योगेश सिंह ने सफाई दी है।
DU के वाइस चांसलर योगेश सिंह बोले- अब छात्रों को मनुस्मृति नहीं पढ़ाई जाएगी
दिल्ली यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर योगेश सिंह ने गुरुवार 11 जुलाई को कहा कि, मनुस्मृति को एलएलबी पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाए जाने का प्रस्ताव आया था लेकिन उसे खारिज कर दिया गया है। अब छात्रों को मनुस्मृति नहीं पढ़ाई जाएगी।
वाइस चांसलर योगेश सिंह ने एक वीडियो जारी कर कहा कि, ”लॉ फैकल्टी का एक प्रस्ताव मिला था, जिसमें उन्होंने कहा था कि ज्यूरिसप्रुडेंस-1 कोर्स में कुछ बदलाव होने चाहिए, जिसके लिए उन्होंने सुझाव भी दिए थे। जिसमें से एक सुझाव था, मेधातिथि, यानी कॉन्सेप्ट ऑफ स्टेट एंड लॉ। इसको पढ़ाने के लिए दो टेक्स्ट की सलाह दी गई थी। इसमें पहला, मनुस्मृति के मनुभाष्य और दूसरा, कमेंट्री ऑफ मनुस्मृति था।”
वाइस चांसलर योगेश सिंह ने कहा कि हालांकि पाठ्यक्रम में बदलाव के सुझावों को खारिज कर दिया गया है। हमनें काफी विचार विमर्श के बाद ही फैकल्टी ऑफ लॉ के प्रस्ताव को खारिज किया है।
मनुस्मृति पढ़ाने का प्रस्ताव की हुई आलोचना
मनुस्मृति पढ़ाने के इस प्रस्ताव की आलोचना हुई थी। दिल्ली यूनिवर्सिटी के कुछ प्रोफेसरों ने इसे असंवैधानिक कहा था। यहां तक की कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी इसे इसे डॉ. अंबेडकर की विरासत और संविधान पर हमला बताया था। सोशल मीडिया पर भी ये मुद्दा चर्चा में रहा। लोगों ने इसपर आपत्ति दर्ज कराई है। सोशल मीडिया पर लोगों का कहना है कि अकादमिक काउंसिल की बैठक से पहले ही डीयू वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया था। हालांकि बाद में इसे हटाया गया था।