Pt Jawaharlal Nehru Death Anniversary: स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 27 मई, 1964 को दिल्ली में अंतिम सांस ली। एक कानून निर्माता, प्रशासक, स्वतंत्रता सेनानी, लेखक और विचारक के रूप में जवाहरलाल नेहरू ने जीवन में जो भी क्षेत्र चुना, उसमें उन्होंने अमिट छाप छोड़ी। जवाहरलाल नेहरू ने वसीयत में अपनी संपत्ति के अलावा यह भी बताया था कि उनका अंतिम संस्कार कैसे किया जाए। वह 1947 से 1964 तक प्रधानमंत्री रहे। भारत के सबसे प्रमुख राजनेताओं में से एक, नेहरू को 15 वर्ष की आयु तक विभिन्न अंग्रेजी शासन और शिक्षकों ने घर पर ही शिक्षा दी। इसके बाद वह उच्च शिक्षा के लिए विदेश चले गए।
जवाहरलाल नेहरू ने 1905 में एक प्रतिष्ठित अंग्रेजी स्कूल हैरो में दाखिला लिया और वहां दो साल बिताए। इसके बाद वे कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज चले गए, जहां उन्होंने प्राकृतिक विज्ञान में सम्मान के साथ स्नातक करने के लिए तीन साल तक अध्ययन किया। पंडित जवाहरलाल नेहरू कि किताबें ‘द डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ और ‘ग्लिम्पसेस ऑफ वर्ल्ड हिस्ट्री’ उनके ज्ञान और आलोचनात्मक सोच की असाधारण गहराई को प्रदर्शित करते हैं। आइए जानते हैं उनके जीवन के कुछ खास किस्से-
1- आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को हमारे देश में तो कश्मीरी पंडित समुदाय से जुड़ाव होने के चलते उन्हें ‘पंडित नेहरू’ कहा गया। वहीं, बच्चों से विशेष लगाव के चलते बच्चों ने उन्हें ‘चाचा नेहरू’ कहकर संबोधित किया। बेहद कम ही लोग जानते होंगे कि जिन अंग्रेजों के खिलाफ उन्होंने आगे चलकर अभियान चलाए। उन्हीं अंग्रेजों ने स्कूल के दौरान नेहरू को खास निकनेम ‘जो नेहरू’ भी दे दिया था।
2- पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपनी वसीयत में यह भी बताया था कि उनका अंतिम संस्कार कैसे किया जाए। नेहरू ने वसीयत 21 जून,1954 को लिखी थी। उन्होंने बताया कि वह वसीयत लिखने के बारे में तब से सोच रहे थे, जब वह 1940 के दशक में अहमदनगर किले की जेल में बंद थे।
3- जवाहरलाल नेहरू ने अपनी वसीयत में लिखा था कि उनकी मौत के बाद उनके लिए कोई धार्मिक अनुष्ठान न किया जाए। उन्होंने इसकी वजह बताते हुए लिखा कि मैं ऐसे किसी भी अनुष्ठान में विश्वास नहीं करता। मेरी मृत्यु के बाद ऐसा करना एक पाखंड होगा। जवाहरलाल नेहरू ने वसीयत में आनंद भवन को इंदिरा गांधी के नाम किया।
4- पूर्व पीएम पंडित जवाहरलाल नेहरू से जुड़ा एक अनोखा किस्सा है कि तत्कालीन भारत के पहले प्रधानमंत्री नेहरू भोपाल के दौरे पर गए हुए थे। नेहरूजी को खाना खाने के बाद एक खास ब्रांड की सिगरेट पीने का शौक था। उस समय राजभवन में सिगरेट उपलब्ध नहीं थी। जब राजभवन के अधिकारियों को यह पता चला कि नेहरूजी की पसंदीदा सिगरेट एक्सप्रेस 555 मौजूद नहीं है, तो आनन-फानन में तुरंत एक विमान को सिगरेट लाने के लिए भोपाल से इंदौर भेजा गया।
5- पंडित नेहरू हमेशा जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए तैयार रहते थे। उनके निजी सचिव रहे एमओ मथाई ने अपनी किताब माय डेज विथ नेहरू (My Days with Nehru) में इस बात का जिक्र किया है। उन्होंने बुक में लिखा है कि नेहरू के प्रधानमंत्री बनने के बाद भी उनके पास हमेशा पैसों की कम रहती थी। जितना जेब खर्च मिलता था, वो भी किसी जरूरतमंद को दे दिया करते थे। इससे परेशान होकर मथाई ने उनकी जेब में पैसा रखना ही बंद कर दिया।
6- जवाहरलाल नेहरू के बाल काटने के लिए राष्ट्रपति भवन से एक नाई आता था। एक बार नेहरू ने उससे पूछा कि हम विलायत यानी विदेश जा रहे हैं। आपके के लिए वहां से क्या लेकर आएं। इस पर नाई ने शर्माते हुए कहा, हुजूर कभी-कभी आने में देर हो जाती है। अगर आप घड़ी ले आएं, तो अच्छा होगा। इसके बाद नेहरू अपने नाई के लिए लंदन से नई घड़ी लाए थे।
7- जवाहरलाल नेहरू के पिता मोतीलाल नेहरू इलाहाबाद के प्रतिष्ठित परिवार से थे। उन्होंने अपने बेटे जवाहर को बड़े लाड-प्यार से पाला था। कहते हैं नेहरू के पिताजी ने उनके लिए साल 1904 में विदेश से कार मंगवाई थी। इलाहाबाद की सड़कों पर चलने वाली यह पहली कार थी। बता दें कि उनके घर टेनिस कोर्ट और स्वामिंग पूल जैसी सुविधाएं थीं।
8- पंडित नेहरू गो-हत्या के सख्त खिलाफ थे। इसक जुड़ा ऐसा किस्सा है कि एक बार संसद सभा के दौरान सदन में गो-हत्या का प्रस्ताव रखा गया। उस दौरा नेहरू ने सख्त लहजे में कहा था कि अगर गो-हत्या का प्रस्ताव पास हुआ तो मैं अपने पद से इस्तीफा दे दूंगा।
9- जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्रता सेनानी भी रहे, उन्होंने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। नेहरू को भारत के गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) का प्रणेता माना जाता है। उनकी जयंती 14 नवंबर को भारत में हर साल बाल दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
10- पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा था- ‘देश की रक्षा, देश की उन्नति, देश की एकता ये हम सबका राष्ट्रीय धर्म है. ये हम अलग अलग धर्म पर चलें, अलग-अलग प्रदेश में रहें, अलग भाषा बोलें, पर उससे कोई दीवार हमारे बीच खड़ी नहीं होनी चाहिए … सब लोगों को उन्नति में बराबर का मौका मिलना चाहिए. हम नहीं चाहते कि हमारे देश में कुछ लोग बहुत बड़े अमीर हों और अधिकतर लोग गरीब हों।’
जवाहर लाल नेहरू के प्रेरणादायक और प्रेरक कोट्स
* “हम एक अद्भुत दुनिया में रहते हैं जो सुंदरता, आकर्षण और रोमांच से भरी हुई है। रोमांच का कोई अंत नहीं है, अगर हम उन्हें अपनी आँखें खोलकर तलाशें।”
* “नागरिकता देश की सेवा में होती है।”
* “विफलता तभी होती है जब हम अपने आदर्शों, उद्देश्यों और सिद्धांतों को भूल जाते हैं।”
* “संस्कृति मन और आत्मा का विस्तार है।”
* ” लोगों की कला उनके मन का सही दर्पण है।”
* “राजनीति और धर्म पुराने हो चुके हैं। अब विज्ञान और अध्यात्म का समय आ गया है।”
* “वह व्यक्ति जिसे वो सब मिल जाता है जो वो चाहता था, वह हमेशा शांति और व्यवस्था के पक्ष में होता है।”
* “आप दीवार के चित्रों को बदल कर इतिहास के तथ्यों को नहीं बदल सकते हैं।”