-युवाओं में नवाचार के साथ-साथ हर पल कुछ नया सीखने की भावना का होना जरूरी: दत्तात्रेय
– चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय के चौथे दीक्षांत समारोह को महामहिम राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीश डॉ. सूर्यकांत ने किया संबोधित
– दीक्षांत समारोह में 744 विद्यार्थियों को डिग्री प्रदान, 21 विद्यार्थियों को प्रदान किए स्वर्ण पदक
चंडीगढ़, 27 मई हरियाणा के महामहिम राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय ने कहा है कि भारत का युवा बहुत ही ऊर्जावान है। पूरे विश्व की निगाहें भारत की युवा पीढ़ी पर लगी हैं। यहां का युवा दुनिया के अन्य देशों की जरूरत बन रहा है। उन्होंने कहा कि युवाओं में नवाचार के साथ-साथ हर पल कुछ नया सीखने की भावना का होना जरूरी है। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे केवल महज अपने तक रोजगार पाने की न सोचकर अन्य को रोजगार देने का लक्ष्य निर्धारित कर मेहनत करें। इसके साथ ही अपने अंदर समाज और राष्ट्र सेवा की भावना रखकर देश को दुनिया का सुपर पावर देश बनाएं। उन्होंने समाज से महिलाओं को आगे बढ़ने के अवसर प्रदान करने व पूरा सम्मान करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि महिलाओं के साथ अत्याचार करने वालों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। सभ्य समाज के निर्माण के लिए महिलाओं का आदर करना बहुत जरूरी है।
महामहिम राज्यपाल श्री दत्तात्रेय सोमवार को स्थानीय चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय में आयोजित चतुर्थ दीक्षांत समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। दीक्षांत समारोह में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीश डॉ. सूर्यकांत भी मुख्य रूप से मौजूद रहे। महामहिम राज्यपाल श्री दत्तात्रेय और न्यायधीश डॉ. सूर्यकांत ने मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। राज्यपाल श्री दत्तात्रेय ने दीक्षांत समारोह में 2021 से 2023 तक के 744 विद्यार्थियों को डिग्री प्रदान, जिनमें 509 छात्राएं शामिल थी। विभिन्न विषयों के 21 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान किए, जिनमें 18 छात्राएं शामिल रहीं। उन्होंने समारोह में शिक्षा के क्षेत्र के उल्लेखनीय योगदान देने वाले डीएवी शिक्षण संस्थान के अध्यक्ष पूनम सूरी को पीएचडी की मानद उपाधि से नवाजा। राज्यपाल ने डिग्री लेने व स्वर्ण पदक हासिल करने वालों के साथ-साथ विश्वविद्यालय के सभी विद्यार्थियों को अपनी ओर से शुभकामनाएं दी और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।
अपने संबोधन में महामहिम राज्यपाल श्री दत्तात्रेय ने विद्यार्थियों से आह्वान करते हुए कहा कि वे जहां भी जाएं, अपने अभिभावकों, समाज व राष्ट्र के साथ-साथ अपने विश्वविद्यालय को कभी न भूलें, जहां से उन्होंंने शिक्षा-दीक्षा ली है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों में हमेशा नई तकनीक सीखकर आगे बढ़ने, नवाचार और नया शोध करने की भावना का होना जरूरी है। निपुणता जितनी बढ़ेगी, उतने ही रोजगार के अवसर अधिक मिलेंगे। उनहोंने कहा कि युवाओं में समाज के प्रति समपर्ण की भावना होनी चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि जीवन में पैसा सर्वोपरि नहीं मानना चाहिए, बल्कि जीवन में मूल्यों को होना जरूरी है। जीवन मूल्यों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि यदि किसी इंसान नेधन को खो दिया समझो कुछ नहीं खोया, यदि स्वास्थ्य खोया है तो समझो कुछ नुकसान हुआ है और यदि चरित्र को खोया है तो समझो सब कुछ खो दिया है। उन्होंने युवाओं से स्वामी विवेकानंद द्वारा बताए गए इस मार्ग पर चलने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि चौ. रणबीर सिंह विश्वविद्यालय ने बहुत ही कम समय में शिक्षा व खेलों के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों में अनेक कीर्तिमान स्थापित किए हैं। विश्वविद्यालय युवाओं को शिक्षित करने के साथ-साथ उनमें चरित्र निर्माण का भी कार्य कर रहा है, जो सबसे जरूरी है। यह विश्वविद्यालय हरियाणा को शिक्षित, साक्षर, समर्थ व संपन्न बनाने में सहभागी बनेगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को लागू करने वाला यह प्रदेश का दूसरा विश्वविद्यालय है। आज हम विकसित भारत, विकसित हरियाणा बनाने की जो कल्पना कर रहे है, उसे बनाने में इस विश्वविद्यालय से निकले विद्यार्थियों का बड़ा योगदान होगा। उन्होंने कहा कि स्वर्ण पदक हासिल करने वालों में 18 लड़कियों का होना अपने-आप में गर्व की बात है। लड़कियों ने हर उच्च मुकाम को हासिल कर लिया है। उन्होंने कहा कि चौ. रणबीर सिंह विश्वविद्यालय ने देश को अनेक होनहार रत्न दिए हैं, जिनमें अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी भी शामिल हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा शुरू किए गए नए कोर्साेें पर विश्वविद्यालय प्रशासन की प्रशंसा की।
राज्यपाल ने कहा कि आज का युग इंफॉर्मेशन एण्ड टेक्नोलॉजी का युग है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग जैसी नूतन टेक्नोलॉजी ने विश्व का परिदृश्य बदल दिया है। अपने-अपने विषय में नवीनतम टेक्नोलोजी से जुड कर क्रिएटिव इन्नोवेशन तथा स्टार्टअप्स सृजित करने के लिए आपको कमर कसनी होगी। यदि आप चूक गए तो पीछे रह जाएंगे। मंथन करें कि कैसे विषय के ज्ञान से आधुनिक तकनीक को आप कल्याणकारी रूप में परिवर्तित कर सकते हैं।
जिसे मंजिल का जूनून है वे कभी मशविरा नहीं लेते: न्यायधीश डॉ. सूर्यकांत
दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीश डॉ. सूर्यकांत ने सबसे पहले विश्वविद्यालय प्रशासन और डिग्री हासिल करने वाले विद्यार्थियों व शोधार्थियों को शुभकामनाएं दी। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि गुणवत्ता युक्त शिक्षा ही राष्ट्र निर्माण की कुंजी होती है। शिक्षा नैतिक मूल्यों पर आधारित होनी चाहिए। इसी से ही आने वाली पीढ़ी सभ्य और समाज के प्रति समर्पित बनेगी। उन्होंने कहा कि देश की उन्नति के लिए पूर्ण संसाधनों का होना जरूरी है, जिनमें इंसान के अंदर दक्षता, निपुणता और कुशलता मुख्य रूप से शामिल है। न्यायधीश ने कहा कि देश को समृद्धशाली बनाने के लिए निरंतर प्रगति जरूरी है।
न्यायधीश डॉ. सूर्यकांत ने संबोधन के माध्यम से अपने विद्यार्थी जीवन की यादें ताजा कर सांझा की। भले ही उस समय संसाधनों का अभाव था, लेकिन उनमें सीखने की प्रबल भावना थी। ग्रामीण परिवेश से शिक्षा लेकर वे जिस मुकाम तक पहुंचे हैं, उसमें उनके शिक्षकों का अहम योगदान है, जिनकी दुआएं अब भी उनके साथ रहती हैं। शिक्षकों ने हमेशा उनको नई दिशा दी और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने दीक्षांत समारोह में मौजूद विद्यार्थियों से भी आह्वान किया कि वे नए आइडिया के साथ आगे बढ़ें। मेहनत करने वाले सभी बाधाओं को पार कर जाते हैं। उन्होंने दो पंक्तियों के साथ विद्यार्थियों से कड़ी मेहनत करने का आह्वान करते हुए कहा कि कौन बताता है समुद्र का रास्ता नदी को- जिसे मंजिल का जूनून है वे कभी मशविरा नहीं लेते।
कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय के वीसी कर्नल डॉ. रणपाल सिंह ने विश्वविद्यालय की गतिविधियों पर विस्तार से प्रकाश डाला। विश्वविद्यालय की कुलसचिव डॉ. लवलीन सिंह ने सभी का आभार प्रकट किया। दीक्षांत समारोह का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ। दीक्षांत समारोह में एडीसी डॉ. हरीश वशिष्ठ, डीन प्रो. एसके सिन्हा, प्रो.. संजय सिन्हा, एसोसिएट प्रो. सुनील फोगाट, परीक्षा नियंत्रक डॉ. निहाल सिंह चाहर, डीन डॉ. विशाल वर्माख् डॉ. जसबीर सिंह सूरा और एसोसिएट प्रो. कुलदीप नारा सहित विश्वविद्यालय प्रशासन के सभी प्रोफेसर व एसोसिएट प्रो. मौजूद रहे।